कांग्रेस की केंद्रीय कमिटी की रिपोर्ट में विगत कांग्रेस सरकार को भाग्य से बनी सरकार का दर्जा दिया गया है…..
11 सीटों पर इसलिये मिली थी भाजपा को हार
भाजपा 11 सीटों पर नाराज मतदाताओं के कारण हारी थी, जिन्होंने ‘नोटा’ को हार-जीत के अंतर से अधिक वोट दिए थे। कहीं न कहीं इसके लिए पुराने परंपरागत चेहरे को एक वजह मानी गई थी। राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि ये वोट भाजपा से नाराज थे, इसलिए उन्होंने कांग्रेस का साथ न देकर नोटा को विकल्प के रूप में चुना था।
यह रही थी स्थिति
बता दें कि 230 सदस्यों वाली मप्र विधानसभा में भाजपा को 109, कांग्रेस को 114, बसपा को दो, सपा को एक और निर्दलीय के खाते में चार सीटें गई थीं। तब कांग्रेस ने क्षेत्रीय दलों व निर्दलीयों के सहारे सरकार बना ली थी।
आंकड़ों के विश्लेषण से यह बात साफ हो जाती है कि भाजपा प्रत्याशियों के प्रति मतदाताओं में निराशा न होती तो नोटा को इतने वोट नहीं मिलते। 11 सीटों पर नोटा को सर्वाधिक वोट न पड़े होते तो प्रदेश में कांग्रेस की बजाए लगातार चौथी बार भाजपा की सरकार बन जाती।
जानिए क्यों निशाने पर हैं कैलाश विजयवर्गीय
विगत दिवस का उदाहरण ले लें
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय गुरुवार को नागदा पहुंचे। यहां वे विधानसभा चुनाव में जीत को आश्वस्त दिखाई दिए। इसका वीडियो भी सामने आया है। वीडियो में उन्होंने कहते दिख रहे हैं कि मैं क्षेत्र में क्षेत्र में जाऊं या ना जाऊं। कम से कम 50 हजार वोट से चुनाव जीतूंगा। प्रदेशभर में घूमूंगा। इसके बाद भी 50 हजार से जीतूंगा। कांग्रेस ने वीडियो वायरल होने के बाद इसे कैलाश विजयवर्गीय का घमंड बताया।
नागदा में बीजेपी से तेज बहादुर सिंह को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद पूर्व विधायक बीजेपी नेता दिलीप शेखावत ने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। अपने समर्थको के साथ कई बार प्रदर्शन कर भोपाल में वरिष्ठ नेताओं से मिलने का मन भी बना चुके थे। इस बीच गुरुवार को बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय कार्यकर्ताओं को जीत का पाठ पढ़ाने नागदा पहुंचे, यहाँ कार्यक्रम से पहले वे दिलीप शेखावत के घर पहुंचे।
यहां शेखावत के समर्थकों को संबोधित करते हुए विजयवर्गीय ने कहा कि मैं क्षेत्र में जाऊं या ना जाऊं, कम से कम 50 हजार वोट से चुनाव जीतूंगा। ज्यादा से भी जीत सकता हूं। मैं प्रदेशभर में घूमूंगा। इसके बाद भी 50 हजार से जीतूंगा, मैं डर थोड़े ही रहा था। हमें संगठन का काम करना है। सरकार बनानी है। प्रदेश में घूमना है। मेरी भी चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं थी, लेकिन पार्टी ने बोल दिया तो लड़ लिए। घुस गए मैदान में। मैं भी जीतूंगा। सरकार भी बनाएंगे। जो पार्टी का आदेश हो, उसका पालन करना चाहिए।
कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, नागदा में पार्टी मजबूत है। सब मिलकर भाजपा को जिताने के लिए काम करेंगे। दो तिहाई वोट से जीतेंगे। विजयवर्गीय से जब आगामी चुनाव में मुख्यमंत्री के चेहरे के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा कि जो पार्टी तय करेगी, वो मुख्यमंत्री होगा।
कांग्रेस जानती है और समझ गयी है कि इवेंट मैनेजमेंट कंपनी के सहारे चुनाव नही जीत सकते इसलिए इस बार मिसी एक कंपनी को काम ना देकर 21 अलग अलग प्रोफेशनल समूह को ठेका दिया है।
21 में से 16 ने कैलाश विजयवर्गीय को सबसे बड़ी रुकावट बताया है,जो बातें कैलाश विजयवर्गीय के पक्ष में जाती हैं
1- संगठन क्षमता
कैलाश विजयवर्गीय ने कई मौकों पर खुद को ऐसा साबित किया कि प्रदेशो में भाजपा सरकार बन गयी
हरयाणा चुनाव,उत्तराखंड चुनाव और पश्चिम बंगाल में 3 सीट से 77 सीट का सफर।
2-कार्यकर्ता से सीधा संपर्क एव संवाद
कैलाश विजयवर्गीय का कार्यकर्ताओं से सीधा संपर्क और संवाद सबसे बड़ी ताकत है,मूल बात किसी भी स्तर के कोई भी कार्यकर्ता को यह एहसास नही होता कि वह राष्ट्रीय महासचिव से बात कर रहा है।जबकि भाजपा के छुटभैये नेता भी स्टार्च पी कर कड़क बने घूमते रहते है।
3- मजबूत टीम वर्क
कैलाश विजयवर्गीय का टीम वर्क और विश्वसनीय सहयोगियों की टीम उनकी सबसे बड़ी ताकत है विशेषकर उनके सहयोगी और लगातार सबसे बड़े मार्जिन से चुनाव जीतने वाले विधायक रमेश मेंदोला।
कांग्रेस की अंदरूनी रिपोर्ट में सहयोगियों में यादव जी,गोयल जी एवं अन्य 5 का ज़िक्र तो है लेकिन पुत्र एव विधायक आकाश विजयवर्गीय को इस टीम का हिस्सा कम प्रतिशत बताया है।
4- रूठे कार्यकर्ताओं, नेताओ को मनाने की सबसे बड़ी चाभी
कैलाश विजयवर्गीय को कांग्रेस की रिपोर्ट में सबसे घातक
इसीलिए माना गया है,जहां कांग्रेस पूरी क्षमता और ताकत के साथ भाजपा में बिखराव का प्रयास कर रही है वहीं मालवा निमाड़ की लगभग 66 सीटों पर कैलाश विजयवर्गीय कार्यकर्ताओं और क्षेत्रीय नेताओं को टूटने नही दे रहे या ये भी उल्लेखित है कि चुनाव आते आते सबको एकजुट कर लेंगे।
निष्कर्ष
कैलाश विजयवर्गीय की घेराबंदी के लिए आने वाले समय मे दिल्ली से सांसद और 3 विधायक की टीम डेरा डालेगी
जातिवाद का बड़ा प्रोपगंडा फैलाया जाएगा,
सवर्ण,पिछड़ा,दलित,आदिवासी कार्ड का भरपूर उपयोग किया जाएगा।
महाकौशल को सबसे मजबूत और ग्वालियर को उससे थोड़ा कमजोर बताया है।
21 में से 17 एजेंसी ने मालवा निमाड़ क्षेत्र को इस बार जीत और हार का स्थान बताया है।