Sunday, December 22, 2024
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केजरीवाल का खेल, आतिशी मारलेना और सौरभ भारद्वाज का निकला तेल

 

दिल्ली की राउज एवेन्‍यू कोर्ट ने सोमवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 15 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया.

नई द‍िल्‍ली. दिल्ली की राउज एवेन्‍यू कोर्ट ने सोमवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 15 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया. केजरीवाल ने जेल में समय बिताने के लिए तीन किताबें – भगवद गीता, रामायण और हाउ प्राइम मिनिस्टर्स डिसाइड के लिए एक आवेदन दायर किया था, ज‍िसे कोर्ट ने मंजूर कर ल‍िया है. कथित उत्पाद शुल्क नीति घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी पहले से बढ़ाई गई ईडी की हिरासत समाप्त होने पर उन्हें राउज एवेन्यू कोर्ट की जज कावेरी बावेजा के सामने पेश किया गया. सोमवार को भारी सुरक्षा के बीच सीएम केजरीवाल को कोर्ट में पेश किया गया. केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम चौधरी और रमेश गुप्ता पेश हुए, जबकि ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस.वी. राजू ने दलीलें दी. न्यायिक हिरासत की मांग करते हुए एएसजी राजू ने कहा कि हम रिमांड नहीं चाहते. इस मामले में आम आदमी पार्टी ने ईडी के सभी दावों का खंडन क‍िया है. उन्‍होंने कहा क‍ि ईडी के सभी दावे खोखले हैं जब यह मामला अदालत में आएगा तो सारी सच्‍चाई सामने आ जाएगी.

ईडी का दावा र‍िमांग के दौरान केजरीवाल ने क‍िए यह खुलासे
पहला खुलासा – ईडी ने कोर्ट में दाख‍िल र‍िमांड कॉपी में दावा क‍िया है क‍ि अरविंद केजरीवाल ने पूछताछ के दौरान कई अहम खुलासे क‍िए हैं. ईडी ने इसमें लिखा है कि अरविंद केजरीवाल ने पूछताछ में कबूल किया कि विजय नायर जोकि अरविंद केजरीवाल का करीबी बताया जा रहा है. वो उनका नहीं बल्कि आतिशी और सौरभ भारद्वाज को रिपोर्ट करता था, मेरी बहुत कम बातचीत होती थी.

चौथा खुलासा – केजरीवाल को विजय नायर के कई वाट्सएप चैट दिखाए गए, जोकि उनके करीबी रिश्तों को दर्शाते हैं लेकिन अरविंद केजरीवाल ने किसी सवाल का जवाब नहीं दिया.
पांचवां खुलासा – अरविंद केजरीवाल को विजय नायर की अन्य आरोपी जैसे अभिषेक बोइनपिल्लै, दिनेश अरोड़ा और अन्य शराब कारोबारियों से करीब 10 मीटिंग की डिटेल्स दिखाई गई. फ‍िर केजरीवाल से पूछा गया कि किसके इशारे या कहने पर किस कैपेसिटी में विजय नायर इन शराब कारोबारियों पर आरोपियो से नई शराब नीति को लागू करने को लेकर मीटिंग कर रहे थे, लेकिन अरविंद केजरीवाल ने इसकी जानकारी होने से भी इनकार कर दिया.

छठा खुलासा – अरविंद केजरीवाल को गोवा इलेक्शन में इस्तेमाल 45 करोड़ रुपये से जुड़ी CDR लोकेशन, कॉल रिकॉर्ड, गोवा की उस हवाला फर्म की IT डिक्लेरेशन, उम्मीदवारों को दिए गए कैश की डिटेल यानी पूरा मनी ट्रेल दिखाया गया. साथ ही उस आप वर्कर के बयान भी दिखाए गए, जिसके एकाउंट में हवाला के जरिये गोवा पहुंचा 45 करोड़ रुपये में से 2 लाख 20 हजार 340 रुपये इलेक्शन में इस्तेमाल के लिए एकाउंट में पहुंचा. इस पर ईडी ने दावा क‍िया है क‍ि केजरीवाल ने इस पर कोई स्‍पष्‍ट जवाब नहीं द‍िया.
सातवां खुलासा- केजरीवाल ने अपने पार्टी नेताओं के बयानों के उलट जवाब देते हुए उन्हें ‘कंफ्यूजड’ करार दिया.
आठवां खुलासा – आप पार्टी के नेता एनडी गुप्ता ने अपने स्टेटमेंट में कहा था कि चुनाव के दौरान किसी भी राज्य का कौन चुनाव प्रभारी होगा. ये खुद पार्टी के संरक्षक यानी केजरीवाल तय करते थे, जबकि केजरीवाल ने कहा कि वो कंफ्यूज हैं. ये पीएसी यानी पोलिटिकल अफेयर्स कमेटी तय करती है, जिसके मेंबर खुद एनडी गुप्ता हैं.

नौवां खुलासा – मतलब साफ है कि केजरीवाल ने न तो किसी सवाल का सीधा जवाब दिया बल्कि पूछताछ में जब उनके पार्टी नेताओं के बयान उन्हें दिखाए गए तो उल्टे उन्हें ही कंफ्यूज घोषित कर दिया.

अरविंद केजरीवाल तिहाड़ जेल पहुंच चुके हैं. फिलहाल 15 दिन की न्यायिक हिरासत में हैं. अगर उसके बाद जमानत नहीं मिलती तो ये अवधि वैसे ही बढ़ती जाएगी, जैसे मनीष सिसोदिया और संजय सिंह के मामलों में देखने को मिल रही है.

जेल से सरकार चलाने की तैयारी तो अरविंद केजरीवाल गिरफ्तारी से भी बहुत पहले ही कर चुके थे, अब तो उस पर अमल भी होने लगा है. जेल जाने से पहले कोर्ट में अरविंद केजरीवाल के एक बयान  का जिक्र आया है – और जेल में समय बिताने के लिए उनकी डिमांड भी सामने आई है.

अरविंद केजरीवाल की तुलना अभी उन राजनीतिज्ञों से तो नहीं की जाती, जिन्हें भारतीय राजनीति में चाणक्य माने जाने का तमगा हासिल है – लेकिन राजनीति का कम अनुभव होने के बावजूद अरविंद केजरीवाल काफी सधी हुई चालें भी चलते रहे हैं.

जिस तरीके से अरविंद केजरीवाल ने अयोध्या के राम मंदिर उद्घाटन समारोह में न जाने को लेकर बयान जारी किया था, वो राजनीतिक रूप से बिलकुल दुरूस्त माना गया था. अयोध्या गये तो वो भी नहीं, लेकिन न तो ममता बनर्जी की तरह बहिष्कार का स्टैंड लिया था, न ही अखिलेश यादव की तरह ढुलमुल बातें की थी. बड़े ही सहज भाव से कह दिया था कि सिक्योरिटी वजहों से न्योते के हिसाब से उनको अकेले जाना पड़ेगा, लेकिन वो अपने पूरे परिवार और माता-पिता के साथ जाना चाहते हैं – और गये भी.

लेकिन राजनीति कुछ बयानों और कुछेक एक्शन के बूते तो होती नहीं, हर फैसला सोच समझ कर लेना होता है, हर चाल ठोक बजाकर चलनी पड़ती है – और बस जरा सी गफलत होती है, और लेने के देने पड़ जाते हैं.

ईडी का समन मिलने के बाद अपने तरीके से अरविंद केजरीवाल ने गिरफ्तारी को जितना संभव था टाला भी, लेकिन आखिरकार गिरफ्तार भी होना पड़ा, और फिर जेल. अब जेल से अरविंद केजरीवाल अपनी राजनीति को कैसे आगे बढ़ा रहे हैं वो समझना भी काफी दिलचस्प है.

केजरीवाल की बुक पॉलिटिक्स

ईडी को रिमांड की जरूरत नहीं होने पर अरविंद केजरीवाल को न्यायिक हिरासत में जेल भेजे जाने का फैसला हुआ. तब अरविंद केजरीवाल ने कुछ किताबों की डिमांड की. चुन चुन कर जिन किताबों की अरविंद केजरीवाल ने मांग की, उससे तो यही लगता है कि ये चीजें भी वो पहले से ही तय कर रखे थे – तिहाड़ जेल में पढ़ने के लिए अरविंद केजरीवाल ने वही किताबें मांगी हैं, जिनकी खास राजनीतिक अहमियत है.

1. रामायण के जरिये अरविंद केजरीवाल हर हाल में अयोध्या और राम मंदिर के मुद्दे से जुड़े रहना चाहते हैं. वादे के मुताबिक अरविंद केजरीवाल अपने पूरे परिवार के साथ गये थे, ताकि ये संदेश दे सकें कि वो भी मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की तरह एक आदर्श पुत्र, पिता और पति की भूमिका निभाने की कोशिश कर रहे हैं – और जेल में रहते हुए भी वो रामायण पढ़ कर ही वक्त बिताना चाहते हैं.

2. रामायण के साथ साथ अरविंद केजरीवाल ने श्रीमद्भागवत गीता भी उपलब्ध कराये जाने की मांग की है. गीता के जरिये वो ये जताने की कोशिश कर रहे हैं कि वो धर्मयुद्ध लड़ रहे हैं, और जैसे अर्जुन महाभारत के युद्ध में श्रीकृष्ण के बताये रास्ते पर चले और जीत हासिल की, वो भी बिलकुल वही काम कर रहे हैं.

मुश्किल तो ये है कि कलियुग के महाभारत में अरविंद केजरीवाल खुद ही अर्जुन का किरदार भी निभा रहे हैं, और श्रीकृष्ण की भूमिका भी वो अपने पास ही रखे हुए हैं.

3. अरविंद केजरीवाल ने पत्रकार नीरजा चौधरी की किताब How Prime Ministers Decide भी जेल में पढ़ने के लिए मांगी है. ऐसा लगता है इस किताब के जरिये अरविंद केजरीवाल फिलहाल ये अध्ययन करने जा रहे हैं कि प्रधानमंत्री किन परिस्थितियों में कैसे फैसले लेते हैं – मतलब, प्रधानमंत्री पद पर अपनी दावेदारी वो जेल में भी नहीं छोड़ रहे हैं, ऐसा लगता है जैसे अभी से थ्योरी की प्रैक्टिस कर रहे हैं.

केजरीवाल की बयान पॉलिटिक्स

1. विजय नायर के प्रसंग में आतिशी और सौरभ भारद्वाज का नाम लेकर अरविंद केजरीवाल ने एक नई चाल चल दी है. वैसे तो इस बात का जिक्र पहले भी कोर्ट में उनके वकील कर चुके हैं, लेकिन ईडी की पूछताछ में उनके इस बयान का अलग ही मतलब होता है.

सरकारी गवाह बन चुके विजय नायर से कोई सीधा संपर्क न होने की बात कर अरविंद केजरीवाल ने बचाव का रास्ता अख्तियार किया है. ऐसा करके वो अपने साथ साथ मनीष सिसोदिया को भी बचाने की कोशिश कर रहे हैं – और इसीलिए आतिशी और सौरभ भारद्वाज को कुर्बानी के लिए तैयार कर रहे हैं.

हालांकि, अरविंद केजरीवाल का ये बयान काफी अजीब लगता है. क्योंकि विजय नायर और अरविंद केजरीवाल को लेकर ईडी की तरफ से पहले जो बात बताई गई थी, वो अभी वाली से अलग है – और दोनों बातों को एक साथ लेकर जिरह हो तो बात कुछ और भी निकल सकती है.

पहले ईडी ने बताया था कि अरविंद केजरीवाल ने शराब कारोबारी समीर महेंद्रू से फेसटाइम कॉल के दौरान विजय नायर को ‘हमारा लड़का’ कह कर भरोसा दिलाने की कोशिश की थी, लेकिन अब वो उसे आतिशी और सौरभ भारद्वाज से जोड़ कर नई चाल चल रहे हैं.

2. अब तो ऐसा लगता है जैसे अरविंद केजरीवाल खुद ही आतिशी और सौरभ भारद्वाज को फंसाने की कोशिश कर रहे हों. देखा जाये तो अरविंद केजरीवाल आतिशी और सौरभ भारद्वाज के साथ भी वैसी ही यूज-एंड-थ्रो पॉलिसी अपना रहे हैं, जैसी नीति योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण सहित तमाम पुराने साथियों के साथ अपनाया था.

केजरीवाल की जेल पॉलिटिक्स

1. अरविंद केजरीवाल के जेल चले जाने और इस्तीफा न दिये जाने की सूरत में सरकार के कामकाज का मामला काफी उलझने वाला है. ये तो पहले से ही चर्चा है कि संविधान भले ऐसी चीजों पर पाबंदी न लगाता हो, लेकिन व्यावहारिक मुश्किलें तो खड़ी होंगी ही.

2. सवाल ये है कि तब क्या होगा जब आतिशी और सौरभ भारद्वाज को भी ईडी हिरासत में ले ले, और बाद के घटनाक्रम में उनको भी जेल भेज दिया जाये तो उनकी जगह कौन लेगा? और जो उनकी जगह लेगा उस विधायक को मंत्री बनाने की उपराज्यपाल से सिफारिश कौन करेगा?

3. और ऐसा संभव नहीं हुआ तो आगे का फैसला तो दिल्ली सरकार के बारे में भी दिल्ली उपराज्यपाल ही लेंगे, और जो फैसला लेंगे उसमें राष्ट्रपति शासन की ही सूरत बनती है – क्या केजरीवाल यही चाहते हैं?

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