Tuesday, March 11, 2025
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वहशी जानवर,कट्टर जिहादी औरंगजेब के नाम से,कन्वर्टेड कटमुल्लो की अफवाह से सावधान रहे,इन्होंने देख तलवार खोल दी थी सलवार

औरंगजेब एक कट्टर जिहादी मुसलमान था सत्ता का भूखा जिसने अपने भाई तक मार दिए,अपने बाप को जेल में सड़ा दिया पीने के पानी को मोहताज कर दिया, कुछ कन्वर्टेड जिहादी उसी को अब हिंदू धर्म रक्षक दिखाने में लगे हैं,

खबर के मुताबिक, जब औरंगज़ेब को 45 दिनों के बाद भी अपनी चिट्ठी का जवाब नहीं मिला, तो इस ‘धर्मनिरपेक्ष’ शासक चीन पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की और महज डेढ़ दिनों में कैलास मानसरोवर पर नियंत्रण पा लिया।

इन फेक रिपोर्ट्स को कई ट्विटर और वॉट्सऐप यूजर्स ने शेयर किया और खबर वायरल हो गई।

सच क्या है?

जब हमने इतिहास को खंगाला तो पाया कि औरंगज़ेब के शासनकाल के दौरान कैलास मानसरोवर छिंग राजवंश का हिस्सा था ही नहीं। उस समय यह पवित्र स्थल तिब्बत के अधीन था। जब कैलास मानसरोवर पर तिब्बत का अधिकार था तो औरंगज़ेब ने इसे चीन से कैसे छीना होगा? है न?

ऐसे की पड़ताल

‘टाइम्स फैक्ट चेक’ टीम ने सबसे पहले कुछ जाने-माने इतिहासकारों से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि औरंगज़ेब ने कभी भी चीन या तिब्बत पर सैन्य कार्रवाई नहीं की।

इतिहास और शोध की जानकारी रखने वाले हमारे सहयोगी ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के रिपोर्टर ने बताया कि औरंगज़ेब ने चीन के साथ कोई युद्ध नहीं किया। उन्होंने बताया कि औरंगज़ेब असम के रास्ते चीन तक पहुंच बनाना चाहता था और इसके लिए उन्होंने अपने सूबेदार मीर जुमला को असम भेजा था।

शर्मा ने ‘टाइम्स फैक्ट टीम’ को बताया, ‘जुमला ने 1662 में असम के अहोम वंश को हराया लेकिन वहां फंस गया और एक साल असम में बिताने के बाद वह पीछे हट गया। चीन और मुगल भारत के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक क्षेत्र में आदान-प्रदान जरूर हुआ लेकिन मुगलों द्वारा चीन के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसा कुछ भी नहीं हुआ था।’

हमने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रफेसर नदीम रिज़वी से बात की। रिज़वी ने भी यह कहा कि औरंगज़ेब ने कभी भी चीन में कदम नहीं रखे और मीर जुमला की मौत असम पहुंचने के बाद मलेरिया होने से हुई थी।

इसलिए, अगर कभी औरंगज़ेब ने चीन पर कब्जा करने की योजना बनाई भी होगी, तो वह कैलास पर्वत को आजाद करवाने के मकसद से नहीं था।

हमारी पड़ताल के दौरान, हमने गूगल पर भी अलग-अलग कीवर्ड्स से इस फर्जी खबर को ढूंढने की कोशिश की। इस दौरान हमें पता लगा कि यह अफवाह पूर्व राज्यसभा सांसद मोहम्मद अदीब की तरफ से शुरू हुई, जिन्होंने जुलाई 2017 में जंतर-मंतर पर मोदी सरकार के खिलाफ अपने भाषण में कहा था कि औरंगज़ेब हिंदू विरोधी नहीं थे। इस भाषण के दौरान योगेंद्र यादव जैसे राजनेता भी मौजूद थे।

अदीब ने कहा था कि जब पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू ने संयुक्त राष्ट्र से कैलास पर्वत भारत को लौटाने के लिए चीन पर दबाव बनाने को कहा था, जिसे चीन ने भारत संग युद्ध के बाद कब्जाया था, तब चीन ने जवाब दिया था कि उसने वही हिस्सा वापस लिया है जो उनसे औरंगज़ेब ने छीना था।

 

हमने इस खबर को जांचने के लिए ऑनलाइन मौजूद कई इतिहास की किताबों को भी खंगाला लेकिन कहीं भी औरंगज़ेब द्वारा कैलास मानसरोवर हिंदुओं को तोहफे में देने का जिक्र नहीं मिला।

बल्कि हमें एक और ऐतिहासिक दावे का पता लगा, जिसके मुताबिक कुमाऊं क्षेत्र (मौजूदा उत्तराखंड) के चंद राजवंश के शक्तिशाली राजपूत शासक बाज़ बहादुर, कैलास मानसरोवर वापस पाने के लिए तिब्बत पहुंचे थे।

नतीजा

‘टाइम्स फैक्ट चेक’ टीम ने औरंगज़ेब द्वारा चीन को हराकर कैलास मानसरोवर हिंदुओं को देने का दावा फर्जी पाया है

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