Thursday, December 12, 2024
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मोहम्मद मुर्शिद और मोहम्मद रियासत अली ने नाबालिग दलित का खतना करवा दिया,नाम रख दिया नूर मोहम्मद

अनाथ दलित किशोर को बना दिया मुस्लिम, नौकरी के नाम पर कराया खतना, नया नाम रखा- नूर मोहम्मद: UP पुलिस ने 2 को दबोचा

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में 15 वर्षीय दलित किशोर का धर्म परिवर्तन कर उसे मुस्लिम बनाने का मामला सामने आया है। आरोपितों ने किशोर की मजबूरी और अनाथ होने का फायदा उठाकर इस घटना को अंजाम दिया। पुलिस ने मामला दर्ज कर दो आरोपितों मुर्शिद और रियासत अली को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि रेस्टोरेंट का मालिक अभी फरार है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मूल रूप से आजमगढ़ के रहने वाले किशोर को मुर्शिद और उसके अब्बू रियासत अली बाराबंकी लेकर आए। उन्होंने उसे नौकरी देने का वादा किया और अपने साथ रखकर बाराबंकी के अफीका रेस्टोरेंट में काम पर लगवा दिया। रेस्टोरेंट के मालिक ने जब जाना कि लड़का अनाथ है, तो उसका ऑपरेशन (खतना) करवाकर नाम बदलकर ‘नूर मोहम्मद’ रख दिया।

घटना का खुलासा तब हुआ जब बजरंग दल के जिला संयोजक विनय सिंह राजपूत को इसकी जानकारी मिली। विनय सिंह ने किशोर से रेस्टोरेंट में बातचीत की और धर्म परिवर्तन की पुष्टि होने पर पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने मुर्शिद, रियासत अली और रेस्टोरेंट मालिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की।

किशोर ने पुलिस को सुनाई आपबीती

पीड़ित किशोर ने बताया कि वह मूलरूप से आजमगढ़ के अतरौलिया का रहने वाला है। उसके पिता ने माँ को छोड़कर मुस्लिम महिला से विवाह कर लिया था। उसके पिता की हत्या हो गई और सौतेली माँ ने सारी संपत्ति हड़प कर उसे भगा दिया। आजमगढ़ में उसे देवा का रहने वाला कबाड़ का काम करने वाला मुर्शिद मिला, जिसने कई साल तक अपने साथ रखा फिर उसे देवा स्थित घर ले आया। बाद में उसे रेस्टोरेंट में काम पर लगा दिया गया और जबरन धर्म परिवर्तन कराया।

शहर कोतवाल आलोक मणि त्रिपाठी ने बताया कि यह मामला हिंदू किशोर के खतना और धर्मांतरण का है। बजरंग दल की शिकायत पर धर्मांतरण अधिनियम और एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस अब फरार आरोपितों की तलाश में है और मामले की गहराई से जाँच कर रही है। श्रम विभाग ने भी बाल श्रम अधिनियम के तहत जाँच शुरू कर दी है।

यह मामला समाज को झकझोर देने वाला है, जहाँ एक अनाथ दलित किशोर को मजबूरी का शिकार बनाया गया। रेस्टोरेंट मालिक और अन्य आरोपितों की हरकत ने न केवल कानून को चुनौती दी, बल्कि समाज की संवेदनाओं को भी ठेस पहुँचाई है।

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