बहुत शौक था…मिल गया रिटर्न गिफ्ट….
रात के अँधेरे में फूँक दिया ढाका का इस्कॉन मंदिर, देवी-देवताओं की प्रतिमा में लगाई आग: बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरपंथियों ने जबरन बंद करवाया था सेंटर
बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ इस्लामी कट्टरपंथियों की जारी हिंसा के बीच राजधानी ढाका के नमहट्टा इलाके में स्थित इस्कॉन मंदिर पर हमले का मामला सामने आया है। शुक्रवार (6 दिसंबर 2024) की देर रात इस मंदिर में आग लगा दी गई, जिससे श्री लक्ष्मी-नारायण की मूर्ति और अन्य धार्मिक वस्त्र पूरी तरह जलकर खाक हो गए।
इस्लामी कट्टरपंथियों ने मंदिर पर हमला कर की आगजनी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह घटना उस समय हुई, जब आधी रात के बाद 2 से 3 बजे के बीच मंदिर के पीछे के टिन के छत को उठाकर पेट्रोल डालकर आग लगा दी गई। इस मंदिर का संचालन करने वाले इस्कॉन पर बैन की माँग को ढाका हाई कोर्ट ने ठुकरा दिया था, जिसके बाद इस्लामिक कट्टरपंथियों ने इस मंदिर को जबरन बंद करवा दिया था। इस मंदिर पर हमले से पहले भी हिंदू प्रतिष्ठानों और धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया जा चुका है।
इस्कॉन के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा, “श्री लक्ष्मी-नारायण की मूर्ति और मंदिर की सभी वस्तुएँ पूरी तरह जलकर नष्ट हो गईं। यह हमला बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति को दर्शाता है।” उन्होंने भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वे बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
ताजे मामले से पहले इस मंदिर को जबरन बंद करा दिया गया था और अब इसे जला दिया गया। इस्कॉन के कोलकाता शाखा के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने एक वीडियो साझा किया, जिसमें उपद्रवियों को मंदिर का बोर्ड हटाते देखा जा सकता है।
इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की माँग खारिज
हाल ही में ढाका हाई कोर्ट ने इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की माँग को ठुकरा दिया था। अदालत ने कहा कि सरकार की ओर से मामले में उचित कार्रवाई की जा रही है। कट्टरपंथी संगठनों ने इस्कॉन पर ईशनिंदा और देशद्रोह के आरोप लगाकर प्रतिबंध की माँग की थी। इसी कड़ी में इस्कॉन के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और बढ़ गई। कट्टरपंथियों ने कई हिंदू घरों और प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया। स्थानीय हिंदुओं का आरोप है कि पुलिस और सेना भी कट्टरपंथियों के पक्ष में खड़ी नजर आती है।
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा नई बात नहीं है। कट्टरपंथी ताकतें लगातार धार्मिक स्थलों को निशाना बना रही हैं। सरकार की निष्क्रियता और पुलिस प्रशासन की अनदेखी के कारण स्थिति और भी भयावह हो गई है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय और भारत सरकार को इन घटनाओं पर ध्यान देना चाहिए और बांग्लादेश सरकार पर दबाव डालकर हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।