अजब-गजब गठबंधन, कांग्रेस कह रही कांग्रेस उम्मीदवार को वोट मत देना, जानें पूरा मामला
Rajasthan Lok Sabha Election
दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होगा। इससे पहले यहां बीएपी-कांग्रेस गठबंधन को लेकर दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता असमंजस में हैं। ऐसे में आइये जानते हैं कि बांसवाड़ा में कांग्रेस अपने ही प्रत्याशी के खिलाफ वोट क्यों मांग रही है?
दरअसल कांग्रेस ने बीएपी के साथ गठबंधन अपने प्रत्याशियों के ऐलान के बाद किया। ऐसे में कांग्रेस के दोनों प्रत्याशियों को पर्चा वापस लेना था लेकिन कांग्रेस के स्थानीय नेता दोनों नेताओं के पर्चें वापस नहीं करवा पाए। इसलिए अब कांग्रेस के नेता कांग्रेस के ही उम्मीदवारों के खिलाफ प्रचार कर रहे हैं। विधानसभा चुनाव 2023 में बीएपी ने तीन सीटों पर जीत दर्ज की। इसके बाद कांग्रेस ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बीएपी से बातचीत शुरू की। बीएपी ने कांग्रेस से लोकसभा की तीन सीटों की मांग रखी। जिसे कांग्रेस पार्टी ने खारिज कर दिया। बीएपी, कांग्रेस से बांसवाड़ा, उदयपुर और चित्तौड़गढ़ सीट मांग रही थी।
कांग्रेस के स्थानीय नेता कर रहे विरोध
जानकारों की मानें तो कांग्रेस के स्थानीय नेता इस गठबंधन के विरोध में थे। वे नहीं चाहते थे कि बीएपी के साथ उनका गठबंधन हो। ऐसे में कांग्रेस ने बागीदौरा से 4 बार के विधायक और पूर्व मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीया की उम्मीदवारी बांसवाड़ा लोकसभा सीट से तय कर दी, लेकिन विधानसभा में विपक्ष का नेता नहीं बनाए जाने से नाराज होकर मालवीया ने कांग्रेस छोड़ दी और एक सप्ताह बाद भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने उन्हें बांसवाड़ा से उम्मीदवार बना दिया। पार्टी ने यहां से दो बार के सांसद कनकमल कटारा टिकट काट दिया।
कांग्रेस के कारण गठबंधन में हुई देरी
गठबंधन को लेकर बीएपी उम्मीदवार और विधायक राजकुमार रोत ने कहा कि कांग्रेस की राज्य इकाई और आलाकमान के बीच समन्वय नहीं होने के चलते गठबंधन में देरी हुई। उन्होंने कहा कि हमें कांग्रेस से गठबंधन की उम्मीद नहीं बची थी इसलिए हमनें उदयपुर और चित्तौड़गढ़ में भी अपने प्रत्याशी उतार दिए। ऐसे में कांग्रेस भी सभी सीटों से चुनाव लड़ रही है वहीं बीएपी भी उदयपुर, चित्तौड़गढ़ और बांसवाड़ा से मैदान में हैं।