Sunday, June 29, 2025
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121 साल में जो नही हुआ था हो गया,इतिहास रच दिया नीरज चोपड़ा ने

भारत के नीरज चौपड़ा (Niraj Chopra) ने इतिहास रचते हुए ट्रैक एंड फील्ड स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीतते हुए सवा सौ साल पुराना इतिहास बदल दिया है। नीरज चौपड़ा भारत के ऐसे पहले खिलाड़ी बन गए हैं, जिन्होंने एथ​लेटिक्स में सोने का तमगा जीता है। व्यक्तिगत स्पर्धा में पदक जीतने वालों में नीरज दूसरे हैं, उनसे पहले 2008 के लंदन ओलंपिक में भारत के निशानेबाज अभिनव बिन्द्रा ने सोने पर निशाना साधा था। ट्रैक एंड फील्ड में करीब 121 साल बाद ही पदक आया है। पहली बार ओलंपिक फाइनल में पहुंचने वाले पाकिस्तान का शाहबाज नदीम पांचवे स्थान पर रहा।

 

इससे पहले 1900 के पेरिस ओलंपिक में नोर्मन प्रिचर्ड ट्रैक एंड फील्ड एथलेटिक्स 200 मीटर व 200 मीटर बाधा दौड़ में दो रजत पदक लाए थे। 2020 टोक्यो ओलंपिक में भारत के कुल 7 पदक आए हैं। यह अब तक का सबसे सफल ओलंपिक भी बन गया है। इस स्पर्धा में जर्मनी के जोहानेस वेटर गोल्ड मेडल जीतने के प्रबल दावेदार बताए जा रहे थे, लेकिन वे नीरज के आसपास भी नहीं फटक पाए।

क्वालिफाइंग में किया था 86 मीटर से ऊपर का थ्रो
नीरज शुरू से ही बेहतरीन लय में नजर आए। उन्होंने टोक्यो ओलिंपिक में जेवलिन थ्रो के क्वालिफाइंग इवेंट में 86.65 मीटर की थ्रो करते हुए पहला स्थान हासिल किया था। पहले प्रयास में उन्होंने 87.03 मीटर भाला फेंका। दूसरे प्रयास में सुधार करते हुए 87.58 मीटर तक जैवेलियन फैंका। तीसरे प्रयास में वे थोड़ा लड़खड़ा गए और 76.79 मीटर ही फेंक पाए। नीरज चौपड़ा का चौथा प्रयास फाउल हो गया।

5 बड़े इवेंट में जीत चुके हैं गोल्ड
इंडियन आर्मी में नायब सूबेदार के तौर पर काम करने वाले नीरज अपने करियर में अब तक 5 मेगा स्पोर्ट्स इवेंट में गोल्ड मेडल जीते हैं। उन्होंने एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन चैंपियनशिप, साउथ एशियन गेम्स और वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल अपने नाम किया है। भारत की अंजू बॉबी जॉर्ज के अलावा विश्व ​स्तरीय स्पर्धा में मैडल जीतने वाले वे दूसरे भारतीय हैं।

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ट्रैक एंड फील्ड में पहला मेडल
ट्रैक एंड फील्ड किसी भी ओलिंपिक गेम्स का सबसे मुख्य आकर्षण होते हैं। आज तक कोई भारतीय इन इवेंट्स में मेडल नहीं जीत पाया था। ब्रिटिश इंडिया की ओर से खेलते हुए नॉर्मन प्रिटचार्ड ने साल 1900 में हुए ओलिंपिक में एथलेटिक्स में दो मेडल जीते थे, लेकिन वे भारतीय नहीं बल्कि अंग्रेज थे। भारत का 121 साल का इंतजार शनिवार को जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने खत्म कर दिया।

जर्मन कोच से ली थी ट्रेनिंग
नीरज चोपड़ा ने अपनी थ्रोइंग स्किल्स को बेहतर बनाने के लिए जर्मनी के बायो मैकेनिक्स एक्सपर्ट क्लाउस बार्तोनित्ज से ट्रेनिंग ली थी। इसके बाद उनके प्रदर्शन में निरंतरता आई है।

वजन कम करने आए एथलेटिक्स में
नीरज चोपड़ा पानीपत हरियाणा के रहने वाले हैं। 2016 में उन्होंने इंडियन आर्मी जॉइन की। इससे पहले वजन कम करने के लिए एथलेटिक्स जॉइन की थी। जल्द ही वे एज ग्रुप प्रतियोगिताओं में अच्छा परफॉर्म करने लगे और कई टूर्नामेंट में जीत हासिल की।

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