राजीव गाँधी फाउंडेशन-सैम पित्रोदा को USAID से मिला पैसा, भारत को तोड़ने के लिए जॉर्ज सोरोस को मिले ₹5000 करोड़? , संसद में उसी तूफान में घिरा नेहरू,गांधी,वाड्रा परिवार

“USAID ने राजीव गाँधी फाउंडेशन चैरिटेबल ट्रस्ट को पैसा दिया कि नहीं दिया?”
“ओवरसीज कॉन्ग्रेस के जो अध्यक्ष हैं सैम पित्रौदा उनको USAID ने पैसा दिया या नहीं दिया?”
“बांग्लादेश में मोहम्मद युनूस, जिन्होंने वहाँ के लोकतंत्र को बर्बाद किया, उसके साथ गाँधी परिवार के साथ क्या संबंध हैं?”
“राजीव गाँधी फाउंडेशन में जो विजय महाजन है, उनकी संस्था को USAID पैसा दे रही है या नहीं दे रही है? कॉन्ग्रेस ने उसे राजीव गाँधी फाउंडेशन में देश के टुकड़े रखने के लिए रखा है या नहीं रखा है?
“ग्रामीण विकास ट्रस्ट जो कि जातिगत जनगणना की बात करता है यूएस उसको पैसा देता है कि नहीं देता है?”
“तालिबान को यूएसएड ने पैसा दिया कि नहीं दिया?”
“नेपाल में जो नास्तिकता के लिए मूवमेंट चला उसके लिए यूएसएड ने पैसा दिया कि नहीं दिया?”
“सामंता पावर से आपकी मुलाकात हुई कि नहीं हुई?”
“फलाह-ए-पाकिस्तान, एल खिदमत जैसे आतंकी संगठनों को यूएसएड ने पैसा दिया कि नहीं दिया?”
“वक्फ एक्ट को जो जकात फाउंडेशन चला रहा है जिसको कॉन्ग्रेस सपोर्ट करती है उसको यूएसएड ने पैसा दिया कि नहीं दिया?”
USAID को लेकर ऑपइंडिया की रिपोर्ट
बता दें कि जिस यूएसएड को लेकर भाजपा सांसद द्वारा सवाल खड़े किए गए हैं उसे लेकर ऑपइंडिया लगातार रिपोर्ट कर रहा है। हम आपको पहले की रिपोर्टों में बता चुके हैं कि कैसे इस यूएसएड ने अमेरिकी करदाताओं के करोड़ों रुपए आतंकवादियों को पोसने वाले संगठनों को देने में और धर्मांतरण को बढ़ावा देने वाली संस्थाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए खर्च किया। नेपाल में नास्तिकता का मूवमेंट चलाना हो या देश-विदेश में LGBTQ के एक्टिविज्म को बढ़ाना हो… इन सब पर यूएसएड ने खुलकर डॉलर उड़ाए।
कहने को ये संगठन मानव भलाई की दिशा में काम करता है लेकिन हकीकत यह है कि इनका फायदा अफगानिस्तान में बैठे तालिबान, पाकिस्तान में बैठे लश्कर-ए-तैयबा, फलाह-ए-पाकिस्तान और गाजा में बैठे हमास जैसे आतंकी संगठनों को भी हुआ है।
इसके अलावा यूएसएड का संबंध कॉन्ग्रेस से, गाँधी परिवार के करीबी सैम पित्रौदा से और जॉर्ज सोरोस से कैसे है इसे भी ऑपइंडिया अपनी रिपोर्ट में बता चुका है। 2024 में भी हमने ये खुलासा किया था कि सैम पित्रौदा की एनजीओ को USAID से फंड आता था। आज इसी मामले को निशिकांत दुबे ने फिर से उठाकर ताजा कर दिया