वास्तविक किसान संगठनों ने सरकार की सराहना करए हुए तीनो बिल का समर्थन किया है।साथ ही दलालो और देशद्रोहियों से कड़ाई बरतने की बात कही है।
कृषि सुधार कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी की मांग को लेकर पंजाब और हरियाणा के कुछ किसान संगठनों के विरोध के बीच विभिन्न राज्यों के कुल 10 किसान संगठनों के नेताओं ने सोमवार को कृषि मंत्री नरेंद्र ¨सह तोमर से मुलाकात कर उन्हें इन कानूनों के समर्थन में पत्र सौंपा। हरियाणा के 40 विधायकों और सांसदों ने भी तोमर से मिलकर राज्य के किसानों और जनता की ओर से समर्थन दिया। उन्होंने कानून के सकारात्मक प्रभावों पर चर्चा भी की। उन्होंने स्पष्ट कहा कि इन कानूनों को किसी भी हाल में वापस नहीं किया जाना चाहिए। कृषि मंत्री तोमर ने बताया कि आल इंडिया किसान कोआर्डिनेशन कमेटी से संबद्ध उत्तर प्रदेश, बिहार, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना और हरियाणा समेत कई और राज्यों के किसान संगठनों ने कृषि सुधार कानूनों पर विस्तार से अपनी बात रखी। तोमर ने कहा सरकार के प्रस्ताव पर किसान यूनियनें अपनी राय दें तब बैठक होगी।
हरियाणा का सांसदों में केंद्रीय जल संसाधन राज्यमंत्री रतन लाल कटारिया, धर्मवीर, नायब ¨सह व डीपी वत्स के साथ राज्य के भाजपा विधायकों ने कृषि भवन में कृषि मंत्री से मुलाकात की। दिल्ली बार्डर पर पिछले 19 दिनों से मोर्चा लगाए पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ किसान संगठनों के खिलाफ इन नेताओं ने सरकार की पहल का समर्थन किया है। जेजेपी नेता और हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने शनिवार को कृषि मंत्री तोमर, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और रक्षा मंत्री राजनाथ ¨सह से मुलाकात कर इस गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में चर्चा की थी।
कृषि मंत्री से मुलाकात में किसानों ने बताया कि आजादी के बाद पहली बार किसानों के हित में ऐतिहासिक कदम उठाए गए हैं। इससे किसानों के भाग्य पलट जाएंगे। इस मौके पर तोमर ने कहा, ‘सरकार की नीति और नीयत दोनों में सिर्फ और सिर्फ किसानों का हित है।’ उन्होंने इन किसान संगठनों का आभार जताते हुए कहा कि अगर किसान किसी मुद्दे पर भ्रम के शिकार हो गए हैं तो हमारा दायित्व उनकी शंका निवारण करने का है। लंबे समय से इस तरह के सुधारों की मांग हो रही थी, जिसे हमारी सरकार ने पूरा किया है। किसानों के लिए एक देश एक बाजार की परिकल्पना को जमीन पर उतारा है। एक सवाल के जवाब में तोमर ने कहा, ‘आंदोलन कर रहे किसान संगठनों को सरकार ने जो प्रस्ताव दिए हैं, उस पर उनका मत प्राप्त होने के बाद अगली बैठक होगी। सरकार हर समय उनसे वार्ता करने को तैयार है। उन लोगों का कार्यक्रम चल रहा है। हम इंतजार कर रहे हैं। उनकी ओर से कुछ पहल होगी तो देखा जाएगा।’ तोमर ने जोर देकर कहा कि किसानों की आमदनी बढ़ाने, बोआई से पहले उनकी उपज का लाभकारी मूल्य दिलाने की गारंटी, किसान जहां चाहे अपनी मरजी से उपज को अपने निर्धारित मूल्यों पर बेच सके, उपज की ढुलाई का खर्च बच सके, इस तरह के किसान हित में प्रावधान किए गए हैं।
अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति देश के अलग-अलग राज्यों के किसान संगठनों का प्रतिनिधि मंच हैं। स्व. शरद जोशी ने इसकी स्थापना की थी जो कृषि क्षेत्र में सुधार के प्रबल समर्थक नेता रहे हैं। महाराष्ट्र के किसान नेता गुणवंत पाटिल व तमिलनाडु के मणिकंदम ने संयुक्त रूप से कहा कि आजादी के बाद किसानों का शोषण होता रहा है। किसानों को खुले बाजार में अपनी उपज बेचने की आजादी नहीं होने से अब तक वे अपनी उपज के मनमाफिक व लाभकारी दाम नहीं ले पाते थे। सरकार के इन सुधारों से किसानों को अब जाकर स्वतंत्रता मिली है।
शाह से उनके आवास पर मंत्रणा
तोमर ने सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से उनके आवास पर मुलाकात की और लगातार दूसरे दिन किसानों की मांगों व उससे जुड़े मसलों पर विचार-विमर्श किया। दोनों मंत्रियों ने देशभर के ऐसे किसानों और उनके नेताओं से संपर्क कर गतिरोध समाप्त करने की विस्तृत योजना पर चर्चा की जिनकी दिलचस्पी जमीनी स्तर पर किसानों के फायदे के मकसद से मुद्दों को सकारात्मक तरीके से सुलझाने में हो।