Sunday, December 22, 2024
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गिद्ध टूट पड़े सत्ता के भूखे खानदान के साथ: विनेश फोगाट के सफर का सिलसिलेवार विवरण,53 किलो से कैसे हुई 50 किलो में एंट्री,क्यों कम नहीं कर पाई 100 ग्राम वजन कम

विनेश फोगाट को पेरिस ओलंपिक 2024 में अयोग्य घोषित कर दिया गया, जिस कारण फाइनल में पहुँचने के बावजूद उन्हें मेडल नहीं मिल पाया। जहाँ पूरे भारत के खेल प्रशंसक IOA के इस फैसले से हैरान हैं, वहीं वामपंथी तंत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ‘रिलायंस फाउंडेशन’ की अध्यक्ष नीता अंबानी को भला-बुरा कह कर अपना उल्लू सीधा कर रहा है। वहीं विपक्ष के नेताओं ने लोकसभा से वॉकआउट कर ‘विनेश फोगाट को न्याय दो’ नारा लगाते हुए हंगामा किया। ऐसे में सवाल उठता है – क्या एक महिला खिलाड़ी को हथियार बना कर राजनीति की जा रही है?

आइए, पहले संक्षेप में समझते हैं कि पूरा मामला है क्या। बुधवार (7 अगस्त, 2024) को विनेश फोगट का मुकाबला रात साढ़े 11 बजे अमेरिका की सारा एन हिल्डेब्रांट से होना था, लेकिन उससे पहले ही उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया क्योंकि उनका वजन अधिकतम तय मानक से 100 ग्राम अधिक पाया गया। विनेश फोगाट 50 किलोग्राम वर्ग में खेल रही हैं। 53 Kg वर्ग में भारत की तरफ से अंतिम पंघाल ने क्वालीफाई किया था। विनेश फोगाट के डॉक्टर ने बताया कि 1 दिन पहले विनेश फोगाट का वजन 2.70 किलोग्राम ज़्यादा हो गया था।

इस तरह रात भर पूरी की पूरी टीम लगी रही, विनेश फोगाट ने भी जम कर पसीना बहाया। जिस दिन पहलवानी का मुकाबला होता है, उसी दिन सुबह में प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे पहलवानों का वजन मापा जाता है। ‘इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन’ (IOA) के ‘चीफ मेडिकल ऑफिसर’ (CMO) डॉ दिनशॉ पार्दीवाला ने बताया कि अधिकतर पहलवान अपने स्वभाविक वजन से कम के वर्ग में खेलते हैं, ताकि प्रतिद्वन्द्वी के ऊपर उन्हें लाभ हासिल हो, ऐसे में पहलवानों को वजन बनाए रखने के लिए खाने-पीने पर नियंत्रण करना होता है, साथ ही वास्प-स्नान के अलावा व्यायाम कर के पसीना भी बहाना होता है।

इससे पहलवान को कमजोरी भी हो सकती है, इसीलिए उसे कम मात्रा में पानी और हाई-एनर्जी ड्रिंक्स दिए जाते हैं। डॉक्टर ने बताया कि रात भर में बाल काटने से लेकर अन्य कई तरह के प्रयास किए गए, लेकिन फिर भी वजन 100 ग्राम अधिक रह गया। 1 दिन पहले ही उन्होंने सेमीफाइनल सहित 3 मुकाबले खेले थे। 29 वर्षीय महिला पहलवान ने जापान की युई सुसाकी को हराया था, जो पिछले ओलंपिक की स्वर्ण पदक विजेता हैं। हालाँकि, उनका मेडल का सपना अधूरा रह गया।

जैसे ही ये खबर सामने आई, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुरंत IOA अध्यक्ष PT उषा से सारे विकल्प आजमाने के लिए कहा, साथ ही IOC के समक्ष कड़ा विरोध भी उनके कहने पर दर्ज कराया गया। इतना ही नहीं, पीएम मोदी ने सार्वजनिक रूप से सोशल मीडिया पर ट्वीट डाल कर विनेश फोगाट को देश के लिए गर्व और प्रेरणा करार दिया, उन्होंने कहा कि ऐसे क्षण आते रहते हैं लेकिन वो एक जुझारू खिलाड़ी हैं और इससे बाहर निकलेंगी। याद कीजिए, जब पिछले ओलंपिक में उन्हें मेडल नहीं मिल पाया था तब भी पीएम मोदी ने उनसे मुलाकात कर उन्हें ढाँढस बँधाया था।

केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने भी संसद में बयान देते हुए बताया कि उनकी आवश्यकताओं के अनुसार हरसंभव सहायता प्रदान की, उनके लिए अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ लोग नियुक्त किए गए। उन्होंने बताया कि कैसे हंगरी के कोच वॉलर एकॉस की सेवा ली गई, फिजियो अश्विनी पाटिल हमेशा उनके साथ रहते हैं, अतिरिक्त व्यक्तिगत सहायक स्टाफ के लिए वित्तीय सहायता भी दी गई। मेंटल कंडीशनिंग कोच वेन लोम्बारड को भी लगाया गया। साथ ही उन्होंने अन्य कोचों व सहायक स्टाफ के नाम भी गिनाए।

उन्होंने बताया कि कैसे भारत सरकार ने कुछ 70.45 लाख रुपए विनेश फोगाट पर खर्च किए हैं। स्पेन में 10 दिन तक अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण और फ़्रांस में ओलंपिक की तैयारी के लिए उन्हें वित्तीय सहायता दी गई। हंगरी स्थित टाटा ओलंपिक सेंटर में भी अतिरिक्त सहायक स्टाफ के लिए उन्हें सहायता दी गई। इसके अलावा रेहाब प्रक्रिया के लिए आवश्यक उपकरण खरीदने के लिए भी उन्हें वित्तीय सहायता दी गई। साथ ही 2020 में टोक्यो ओलंपिक के दौरान भी उन्हें 1 करोड़ रुपए से अधिक की वित्तीय सहायता दी गई थी।

जैसा कि आपने देखा, शुरू से भारत सरकार विनेश फोगाट के साथ थी। सोचिए, खेल या कला क्षेत्र के किसी भी ऐसे व्यक्ति के प्रति कॉन्ग्रेस या TMC जैसी पार्टियाँ कभी भी सहिष्णु रह सकती हैं, खासकर जब उस हस्ती ने इन दलों का विरोध किया हो? इतिहास में उदाहरण हैं। आपातकाल के दौरान इंदिरा गाँधी की बात न मानने पर गायक किशोर कुमार को ‘ऑल इंडिया रेडियो’ (AIR) ने प्रतिबंधित कर दिया था। बॉलीवुड में कई लोकप्रिय गाने लिखने वाले मजरूह सुल्तानपुरी को एक कविता के कारण जवाहरलाल नेहरू ने जेल में डलवा दिया था।

खैर, ये पुरानी बातें हैं। ताज़ा प्रकरण पर आते हैं। लगभग 3 महीने बाद, यानी अक्टूबर 2024 के दूसरे चरण में हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं। भाजपा ने लोकसभा चुनाव से पहले पिछले 9 साल से मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को हटा कर प्रदेश अध्यक्ष रहे नायब सिंह सैनी को CM बनाया। लोकसभा चुनाव में 5-5 से इस बार कॉन्ग्रेस और भाजपा का मुकाबला टाई रहा, जबकि पिछले साल BJP ने सारी 10 सीटें जीत कर क्लीन स्वीप किया था। 10 साल के भाजपा शासन के बाद कॉन्ग्रेस अब हरियाणा में मौका देख रही है।

मनोहर लाल खट्टर को केंद्र में विद्युत के अलावा आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री बनाया गया है। मार्च 2005 से लेकर अक्टूबर 2014 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे भूपिंदर सिंह हुड्डा फ़िलहाल नेता प्रतिपक्ष हैं, राहुल गाँधी के करीबियों में से एक हैं। हाल ही में कुछ किसान नेताओं से उन्होंने राहुल गाँधी की मुलाकात कराई थी। ध्यान दिलाते चलें कि ‘पहलवान आंदोलन’ में उनकी बड़ी भूमिका बताई जाती है, साथ ही पंजाब-हरियाणा के शम्भू बॉर्डर पर अभी भी कई किसान डेरा जमाए बैठे हैं, जिस कारण हाइवे तक बंद करना पड़ा है।

वामपंथी गिरोह तभी सक्रिय हो गया था जब विनेश फोगाट का मेडल पक्का नहीं हुआ था। उनके सेमीफाइनल में पहुँचने के साथ ही माँग की जाने लगी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें बधाई दें। पीएम मोदी सभी खिलाड़ियों को बिना भेदभाव किए मेडल जीतने पर बधाई देते हैं। इन्होंने ये तक नहीं सोचा कि विनेश फोगाट का स्वर्ण पदक वाला मैच बाकी था, ऐसे में पहले ही पीएम मोदी पहले ही बधाई कैसे दे देते। खैर, जश्न मनाने के नाम पर एक ऐसा खेल शुरू हुआ कि पूछिए मत।

आरोप भले कैसरगंज के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर हो, लेकिन इसी बहाने सारे भाजपा नेताओं को घेरा जाने लगा। भाजपा नेताओं ने विनेश फोगाट को जम कर बधाई दी, बिना राजनीति किए। लेकिन, गिरोह विशेष के लोगों ने जश्न के नाम पर सबको चिढ़ाना शुरू कर दिया। महिला पहलवान को सलाह दी जाने लगी कि वो पीएम मोदी का फोन न उठाएँ, सरकार द्वारा उन पर किए जा रहे खर्च को नकारा जाने लगा। राहुल गाँधी ने भी सीधी बधाई न देते हुए विनेश फोगाट को ‘खून के आँसू रुलाए जाने’ का आरोप मढ़ दिया।

ख़ुशी मनाना बहुत अच्छी बात है, लेकिन किसी महिला खिलाड़ी को सेलिब्रेट करते समय उन्हें संरक्षण देने वाले भारत सरकार, उन्हें वित्तीय मदद मुहैया कराने वाले खेल मंत्रालय, उनके साथ हमेशा खड़ा रहने वाले IOA और हर कदम पर उनकी सहायता करने वाले कोच से लेकर सपोर्टिंग कर्मचारियों सबको गाली दी जाने लगी। हमने तस्वीर देखी है कैसे IOA अध्यक्ष PT उषा इस दुःख के क्षण में विनेश फोगाट के साथ हैं। पीटी उषा खुद एक खिलाड़ी रही हैं, महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं, याद कीजिए कैसे रेलरस प्रोटेस्ट के समय उन्हें भी गाली दी गई थी।

पहलवानों के आरोपों की जाँच के लिए जो कमिटी बनी थी उसमें ओलंपिक से लेकर कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स तक में मैच जीतने वाले पहलवान योगेश्वर दत्त को भी शामिल किया गया था। लेकिन अफ़सोस, योगेश्वर दत्त पर भी भद्दी-भद्दी टिप्पणियाँ की गईं। विनेश फोगाट की बहन बबीता फोगाट भाजपा में आ गई हैं, सिर्फ इसी कारण से उन्हें भी निशाना बनाया गया। क्या ये सब खिलाड़ी नहीं थे? आज पूरा देश विनेश फोगाट के साथ खड़ा है, लेकिन क्या योगेश्वर दत्त, बबीता फोगाट और पीटी उषा को भला-बुरा कहने वालों ने माफ़ी माँगी?

इतना ही नहीं, नीता अंबानी को भी नहीं छोड़ा गया। सिर्फ इसीलिए, क्योंकि वो IOC की सदस्य हैं और पेरिस ओलंपिक में मेडल जीतने वाले भारतीय खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन करती हैं। कोई पूछने लगा कि नीता अंबानी हस्तक्षेप क्यों नहीं कर रहीं, तो कोई कहने लगा कि अंबानी परिवार तो पीएम मोदी का मित्र है। इससे घटिया स्तर क्या हो सकता है गिरने का? नीता अंबानी ही ‘रिलायंस फाउंडेशन यूथ स्पोर्ट्स’ भी चलाता है, जिसके तहत देश भर के सैकड़ों शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ रहे किशोर व युवा खिलाड़ियों की प्रतिभाओं को निखारा जाता है।

इतना ही नहीं, असम की बॉक्सर लवलीना बोरगेहेन और हरियाणा की ही पहलवान निशा दहिया भी इसी RFYS के सौजन्य से खेलती रही हैं। ऐसे कई खिलाड़ियों को रिलायंस की इस संस्था ने मदद मुहैया कराया है। असल में वामपंथी गिरोह चाहता है कि आलोचना के डर से देश के उद्योगपति खेल के क्षेत्र में सहायता करना छोड़ दें, ताकि कल को ये मोदी सरकार को खेल में दुर्गति के लिए निशाना बना सकें। लेकिन, ऐसी स्थिति आई ही नहीं है अभी।

आखिर विनेश फोगाट को लेकर संसद में प्रदर्शन का क्या कारण है? उधर पंजाब के मुख्यमंत्री व AAP नेता भगवंत मान ने विनेश के चाचा महावीर फोगाट से मुलाकात की, इसके लिए उन्होंने अपने पहले से तय कार्यक्रमों में बदलाव किए। दीपेंद्र हुड्डा ने पेरिस गए खेल अधिकारियों पर उँगली उठा दी। एक महिला पहलवान को माध्यम बना कर राजनीति कर रहे विपक्ष से और उम्मीद ही क्या की जा सकती है। विधानसभा चुनाव के लिए खेल को राजनीति में घसीटा जा रहा है।

 

विनेश फोगाट महिलाओं के 50 किलो भार वर्ग के फ्री स्टाइल स्पर्धा में चुनौती पेश कर रही थीं. लेकिन बुधवार सुबह जब उनका वज़न किया गया तो उनका वज़न मान्य वज़न से कुछ ग्राम ज़्यादा पाया गया.

भारतीय दल ने विनेश के वज़न को 50 किलोग्राम तक लाने के लिए थोड़ा समय मांगा लेकिन अंततः विनेश फोगाट को तय वज़न से कुछ अधिक भार के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया.

सारी बातें आईने की तरह साफ हो जाएंगी…
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💥फाइनल में पहुँचने से लेकर 💥
♦️डिस्क्वालिफाइड होने तक का सफर♦️

पहलवान ट्रायल्स के पक्ष में नही थे जबकि कुश्ती संघ ट्रायल्स के बाद योग्य बच्चों को ओलम्पिक में भेजना चाहता था, यही असल वजह थी पहलवान और कुश्ती संघ के बीच टकराव की।

कुश्ती संघ नियमो से चलना चाहता था और पहलवान नियम मानने को तैयार नही थे, उन्हें बिना ट्रायल्स के ओलम्पिक में जाना था जूनियर बच्चों का हक मारकर।

तब इस घटना में राजनीति हुई, तमाम बवाल हुए, अंतररष्ट्रीय स्तर पर भारत की बदनामी भी हुई।

सारी कहानी यही से शुरू होती है…

कहानी दो भागों में है…👇

पहले आपको फ्लैश बैक यानी भूतकाल में लिए चलते हैं… 🙏

BBSS व पहलवानों के विवाद व सरकार की किरकिरी होने पर सरकार द्वारा कुश्ती संघ को भंग कर दिया गयाl

अब जब कुश्ती संघ भंग हो चुका था तो एडहॉक कमेटी सारा काम देख रही थीl

5 महीने पहले की बात है, SAI के पटियाला सेंटर में 50 किलो और 53 किलो भार वर्ग में ओलम्पिक 2024 के लिए कुश्ती के ट्रायल्स होने थेl

विनेश ने SAI के पटियाला सेंटर में करीब तीन घंटे तक 50 किलो और 53 किलो वेट कैटेगरी के मुकाबले शुरू नहीं होने दिए, अधिकारियों द्वारा विनेश के इन दोनों वेट कैटेगरी में एक साथ हिस्सा लेने पर सहमति बनने के बाद ही दोपहर 1:30 बजे ट्रायल्स शुरू हो सकेl

असल मे विनेश शुरू से 53 किलो भार वर्ग से कुश्ती लड़ती थी जिसमें अंतिम पंघाल को पहले ही कोटा मिल चुका था इसलिए विनेश चाहती थी कि या तो उन्हें 50 किलो और 53 किलो दोनों कैटेगिरी से लड़ने की इजाजत दी जाए या फिर 53 किलो की कैटेगिरी का ट्रायल ओलम्पिक से ठीक पहले करवाया जाए क्योंकि विनेश को डर था कि यदि WFI के हाथ मे दुबारा कमान आ गयी तब सीधा अंतिम पंघाल को ओलम्पिक में भेजा जा सकता है कोटे से इसलिए वह अधिकारियों से 53 किलो वेट कैटेगरी के आखिरी ट्रायल ओलिंपिक से ठीक पहले दोबारा कराने का लिखित आश्वासन या फिर दोनों वेट कैटेगरी में लड़ने की इजाजत देने की मांग कर रही थींl

बाद में एडहॉक बॉडी ने उन्हें दोनों कैटेगरी में लड़ने की इजाजत दे दीl

नियमो को ताक पर रख विनेश के रुतबे को देख कर ऐसा पहली बार हो रहा था कि कोई एक पहलवान किसी पूरे टूर्नामेंट में एक साथ दो वेट कैटेगरी में हिस्सा ले रहा थाl

आमतौर पर ट्रायल में पहलवान एक वेट कैटेगरी में हारने के बाद दूसरी वेट कैटेगरी की कुश्ती लड़ लेता था पर यहाँ विनेश ने दोनों भार वर्ग में एक साथ लड़ाl

ऐसे में 50 किलो भार वर्ग की कई जूनियर खिलाड़ियों ने विनेश के इस रवैय्ये का विरोध भी किया थाl

53 किलो भार वर्ग में 4 शीर्ष पहलवानों का मुकाबला होना था और जो विजयी रहती उसका मुकाबला कोटा धारी अंतिम पंघाल से होना था, तब जो जीतता वो ओलम्पिक में जाताl

पर विनेश 53 किलो कैटेगरी का सेमीफाइनल मुकाबला तकनीकी श्रेष्ठता के आधार पर अंजू से 0-10 से हार गईंl

इसके बाद उन्होंने 50 किलो वेट कैटेगरी में शिवानी पवार को 11-6 से हराया और ट्रायल्स जीत कर ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई कर लियाl

ये तो थी वो घटनाएं जो 5 महीने पूर्व हुई थीl

अब दूसरा भाग… 👇

आज की ताजा खबर ये है कि पहलवानों का वजन प्रतियोगिता शुरू से होने से पहले एक बार और किसी भी प्रकार के मैडल वाले मुकाबले के शुरू होने से एक दिन पहले व मैच शुरू होने से ठीक पहले फिर दुबारा यानी कुल मिलाकर दो बार किया जाता हैl

सूत्रों की माने तो मंगलवार की रात को मुकाबले से एक दिन पहले विनेश का जब वजन किया गया तब वह 52 किलो से भी ज्यादा थाl

विनेश ने सारी रात साइकलिंग, जॉगिंग व रस्सी कूद की और वजन को कम करते करते 50 किलो के बेहद करीब ले आयी लेकिन वजन 100 ग्राम फिर भी ज्यादा रह गयाl

विनेश और स्टाफ ने इसे कम करने के लिए थोड़ा अतिरिक्त समय मांगा पर ओलम्पिक कमेटी ने साफ मना करते हुए उन्हें अयोग्य घोषित कर दियाl

खबर तो यहाँ तक आ रही है कि विनेश इस 50 किलो को मेन्टेन करने के लिए कई कई दिनों से खाना तक सही से नहीं खा रही थीl

यदि जो खबरे सामने आई है अब तक वो सत्य है तो इसमें दोष केवल और केवल विनेश की खुद को नियम कानूनों से ऊपर समझने की जिद, उनके साथ गए सपोर्टिंग स्टाफ व कोच का हैl

कुश्ती संघ से पहलवानों का सारा विवाद भी इसी चीज के इर्द गिर्द था l

कुश्ती संघ नियम से चलना चाहता था, वो चाहता था कि हर बच्चे को ट्रायल देने का मौका मिले और तब जो बेहतरीन हो वो ओलम्पिक खेले ताकि किसी जूनियर बच्चे के साथ नाइंसाफी न हो पर पहलवान सीधे बिना ट्रायल ओलम्पिक जाना चाहते थेl

भारत मे तो इन्हें बेटी की तरह माना गया तो हर मनमर्जी सही गयी, नियमो में छूट भी मिली पर ओलम्पिक कमेटी ने अतिरिक्त समय देने से साफ इंकार कर दियाl

नियम तो नियम है, विपक्षी पहलवान का हक भी कोई चीज हैl

जब स्पष्ट नियम थे 50 किलो के तो 1 ग्राम की छूट का भी कोई मतलब नही हैl

यही बात कुश्ती संघ भी चाहता था कि सब काम नियम से हो पर विनेश 53 किलो की होने के बावजूद पहले तो 50 किलो वर्ग में गयी और गयी तो गयी उसे मेंटेन नही रख पाई जिसका खामियाजा देश की बदनामी और करोड़ो कुश्ती प्रेमियों को हुई पीड़ा के रूप में आज हम सबको देखना पड़ रहा हैl

राष्ट्रवादी तबका कल से चमचों द्वारा की जा रही बत्तमीजियों के बावजूद एक बार को इनकी पुरानी हरकतों (पहलवान आंदोलन मंच से लगे आपत्तिजनक नारे व इनके द्वारा प्रधानमंत्री के लिए की गई अभद्रता) को भूल के इनके समर्थन में आ गया था पर आज की घटना ने फिर मन विचलित कर दियाl

समझ नही आ रहा कि किस बात की सजा मिल रही है हम भारतीयों को ओलम्पिक में…

यह लम्हा हम भारतीयों और विनेश को ताउम्र याद रहेगा…

इतिहास बनते बनते रह गया…

गलती किसी की भी रही हो, पर 1अरब 40 करोड़ लोगों की आशाओं पर पानी फिर गया है..!….
और हाँ ए इनके साथ पहले भी हुआ है,और इस प्रतियोगिता की इकलौती खिलाडी भी नहीं,जो वजन के कारन अयोग्य घोषित हुई….

🙏🙏🙏साभार🙏🙏🙏

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