पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी ने रविवार (नवंबर 15, 2020) की सुबह तड़के 4:53 बजे ट्वीट कर के हिन्दुओं द्वारा दीपावली मनाने को लेकर आपत्ति जताई। उन्होंने पूछा कि सुबह के साढ़े 4 बजे किस किस्म के लोग पटाखे उड़ाते हैं? उन्होंने दावा किया कि उन्हें तब भी तेज़ आवाज़ में पटाखे छोड़ने की गूँज सुनाई दे रही थी। साथ ही उन्होंने पूछा कि जब कोई फैसला लागू ही नहीं किया जा सकता है तो पटाखों को प्रतिबंधित करने का क्या फायदा?
शाहिद सिद्दीकी ने दावा किया कि जो दिल्ली पहले से ही एक ‘जहरीला नरक’ बनी हुई थी, वो अब दीपावली की अगली सुबह अपने अधिकतर निवासियों के लिए मौत का एक जाल बन जाएगी। शाहिद सिद्दीकी द्वारा दीपावली और पटाखों को लेकर इस तरह ज्ञान दिए जाने के बाद कई लोगों ने उनकी आलोचना भी की और पूछा कि सुबह-सुबह अजान की जो आवाज़ आती है, क्या उससे किसी की तन्द्रा नहीं भंग होती है?
‘बेचैन बैंकर’ नामक ट्विटर यूजर ने लिखा कि वो शाहिद सिद्दीकी की चिंताओं से सहमत हैं और सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिदों में साउंड सिस्टम को लेकर भी कई नियम-कायदे लगाए हुए हैं, जिनका पालन किया जाना चाहिए। साथ ही पूछा कि जब फैसला लागू ही नहीं हो सकता तो सुनाने का क्या फायदा? आदित्य भारद्वाज ने पूछा कि वो कौन से लोग हैं, जो ‘सेक्युलर राष्ट्र भारत’ में अजान के नाम पर दिन में कई बार लोगों को परेशान करते हैं।
एक व्यक्ति ने अपने निजी अनुभव से समय गिनाते हुए कहा कि सबसे पहले तो तड़के 4 बजे और फिर 8 बजे, फिर दोपहर 1 बजे और फिर 4 बजे, इसके बाद शाम के 6 बजे करोड़ों लोगों को साल के 365 दिन नमाज सुनने के लिए बाध्य किया जाता है, इससे हमारा दिमाग बीमार हो रहा है। एक अन्य यूजर ने लिखा कि जो शहरों को नहीं जलाते, वो सुबह में पटाखे छोड़ना पसंद करते हैं। वो सार्वजनिक संपत्ति को नहीं जलाते। शाहिद सिद्दीकी ने पीएम मोदी के ‘9 बजे 9 मिनट’ को लेकर भी आपत्ति जताई थी।
जब लोगों ने मस्जिद में नमाज की बात की तो शाहिद सिद्दीकी भड़क गए और एक यूजर से कहा कि तुम अपने भाइयों से कहो कि वो रोज सुबह पटाखे छोड़ें और तुम इसका बचाव करो। उन्होंने सलाह दी कि वो इसे नियमित क्रियाकलाप बना लें। लोगों ने उन्हें कहा कि वो एक दिन के पटाखे से इतने परेशान हैं, लेकिन साल भर 5 वक़्त के नमाज को लेकर उन्हें कोई दिक्कत नहीं है? दीपावली पर पटाखे उड़ाने वालों को भला-बुरा कहने वाले शाहिद सिद्दीकी ने इन तर्कों पर चुप्पी साध ली।
ऐसे ही पत्रकार रूपा सुब्रमण्या ने ऑपइंडिया की ‘मिशन ब्राइट एंड लाउड दीवाली 2021’ का विरोध करते हुए कुछ ऐसा कह दिया, जिससे कॉन्ग्रेस के एक नेता ही उनसे नाराज़ हो गए और जम कर फटकार लगा दी। रूपा ने कहा कि उन्होंने ऐसा कोई अभियान नहीं देखा, जिसमें इससे ज्यादा प्रदूषण को प्रमोट किया गया हो, या फिर ऐसे इंडस्ट्री का समर्थन किया गया हो, जो ‘बाल मजदूरी’ पर आश्रित है।