Saturday, March 15, 2025
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फर्क जानिए गंदगी में भी क्वालिटी का: त्यागी को गंवार बता रहे नया विकास दुबे,विकास कुख्यात हत्यारा 8पुलिसकर्मियों का,थाने में राज्यमंत्री की हत्या करनेवाला,ये औरत को गाली दे फरार होने वाला

बात दुर्दांत अपराधी विकास दुबे की जिसने बिकरू गांव में बिछा दी थी 8 पुलिसकर्मियों की लाशें

विकास दुबे का नाम चर्चा में तब आया, जब 2 जुलाई 2020 को बिकरू गांव में उसने गुर्गों के साथ मिलकर आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी।

यूपी में अपराधियों की बात की जाए तो बरबस ही पूर्वांचल के बाहुबलियों और माफियाओं के नाम जुबान पर आते हैं। लेकिन कानपुर के विकास दुबे का नाम तब सामने आया, जब 2 जुलाई 2020 की आधी रात चौबेपुर के बिकरू गांव में दुबे और उसके गुर्गों ने डीएसपी, एसओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी।

यूपी के वांछित अपराधियों में से एक और 5 लाख के इनामी रहे विकास दुबे ने 90 के दशक में जुर्म की दुनिया में कदम रखा। स्थानीय नेताओं के राजनैतिक संरक्षण के चलते वह पहले मारपीट करता, छोटे-मोटे अपराध करता और रंगदारी वसूलता था। मामला बढ़ता तो पुलिस थाने ले जाती लेकिन फिर छूट जाता। इसके बाद उसने एक गैंग बनाई और गुर्गों के साथ मिलकर वारदातों को अंजाम देना शुरू किया। 1990 में गांव के ही एक व्यक्ति के कत्ल के मामले में विकास दुबे पर एफआईआर तो दर्ज हुई, लेकिन थोड़े दिनों बाद ही पीड़ित पक्ष की ओर से वापस ले ली गई।

साल 1996 के चुनाव में विकास दुबे, बसपा से विधायक हरिकिशन श्रीवास्तव के साथ था और सामने भाजपा के संतोष शुक्ला खड़े थे। रिजल्ट घोषित हुआ तो हरिकिशन ने चुनाव जीत लिया और विजयी जुलूस निकाला। इस जुलूस में संतोष शुक्ला के साथ रहे लल्लन बाजपेई से विकास की झड़प हो गई। लेकिन जब यही संतोष शुक्ला जिलाध्यक्ष और नगर पंचायत चुनावों के बाद लल्लन बाजपेई बीजेपी से चेयरमैन बन गए तो उनके समर्थकों ने इलाके में उगाही शुरू कर दी।

शिवराजपुर इलाके में वर्चस्व की जंग लड़ने के दौरान साल 2000 में ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय और फिर रामबाबू यादव नामक व्यक्ति की हत्या में भी विकास दुबे का नाम सामने आया था। लेकिन इसी साल जेल में रहते हुए विकास दुबे ने शिवराजपुर सीट से जिला पंचायत का चुनाव भी जीता था।

साल था 2001 और तारीख थी 12 अक्टूबर। विकास दुबे ने अपने गुर्गों के साथ लल्लन बाजपेई के घर पर हमला बोल दिया। लल्लन बाजपेई ने इसकी खबर तत्कालीन राज्यमंत्री संतोष शुक्ला को दी। संतोष शुक्ला ने लल्लन को कहा कि वह शिवली थाने से पुलिस फ़ोर्स को साथ लेकर आ रहे हैं। लेकिन विकास दुबे को इस बात की भनक लगी तो वह खुद शिवली थाने पहुंच गया। शिवली थाने के अंदर ही संतोष शुक्ला और दुबे के बीच बहस हो गई और इसी बीच विकास दुबे ने संतोष शुक्ला को थाने के अंदर ही गोलियों से भून दिया।

शिवली थाने के अंदर एक राज्यमंत्री की हत्या ने हड़कंप मचा दिया। राज्यमंत्री हत्याकांड के बाद भी विकास दुबे को गिरफ्तार नहीं किया गया, लेकिन भारी दबाव के चलते उसने 2002 में आत्मसमर्पण कर दिया। मामले में खास कुछ हुआ नहीं क्योंकि एक भी व्यक्ति विकास दुबे के खिलाफ गवाही देने को तैयार नहीं हुआ। यहां तक कि संतोष शुक्ला के सरकारी गनर और ड्राइवर ने भी मुंह मोड़ लिया और विकास दुबे बरी हो गया।

साल 2004 में एक केबल व्यापारी दिनेश दुबे की हत्या का आरोप भी विकास दुबे पर था और 2018 में अपने ही चचेरे भाई अनुराग पर जानलेवा हमले की साजिश में भी आरोपी दुबे ही था। विकास दुबे के ऊपर 60 से ज्यादा मुकदमें थे, 8 बार गैंगस्टर एक्ट, 6 बार गुंडा एक्ट, 1 बार रासुका (NSA)और 6 बार क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट लगा था। इतने मामलों में संलिप्त होने के बावजूद भी उस पर कोई एक्शन नहीं हुआ था। विकास दुबे जैसे अपराधी पर कार्रवाई न होने के पीछे का कारण उसे प्राप्त राजनीतिक संरक्षण और पुलिस तंत्र में गहरी पैठ थी।

पुलिस ने गालीबाज श्रीकांत त्यागी को मेरठ से गिरफ्तार किया है। श्रीकांत त्यागी कोर्ट में सरेंडर करने के प्रयास में था। इसकी भनक लगते ही पुलिस ने उसे धर दबोचा। नोएडा पुलिस आयुक्त ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि घटना वाले दिन हमारी टीम को एक वीडियो की जानकारी मिली थी। जिसका त्वरित संज्ञान लिया गया। हमारी टीम ने संबंधित एसएचओ को उस वीडियो की जानकारी दी और उस परिवार से संपर्क करते हुए कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए। यह पांच तारीख की घटना थी। पुलिस ने पीड़ित से संपर्क किया और केस दर्ज किया। इसके साथ ही आरोपी की तलाश शुरू की।

जरूरत पड़ने पर 12 टीमों का गठन किया

पुलिस आयुक्त ने कहा कि आरोपी की गिरफ्तारी के लिए पहले आठ टीमों का गठन किया गया था। जिसमें महिला सुरक्षा अधिकारी भी थीं। इसके बाद बड़ी टीम का गठन किया गया। जरूरत पड़ने पर 12 टीमों का गठन किया गया। इसके साथ ही मुख्य आरोपी का लगातार पीछा किया गया। आरोपी यूपी की सीमाओं से बाहर भी गया। हमारी टीम ने तकनीकी की भी मदद ली।

विवाद की जड़ वो जमीन थी
आरोपी श्रीकांत त्यागी बहुत शातिर तरीके से खुद को बचाने में लगा था। हमारी टीमों ने सतर्कता के साथ उसे आज मेरठ से गिरफ्तार कर लिया। विवाद की जड़ वो जमीन थी जिस पर पेड़ लगाने को लेकर आरोपी ने महिला के साथ अभद्रता की थी।

लगातार स्थान बदलता रहा त्यागी
पुलिस आयुक्त ने कहा कि घटना के बाद आरोपी ने सबसे पहले एयरपोर्ट की तरफ जाने की कोशिश की थी। लेकिन घटना का वीडियो काफी वायरल हो चुका था। जिस वजह से आरोपी मेरठ पहुंचा और अगले दिन यानी कि शनिवार को हरिद्वार पहुंचा। वहां से रविवार को वापस यूपी की सीमा में प्रवेश किया। रविवार शाम को मेरठ, मुजफ्फरनगर और आसपास के इलाकों में इसकी सक्रियता देखी गई। इस दौरान इसने न केवल खुद को छुपाया बल्कि लगातार स्थान बदलता रहा। पुलिस को चकमा देने के लिए शातिर वाहन भी बदलता रहा।

गाड़ियों के नंबर ‘001’ के लिए लाखों रुपये खर्च किए
पुलिस आयुक्त ने कहा कि हमारी टीमें इसकी हर गतिविधि पर पैनी नजर बनाए हुए थीं। नकुल त्यागी, संजय, ड्राइवर राहुल इसके मुख्य साथी हैं। ये सभी त्यागी के साथ लंबे समय से जुड़े हुए थे। पुलिस आयुक्त कहा कि इसके पास पांच वाहन मिले हैं, सभी के सीरियल नंबर में 001 कॉमन है। आरोपी ने सभी गाड़ियों के नंबर के लिए लाखों रुपये खर्च किए हैं।

गाड़ी पर लगा स्टीकर स्वामी प्रसाद मौर्य से मिला
आरोपी की गाड़ी पर विधायक को मिलने वाला स्टीकर लगा है। उसका कहना है कि यह स्टीकर उसे स्वामी प्रसाद मौर्य से मिला था। पुलिस आयुक्त ने कहा कि आरोपी पर गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई की जा रही है।

गनर मामले की भी जांच की जा रही
कहा कि अभी तक पांच गाड़ियां बरामद हुई हैं। जिसमें दो फॉर्च्यूनर, दो सफारी और एक होंडा सिविक है। कुछ गाड़ियां इसके और कुछ इसकी पत्नी के नाम पर हैं। इसको गाजियाबाद से मिले गनर मामले की भी जांच की जा रही है।

आवेश में गलती हो गई, अभद्रता के लिए खेद

पुलिस आयुक्त ने कहा कि पूछताछ के दौरान आरोपी ने बताया कि महिला के साथ की गई अभद्रता के लिए वह खेद जताता है। उससे आवेश में गलती हो गई।

Shrikant Tyagi Arrested: नोएडा के गालीबाज नेता श्रीकांत त्यागी को भी पुलिस ने इसी तिकड़म के जरिए उत्तर प्रदेश के मेरठ से धर दबोचा है। उसके साथ तीन और लोग भी पुलिस के हत्थे चढ़े हैं।

Shrikant Tyagi Case: यूपी पुलिस की दबिश से परेशान है श्रीकांत के गांव वाले। पुलिस ने श्रीकांत के गांव गाजियाबाद के सिहानी में उनके पैतृक घर पर भी दबिश डाली जिससे उनके गांव और घर वालों को लगातार परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मीडिया ने श्रीकांत के ताऊ सुभाष त्याग से मीडिया ने बात की तो उन्होंने कहा वो विकास दुबे बन गया है दूसरा विकास दुबे। पुलिस नहीं छोड़ेगी उसे। कथित बीजेपी नेता श्रीकांत त्यागी के महिला के साथ अभद्रता का वीडियो वायरल होने से पुलिस उसकी तलाश में लग गई थी।

एक ओर श्रीकांत त्यागी के सरेंडर करने की चर्चा है तो दूसरी ओर पुलिस लगातार श्रीकांत की खोज में छापेमारी कर रही है। श्रीकांत के पैतृक गांव गाजियाबाद के सिहानी में उनके घरवाले और रिश्तेदार इस घटना के बाद से काफी परेशान हैं। जब इस परेशानी के बारे में श्रीकांत त्यागी के ताऊ से बात की गई तो वो भड़क उठे उन्होंने कहा उसने महिला के साथ गलत किया, क्यों धौंस दे रहा था, क्यों धक्के दे रहा था भाई। उनके ताऊ ने कहा उसे तभी पुलिस के पास सरेंडर कर देना चाहिए था जब उसने अभद्रता की थी अब तो पुलिस उसे छोड़ेगी नहीं मारेगी भी।

श्रीकांत के परिजन भी उसका समर्थन नहीं कर रहे हैं

वहीं जब श्रीकांत त्यागी की बहन रश्मिका से इस मुद्दे पर बात की गई तो उन्होंने कहा, महिला के साथ श्रीकांत ने जो व्यवहार किया उसका न तो वो समर्थन करती हैं और न ही उनका परिवार। उन्होंने भी इस मामल में भाई को दोषी बताते हुए कहा उन्हें सरेंडर कर देना चाहिए। वहीं यूपी के लॉ एंड ऑर्डर एडीजी प्रशांत कुमार ने नोएडा के मामले पर जानकारी दी

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