बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने राजस्थान और मध्य प्रदेश समेत चार राज्यों के आगामी विधानसभा चुनाव और अगला लोकसभा चुनाव अपने बलबूते लड़ने का ऐलान किया तो कांग्रेस उन पर बरस पड़ी। कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि INDIA गठबंधन ने या कांग्रेस ने मायावती जी को कोई प्रार्थना पत्र नहीं दिया जो वो बार बार कह रही हैं कि वो शामिल नहीं होंगी। उन्होंने मायावती पर हमला करते हुए कहा कि मायावती दलित नहीं बल्कि दौलत की बेटी हैं। उन्होंने कहा कि मायावती के ये बयान दौलत वालों का और आरक्षण के विरोधियों को लाभ पहुँचा रहे हैं। दूसरी ओर मायावती की आलोचना को लेकर कांग्रेस में ही अंतर्विरोध तब देखने को मिला जब पार्टी नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत के बयान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्हें रक्षा बंधन के दिन बहिन जी पर इतना बड़ा “हमला” नहीं करना चाहिये था। प्रमोद कृष्णम ने कहा कि बहन मायावती जी को दलित की बेटी की जगह “दौलत” की बेटी कहना पूरे दलित समाज को “अपमानित” करने जैसा है। देखा जाये तो आचार्य प्रमोद कृष्णम ने मायावती का बचाव करके एकदम सही किया है क्योंकि यह रवैया ठीक नहीं है कि कोई दल आपके साथ नहीं आये तो आप उसे गाली देने लग जायें।
जहां तक मायावती के बयान की बात है तो आपको बता दें कि उन्होंने सोशल नेटवर्किंग मंच ‘एक्स’ पर किए गए सिलसिलेवार पोस्ट में कहा, “एनडीए (भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) और इण्डिया (विपक्षी दलों का गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस) गठबंधन अधिकतर गरीब-विरोधी जातिवादी, साम्प्रदायिक, धन्नासेठ-समर्थक व पूंजीवादी नीतियों वाली पार्टियाँ हैं जिनकी नीतियों के विरुद्ध बसपा अनवरत संघर्षरत है और इसीलिए इनसे गठबंधन करके चुनाव लड़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता। अतः मीडिया से अपील-नो फेक न्यूज प्लीज़।” उन्होंने एक अन्य पोस्ट में कहा, “बसपा, विरोधियों के जुगाड/जोड़तोड़ से ज्यादा समाज के टूटे/बिखरे हुए करोड़ों उपेक्षितों को आपसी भाईचारा के आधार पर जोड़कर उनके गठबंधन से सन् 2007 की तरह अकेले आगामी लोकसभा चुनाव तथा चार राज्यों में विधानसभा चुनाव लडे़गी।” मायावती ने आगे कहा, “वैसे तो बसपा से गठबंधन के लिए यहाँ सभी आतुर हैं लेकिन ऐसा न करने पर विपक्षी दलों द्वारा खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे की तरह भाजपा से मिलीभगत के आरोप लगाये जाते हैं। इनसे मिल जाएं तो सेक्युलर, न मिलें तो भाजपाई। यह घोर अनुचित है और अंगूर मिल जाए तो ठीक वरना अंगूर खट्टे हैं, की कहावत जैसा है।”
बहरहाल, मायावती के बयान पर जहां तक समाजवादी पार्टी और भाजपा की प्रतिक्रिया की बात है तो आपको बता दें कि सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा है कि उन्हें पहले से पता था कि ऐसा ही होगा क्योंकि इसके संकेत काफी समय से मिल रहे थे। एक पत्रकार के सवाल के जवाब में अखिलेश ने कहा कि आप मायावती के ट्वीट देखा करिये आपको सब पता चल जायेगा। वहीं भाजपा के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ नेता डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने कहा है कि मायावती एक सुलझी हुईं और अनुभवी राजनेता हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने जो भी फैसला किया है वह अपनी पार्टी के हित को देखते हुए किया होगा। बाजपेयी ने कहा कि किससे गठबंधन करना है और गठबंधन करना भी है या नहीं करना है, इसका फैसला लेने का मायावती को अधिकार है।