क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने वाले भारतीय निवेशकों में क्रिप्टो बिल की खबर ने चिंता बढ़ा दी है। ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि अगर भारत में क्रिप्टोकरेंसी को बैन कर दिया गया, तो उन लोगों का क्या होगा, जो इसमें भारी-भरकम निवेश कर चुके हैं। एक रिपोर्ट के मुताबकि, देश की लगभग आठ फीसदी आबाद ने कई तरह की डिजिटल मुद्राओं में निवेश किया हुआ है।
Cryptocurrency से हैं कन्फ्यूज! आइए, इस ‘सीक्रेट’ करेंसी को जरा खुलकर जानते हैं
आसान भाषा में कहें तो क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) एक डिजिटल कैश (Digital Money) प्रणाली है, जो कम्प्यूटर एल्गोरिदम पर बनी है. यह सिर्फ डिजिट के रूप में ऑनलाइन रहती है. इस पर किसी भी देश या सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है.
क्या होती है क्रिप्टोकरेंसी?
Cryptocurrency दो शब्दों से मिलकर बना शब्द है. Crypto जोकि लैटिन भाषा का शब्द है जो cryptography से बना है और जिसका मतलब होता है, छुपा हुआ/हुई. जबकि Currency भी लैटिन के currentia से आया है, जो कि रुपये-पैसे के लिए इस्तेमाल होता है. तो क्रिप्टोकरेंसी का मतलब हुआ छुपा हुआ पैसा. या गुप्त पैसा. या डिजिटल रुपया. कैपिटल वाया ग्लोबल रिसर्च लिमिटेड के इंटरनेशनल एंड कमोडिटीज रिसर्च के लीड और क्रिप्टोकरेंसी पर गहरी पकड़ रखने वाले क्षितिज पुरोहित (Kshitij Purohit) बताते हैं कि आमतौर पर क्रिप्टोकरेंसी एक तरह का डिजिटल पैसा है, जिसे आप छू तो नहीं सकते, लेकिन रख सकते हैं. यानी यह मुद्रा का एक डिजिटल रूप है. यह किसी सिक्के या नोट की तरह ठोस रूप में आपकी जेब में नहीं होता है. यह पूरी तरह से ऑनलाइन होता है.
इसे आसान भाषा में ऐसे समझिए कि हर देश की अपनी मुद्रा (Currency) है. जैसे कि भारत के पास रुपया, अमेरिका के पास डॉलर, सउदी अरब के पास रियाल, इंग्लैंड के पास यूरो है. हर देश की अपनी-अपनी करेंसी हैं. यानी एक ऐसी धन-प्रणाली जो किसी देश द्वारा मान्य हो और वहां के लोग इसके इस्तेमाल से जरूरी चीजें खरीद सकते हों. यानी जिसकी कोई वैल्यू हो, करेंसी (Currency) कहलाती है.
किसने बनाई और क्यों बनाई?
इस बारे में क्षितिज बताते हैं कि बहुत सारे लोग मानते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी 2009 में सतोशी नाकामोतो ने शुरू किया था, लेकिन ऐसा नहीं है. इससे पहले भी कई निवेशकों ने या देशों ने डिजिटल मुद्रा पर काम किया था. यूएस ने 1996 मुख्य इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड बनाया था, ऐसा गोल्ड जिसे रखा नहीं जा सकता था, लेकिन इससे दूसरी चीजें खरीदी जा सकती थीं. हालांकि 2008 इसे बैन कर दिया गया. वैसा ही 2000 की साल में नीदरलैंड ने पेट्रोल भरने के लिए कैश को स्मार्ट कार्ड से जोड़ा था.
Bitcoin सबसे महंगी Virtual Currency
आसान भाषा में कहें तो क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल कैश प्रणाली है, जो कम्प्यूटर एल्गोरिदम पर बनी है. यह सिर्फ डिजिट के रूप में ऑनलाइन रहती है. इस पर किसी भी देश या सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है. शुरुआत में इसे अवैध करार दिया गया था. लेकिन बाद में Bitcoin की बढ़ती लोकप्रियता के चलते इसे कई देशों में लीगल कर दिया गया है. कुछ देश तो अपनी खुद की क्रिप्टोकरेंसी ला रहे हैं. Bitcoin दुनिया की सबसे महंगी वर्चुअल करेंसी है.
कैसे काम करती है Cryptocurrency?
पिछले कुछ सालों से क्रिप्टोकरेंसी मुद्राओं की लोकप्रियता बढ़ी है. इन्हें ब्लॉकचेन सॉफ़्टवेयर के ज़रिए इस्तेमाल किया जाता है. ये डिजिटल मुद्रा इनक्रिप्टेड यानी कोडेड होती हैं. इसे एक डिसेंट्रेलाइज्ड सिस्टम के जरिए मैनेज किया जाता है. इसमें प्रत्येक लेन-देन का डिजिटल सिग्नेचर द्वारा वेरिफिकेशन होता है. क्रिप्टोग्राफी की मदद से इसका रिकॉर्ड रखा जाता है. क्षितिज बताते हैं कि इसके जरिए खरीदी को क्रिप्टो माइनिंग (Cryptocurrency Mininig) कहा जाता है क्योंकि हर जानकारी का डिजिटल रूप से डेटाबेस तैयार करना पड़ता है. जिनके द्वारा यह माइनिंग की जाती है, उन्हें माइनर्स कहा जाता है.
आसान भाषा में और समझें तो क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारिक एक वर्चुअल करेंसी है जो क्रिप्टोग्राफी द्वारा सुरक्षित है. यह सारा काम पावरफुल कंप्यूटर्स के जरिए होता है. क्षितिज तो यहां तक कहते हैं कि इसके कोड को कॉपी करना लगभग नामुमकिन है.
कैसे होता है लेन-देन?
क्रिप्टोकरेंसी में जब भी कोई ट्रैंजेक्शन होता है तो इसकी जानकारी ब्लॉकचेन में दर्ज की जाती है, यानी उसे एक ब्लॉक में रखा जाता है. इस ब्लॉक की सिक्योरिटी और इंक्रिप्शन का काम माइनर्स का होता है. इसके लिए वे एक क्रिप्टोग्राफिक (Cryptographic) पहेली को हल कर ब्लॉक के लिए उचित Hash (एक कोड) खोजते हैं.
हैश खोजने के बाद क्या होता है?
जब कोई माइनर पुख्ता hash खोजकर ब्लॉक सिक्योर कर देता है तो उसे ब्लॉकचेन से जोड़ दिया जाता है और नेटवर्क में दूसरे नोड (Compuers) के जरिए उसे वेरिफाई किया जाता है. इस प्रक्रिया को आम सहमति (consensus) कहा जाता है.
आम सहमति मिलने के बाद क्या होता है?
अगर consensus हो गया समझिए ब्लॉक के सिक्योर होने की पुष्टि हो गई. वह सही पाया जाता है तो उसे सिक्योर करने वाले माइनर को क्रिप्टोक्वॉइन (cryptocoin) दे दिए जाते हैं. यह एक रिवार्ड है जिसे काम का सबूत माना जाता है.
कितने की तरह होती हैं?
अब दिमाग में एक सवाल यह भी उठ रहा है कि यह डिजिटल रूप में है तो कितने तरह की होती है. इसको लेकर क्षितिज पुरोहत बताते हैं कि देखा जाये तो कुल 1800 से ज्यादा क्रिप्टो मुद्राएं उपलब्ध हैं. जिन्हें आप Bitcoin के अलावा भी इस्तेमाल कर सकते हैं. एथेरियम (ETH), लिटकोइन (LTC), डॉगकॉइन (Dogecoin) फेयरकॉइन (FAIR), डैश (DASH), पीरकॉइन (PPC), रिपल (XRP) हैं.
क्रिप्टोकरेंसी पर भरोसा कैसे करें?
क्षितिज कहते हैं कि लोगों ने भविष्यवाणी की थी कि बिटकॉइन लगभग $180-$200 के आसपास आकर खत्म हो जाएगा. लेकिन जनता द्वारा बड़े पैमाने पर अपनाने के साथ और यह अधिक विश्वास प्राप्त कर रहा है. पिछली तिमाही में बिटकॉइन (Bitcoin) के मार्केट कैप में लगभग $700 मिलियन डॉलर जोड़े थे. हालांकि, सितंबर 2020 के बाद से कीमत लगभग दोगुने से अधिक है.
कई देश लाने वाले हैं क्रिप्टोकरेंसी
हालांकि इस बात पर बहस होती रही है कि यह बबल स्पेस में है और किसी भी समय यह फट सकता है लेकिन बड़े पैमाने पर स्वीकृति और नए निवेशकों द्वारा प्रवेश करने से और अधिक वैल्युएबल हो गया है. भरोसा तो करना ही पड़ेगा क्योंकि कई देश अब अपनी क्रिप्टोकरेंसी लाने पर विचार कर रहे हैं. पहले सरकार इसे बैन करने पर विचार कर रही थी, लेकिन अब इसमें नरमी देखी गई है.
भारतीय मार्केट प्लेयर कौन-कौन हैं?
Bitcoin Wallet हमारे मोबाइल वॉलेट से काफी मिलते-जुलते हैं. जहां हम अपना पैसा स्टोर करते हैं और उसी से ट्रांजेक्शन करते हैं. WazirX, Unocoin, Zebpay भारतीय कंपनियां हैं जो बिटक्वॉइन के कारोबार में हैं.
क्या कहते हैं WazirX के फाइंडर?
WazirX के फाउंडर और CEO निश्चल शेट्टी ने एक इंटरव्यू में कहा, ‘भारत में अभी इसे लेकर बहुत कनफ्यूजन है. क्योंकि देश में इसके लिए कोई रेगुलेशन नहीं है. लोग इसके बारे में सुनते हैं तो डर जाते हैं. वास्तव में इंटरनेट पर मौजूद बहुत सारी चीजें अनरेगुलेटेड हैं. ola, uber सहित ई-कॉमर्स भी अनरेगुलेटेड हैं. ‘इन्वेस्टर्स के लिए सबसे जरूरी बात ये है कि रेगुलेटेड नहीं होने से फ्रॉड और स्कैम की संभावना बढ़ जाती है.
क्रिप्टो कैसे खरीदें और बेचें?
इस सवाल का जवाब भी अब आसान हो गया है. बढ़ती लोकप्रियता के चलते अब बाजार में ढेरो क्रिप्टो एक्सचेंज प्लेटफॉर्म्स हैं. ऐसे में देश में Bitcoin और Dogecoin जैसी क्रिप्टोकरेंसी को खरीदना और बेचना काफी आसान है. पॉपुलर प्लेटफॉर्म्स में WazirX, Zebpay, Coinswitch Kuber और CoinDCX GO के नाम शामिल हैं. इन्वेस्टर्स Coinbase और Binance जैसे इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म्स से Bitcoin, Dogecoin और Ethereum जैसी दूसरी क्रिप्टोकरेंसी भी खरीद सकते हैं.
सबसे खास बात यह है कि खरीदारी के ये सभी प्लेटफॉर्म चौबीसों घंटे खुले रहते हैं. क्रिप्टोकरेंसी को खरीदने और बेचने की प्रक्रिया भी काफी आसान है. आपको केवल इन प्लेटफॉर्म्स पर साइन अप करना होगा. इसके बाद अपना KYC प्रोसेस पूरा कर वॉलेट में मनी ट्रांसफर करना होगा. इसके बाद आप खरीदारी कर पाएंगे.
क्रिप्टो के साथ क्या-क्या किया जा सकता है?
जुलाई को क्रिप्टोकरेंसी से दुनिया का सबसे महंगा हीरा खरीदा गया है. इससे साफ हो गया है कि इससे भौतिक चीजें भी भविष्य में खरीदी जा सकेंगी. हालांति क्रिप्टोकरेंसी को नोट और सिक्कों के रूम में प्रिंट नहीं किया जा सकता है. लेकिन फिर भी इसकी अपनी वैल्यू है. Cryptocurrency से आप सामान खरीद सकते हैं, Trade कर सकते हैं और इन्वेस्ट कर सकते हैं, लेकिन अपनी तिजोरी में नहीं रख सकते. न ही बैंक के लॉकर में रख सकते हैं. क्योंकि यह Digits के रूप ऑनलाइन रहती है. इसे डिजिटल मनी, वर्चुअल मनी और इलेक्ट्रॉनिक मनी भी कहा जाता है. इसकी वैल्यू फिजिकल करेंसी से कहीं ज्यादा है. कुछ टॉप क्रिप्टोकरेंसी की वैल्यू तो डॉलर से भी हजारों गुना ज्यादा है.
Cryptocurrency मार्केट क्या है?
वह जगह जहां cryptocurrencies की खरीद-फरोख्त और ट्रेडिंग होती है. इसे cryptocurrency Exchange, Digital Currency Exchange (DCE), Coin market और Crypto Market जैसे नामों से जाना जाता है.
क्रिप्टो का भविष्य क्या है?
Bitcoin के बारे में दो बातें सबसे अहम हैं- एक, ये डिजिटल यानी इंटरनेट के ज़रिए इस्तेमाल होने वाली मुद्रा है और दूसरे, इसे पारंपरिक मुद्रा के विकल्प के तौर पर देखा जाता है. क्रिप्टोकरेंसी को इस समय भरोसे के संकट का सामना करना पड़ रहा है. सरकारें इसे शक़ की निगाहों से देखती हैं और इसे पारंपरिक करेंसी के लिए ख़तरा मानती हैं. सरकारों को ये भी लगता है कि क्रिप्टोकरेंसी एक ऐसी वर्चुअल दुनिया का हिस्सा है जो सरकारी नियंत्रण से मुक्त होने की कोशिश कर रही है और वास्तविक दुनिया के समानांतर चलने की कोशिश कर रही है.
सरकार का क्या है रुख?
अहम बात यह है कि केंद्र सरकार नए प्रस्तावित बिल में क्रिप्टो करेंसी पर पूरी तरह से पाबंदी लगा सकता है. इस बाबत वर्ष 2017 में एक कमेटी का केंद्र ने गठन किया था. इस कमेटी ने क्रिप्टो करेंसी पर पाबंदी लगाने का प्रस्ताव दिया था. ऐसे में क्रिप्टो करेंसी के जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में सरकार सभी क्रिप्टो करेंसी पर पाबंदी लगाने का फैसला ले सकती है
70 हजार करोड़ रुपये दांव पर लगे
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में जितने लोगों ने क्रिप्टोकरेंसी में निवेश किया है, वो भारत की आबादी का लगभग 8 प्रतिशत हैं। इन निवेशकों ने करीब 70 हजार करोड़ रुपये वर्तमान में दुनियाभर में प्रचलित कई तरह की डिजिटल करेंसी में लगाए हुए है। ऐसे में अगर सरकार भारत में क्रिप्टो पर बैन लगाने का फैसला करती है तो दांव 70 हजार करोड़ रुपये लगा चुके भारतीय निवेशकों के लिए तगड़ा झटका होगा। बता दें कि 2009 में लॉन्च किए जाने के बाद साल 2013 तक सिर्फ बिटक्वाइन ही एकमात्र डिजिटल करेंसी चलन में थी। लेकिन अब दुनियाभर में सात हजार से ज्यादा अलग-अलग क्रिप्टोकरेंसी चलन में हैं। हालांकि दुनिया की सबसे लोकप्रिय डिजिटल मुद्रा अभी भी बिटक्वाइन बनी हुई है और इसके बाद इथेरियम का नंबर आता है।
क्रिप्टाकरेंसी बिल का मसौदा तैयार
गौरतलब है कि भारत सरकार ने शीतकालीन सत्र में पेश करने के लिए क्रिप्टोकरेंसी बिल का मसौदा तैयार कर लिया है। ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि जल्द ही सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने वाली है। केंद्र सरकार इस शीतकालीन सत्र में 26 नए बिल को पेश करेगी, जिसमें तीन अध्यादेश भी शामिल है। मंगलवार शाम को शीतकालीन सत्र के लिए जारी लेजिस्लेटिव एजेंडा से यह जानकारी मिली है। इसमें सबसे ज्यादा नजरें क्रिप्टोकरेंसी बिल पर टिकी हुई हैं। हालांकि, सरकार क्रिप्टोकरेंसी को पूरी तरह से प्रतिबंधित करेगी या फिर कुछ शर्तों के साथ इसकी ट्रेडिंग की इजाजत मिलती है ये तो बिल बाने के बाद ही साफ हो सकेगा।
बैन लगने के फैसले का ये होगा असर
जेरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामत ने अपने आधिकारित ट्विटर अकाउंट से ट्वीट कर कहा है कि अगर सरकार क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े बिल ‘द क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021’ के तहत भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने का फैसला करती है तो बिटक्वाइन समेत दूसरी सभी डिजिटल मुद्राओं निवेश करने वालों के लिए बड़ी परेशानी हो सकता है। अगर सरकार क्रिप्टो पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया जाता है तो इसके बाद बैंक और आपके क्रिप्टो एक्सचेंजों के बीच लेनदेन बंद हो जाएगा। आप क्रिप्टोकरेंसी खरीदने के लिए अपनी स्थानीय मुद्रा को परिवर्तित नहीं कर पाएंगे और न ही उन्हें भुना पाएंगे।
क्रिप्टो करेंसी का क्रेज लगातार बढ़ रहा है। भारत में सरकार क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित कानून लाने वाली है और इसकी खबर आते ही पिछले दिनों से क्रिप्टो बाजार में कत्लेआम मचा हुआ है।
अगर आप भी क्रिप्टोकरेंसी को गंभीरता से समझना चाहते हैं तो आपको यह पता होना चाहिए कि क्रिप्टोकरेंसी दो तरह की होती है। इनमें से एक प्राइवेट क्रिप्टो करेंसी है और दूसरी पब्लिक क्रिप्टो करेंसी। अगर आप इन दोनों के बीच अंतर नहीं जानते तो आज हम आपको इस बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
पब्लिक क्रिप्टोकरेंसी
ऐसी सभी क्रिप्टो करेंसी जिनके ट्रांजैक्शन एक-दूसरे से लिंक हो उन्हें पब्लिक क्रिप्टो करेंसी कहते हैं। पब्लिक क्रिप्टो करेंसी में यह पता किया जा सकता है कि यह करेंसी किस किस व्यक्ति के पास से गुजरी है। बिटकॉइन, इथर या टेलर से लेकर तमाम बड़ी क्रिप्टो करेंसी पब्लिक क्रिप्टो करेंसी हैं।
प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी
कई क्रिप्टोकरेंसी ऐसी हैं जिनके लेनदेन की जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाती है, इन्हें प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी कहते हैं। Monero, Dash और दूसरे Crypto token भी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी में आते हैं। इन प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी में यूजर की प्राइवेसी बनी रहती है, उनका डेटा सुरक्षित रहता है। इसे प्राइवेट टोकन भी कहते हैं।
प्राइवेट कॉइन की खासियत
प्राइवेट क्रिप्टो करेंसी यूजर के वॉलेट का बैलेंस और उसका पता जाहिर नहीं होने देते। इसी विशेषता के चलते इनका इस्तेमाल अवैध गतिविधियों में हो सकता है। भारत में सरकार क्रिप्टो करेंसी पर जो कानून ला रही है उसके तहत प्राइवेट किसको करेंसी को बैन किया जा सकता है।
प्राइवेट क्रिप्टो की तकनीक
प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी प्राइवेट ब्लॉकचेन के सहारे चलती है। इसे ट्रेस करना लगभग नामुमकिन हो जाता है। आमतौर पर इसकी परिभाषा भी यही है। जीकैश, मोनेरो, डैश प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी के कुछ उदाहरण है, वहीं बिटकॉइन, डॉगकॉइन, इथेरियम ये सब पब्लिक क्रिप्टोकरेंसी हैं जिनके ट्रांजेक्शन को ट्रेस किया जा सकता है।
क्रिप्टो के दुरुपयोग पर नजरें
क्रिप्टोकरेंसी के ट्रांजेक्शन को ट्रैक करना काफी जटिल है और सरकार का मानना है कि इसका बड़े स्तर पर दुरुपयोग हो सकता है। क्रिप्टो को हवाला फंडिंग या टेरर फंडिंग के लिए उपयोग किया जा सकता है, इसलिए इसे बैन करने या रेगुलेट करने की जरूरत है।
साल 2009 में Satoshi Nakamoto ने Bitcoin नाम की Cryptocurrency की शुरुआत की थी.
दुनिया भर में इन दिनों क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) सुर्ख़ियों में है. ये दो शब्दों Crypto और Currency से मिलकर बना शब्द है. इसमें Crypto लैटिन भाषा का एक शब्द है जो Cryptography से बना है. इसका मतलब छुपी हुई होता है. जबकि Currency भी लैटिन के Currentia शब्द से आया है जिसे रुपये-पैसों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. ये एक प्रक्रार की ‘डिजिटल करेंसी’ है, जो क्रिप्टोग्राफ़ी के नियमों के आधार पर चलती और बनाई जाती है. इसका अर्थ होता है कोडिंग की भाषा को सुलझाने की कला. इसलिए इसे ‘वर्चुअल करेंसी’ भी कहते हैं.
क्रिप्टोकरेंसी क्या है (What is Cryptocurrency)
आज इंटरनेशनल मार्केट में आज कई तरह की क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) मौजूद है. दुनिया के करोड़ों लोग ‘क्रिप्टोकरेंसी’ में इन्वेस्टमेंट करके आज करोड़पति बन चुके हैं. आमतौर पर क्रिप्टोकरेंसी एक तरह का डिजिटल पैसा है, जिसे आप छू तो नहीं सकते, लेकिन रख ज़रूर सकते हैं. ये मुद्रा का एक डिजिटल रूप है. ये किसी सिक्के या नोट की तरह ठोस रूप में आपकी जेब में नहीं होता है. ये पूरी तरह से ऑनलाइन होता है. इसे आप केवल Electronic Form में सेव करते हैं. वर्तमान परिपेक्ष में इसका प्रचलन काफ़ी बढ़ रहा है. इसे आप किसी भी अन्य Currency डॉलर, रुपया ,क्रोना, दिनार आदि की तरह ख़रीद सकते हैं.
आज हम हमको इसी क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं-
आसान भाषा में कहें तो क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) एक तरह की ‘डिजिटल टेक्नोलोजी’ है. क्रिप्टो एक ख़ास तरह का ‘कोड’ है, जो कंप्यूटर के अंदर स्टोर होता है. ये एक कंप्यूटर Algorithm पर बनी करेंसी है, जो केवल इंटरनेट पर मौजूद है. क्रिप्टोकरेंसी एक तरह से Decentralized Asset भी कह सकते हैं, क्योंकि इस पर न तो किसी इंडीविज्युअल का अधिकार हो सकता है और न ही इसे कोई अथॉरिटी रेग्युलेट कर सकती है.
क्रिप्टोकरेंसी किसने और क्यों बनाई?
साल 2009 में सतोशी नाकामोतो (Satoshi Nakamoto) ने बिटकॉइन (Bitcoin) नाम की क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) की शुरुआत की थी. इस दौरान उसने एक सफ़ेद कागज़ पर ‘बिटकॉइन’ लिखकर उसे इंटरनेट पर डाल दिया था, जिसे कई लोगों ने एक्सेप्ट किया. लेकिन सतोशी नाकामोतो कौन है, कहां रहता है, क्या करता है? ये किसी को भी नहीं मालूम. बिटकॉइन की सबसे छोटी यूनिट Satoshi है. 1 बिटकॉइन 10 करोड़ Satoshi के बराबर होता है. आज सतोशी नाकामोतो के पास 9 लाख 80 हज़ार Bitcoin हैं.
हैं.
आख़िर क्या है ये Bitcoin
बिटकॉइन (Bitcoin) एक ‘डिजिटल करेंसी’ हैं. इसे ‘बिटकॉइन वॉलेट’ में सेव करते हैं. ये एक क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) है जो रियल में एक्सिस्ट नहीं करती है. इसे हम एक सिक्योर ऑनलाइन Transaction करने के लिए इस्तेमाल करतें हैं. ये 0 और 1 सीरीज़ में आती है और इसे कंप्यूटर में सेव कर सकते हैं. आज के दौर में 1 बिटकॉइन की क़ीमत 34 लाख रुपये के क़रीब है.