Sunday, December 22, 2024
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ममता बनर्जी के राजनैतिक सन्यास का समय,17 अक्टूबर 2008 याद करिये

बटला हाउस एनकाउंटर जिसे आधिकारिक तौर पर ऑपरेशन बाटला हाउस के रूप में जाना जाता है।सितंबर 19, 2008 को दिल्ली के जामिया नगर इलाके में इंडियन मुजाहिदीन के संदिग्ध आतंकवादियों के खिलाफ की गयी मुठभेड़ थी, जिसमें दो संदिग्ध आतंकवादी आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद मारे गए, दो अन्य संदिग्ध सैफ मोहम्मद और आरिज़ खान भागने में कामयाब हो गया, जबकि एक और आरोपी ज़ीशान को गिरफ्तार कर लिया गया। इस मुठभेड़ का नेतृत्व कर रहे एनकाउंटर विशेषज्ञ और दिल्ली पुलिस निरीक्षक मोहन चंद शर्मा इस घटना में शहीद हो गए। मुठभेड़ के दौरान स्थानीय लोगों की गिरफ्तारी हुई, जिसके खिलाफ अनेक राजनीतिक दलों(राजनीति करने के मकसद से), कार्यकर्ताओं और विशेष रूप से जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के शिक्षकों और छात्रों ने व्यापक रूप से विरोध प्रदर्शन किया। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) जैसे कई राजनीतिक संगठनों ने संसद में मुठभेड़ की न्यायिक जांच करने की मांग उठाई, जैसे-जैसे समाचार पत्रों में मुठभेड़ के “नए संस्करण” प्रदर्शित होने लगे।


दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल में मोहन चंद शर्मा इंस्पेक्टर की अगुवाई में दिल्ली पुलिस की सात सदस्यीय टीम ने एल -18, बाटला हाउस के एल -18 में अपने किराए के पते पर ही मुठभेड़ हुई, 19 सितंबर 2008 को। तब एसीपी संजीव कुमार यादव ने भी इस मुठभेड़ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।[3] टीम को विशिष्ट जानकारी मिली थी कि दिल्ली में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के सिलसिले में एक संदिग्ध व्यक्ति जामिया नगर के बटला हाउस इलाके के एक फ्लैट में छिपा था।

13 सितंबर 2008 को दिल्ली में हुए सीरियल ब्लास्ट के बाद हुए बटला हाउस बाटला हाउस एनकाउंटर से जुड़े एक केस में दिल्‍ली की एक अदालत ने इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी आरिज खान को दोषी करार दिया है। एनकाउंटर के जिस ऑपरेशन को लेकर आरिज को दोषी बनाया गया है, उसे लेकर बीते एक दशक में तमाम थ्योरी और राजनीतिक बयान सामने आ चुके हैं। इसे चाहे मुस्लिम वोटों का तुष्टिकरण कहें या कुछ और लेकिन एक दशक के इस दौर में ममता बनर्जी सरीखे तमाम नेता ऐसे रहे हैं, जिन्होंने इस एनकाउंटर में मारे गए दोषियों से ही संवेदना जताते हुए बयान दिए थे। ममता बनर्जी के ऐसे ही एक बयान को लेकर बीजेपी ने अब उन्हें उनका भाषण याद दिलाया है

दरअसल, ममता बनर्जी ने 17 अक्टूबर 2008 को दिल्ली के जामिया नगर में एक सभा को संबोधित करते हुए बटला हाउस के एनकाउंटर को फर्जी बताया था। ममता उस वक्त तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष थीं और पश्चिम बंगाल में उस वक्त वाम दलों की सरकार थी। ऐसे में ममता ने जामिया नगर की इस सभा में कहा कि बटला हाउस का एनकाउंटर एक फेक ऑपरेशन था और अगर वो गलत साबित हुईं तो राजनीति छोड़ देंगी। ममता ने इस ऑपरेशन की जूडिशल एंक्वायरी कराने की भी मांग की थी।

ममता बनर्जी के अलावा तत्कालीन समाजवादी पार्टी नेता अमर सिंह और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी एनकाउंटर ऑपरेशन पर सवाल उठाए थे। वहीं कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी के बारे में उस वक्त के कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा था कि जब उन्होंने एनकाउंटर की तस्वीर सोनिया को दिखाई तो उनकी आंख में आंसू आ गए।

रविशंकर प्रसाद ने उठाए सवाल
बीजेपी अब आरिज खान के दोषी पाए जाने के बाद कांग्रेस और ममता बनर्जी को इसी बयान की याद दिला रही है। केंद्रीय कानून मंत्री और बीजेपी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि एक खास तबके के वोट के लिए इन राजनीतिक दलों ने दिल्ली पुलिस का मनोबल तोड़ा और आतंकवादियों का साथ दिया। केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस नेताओं के बयान याद दिलाते हुए कहा कि इन्होंने वोट बैंक पॉलिटिक्स के लिए देश की सुरक्षा ताक पर रख दी। उन्होंने कहा, ‘आप ने सलमान खुर्शीद का बयान सुना होगा कि आतंकवादी मारे गए तो सोनिया गांधी की आखों में आंसू थे। यह सार्वजनिक बयान है, रेकॉर्ड पर है। दिग्विजय सिंह तो आजमगढ़ चले गए। उन्होंने कहा था कि गोली तो सिर के ऊपर लगी है तो वो हमला कहां से करेंगे?’

2008 के ब्लास्ट केस के बाद ऑपरेशन

13 सितंबर 2008 को दिल्ली के करोल बाग, कनॉट प्लेस, इंडिया गेट और ग्रेटर कैलाश में हुए सीरियल बम ब्लास्ट में 26 लोग मारे गए थे। जबकि 133 जख्मी हुए थे। दिल्ली पुलिस ने उस वक्त जांच में पाया था कि, बम ब्लास्ट को आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन ने अंजाम दिया। 19 सितंबर 2008 की सुबह देश की राजधानी के एक छोर पर स्थित जामिया नगर के बटला हाउस में एनकाउंटर हुआ था। बहुचर्चित बाटला हाउस एनकाउंटर से जुड़े एक केस में दिल्‍ली की एक अदालत ने इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी आरिज खान को दोषी करार दिया। अदालत ने कहा कि यह साबित हो गया है कि एनकाउंटर के वक्‍त खान भागने में कामयाब हो गया था।

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