Wednesday, February 5, 2025
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वायरस का डर फैलाने वालों,ये है सच्चाई,2001 का है वायरस,डर नहीं बस बचाव काफी

चीन से आया HMPV अब दुनिया को डरा रहा, क्या फिर पैदा होंगे कोरोना जैसे हालात? जानिए क्या हैं इस वायरस के लक्षण, बचाव के क्या हैं उपाय

चीन में तेजी से लोगों को अपना शिकार बना रहे HMPV के भारत में मंगलवार (7 जनवरी, 2025) तक 7 मामले सामने आ चुके हैं। यह मामले बेंगलुरु, तमिलनाडु और गुजरात से सामने आए हैं। HMPV के अधिकांश मामले छोटे बच्चों में ही पाए जा रहे हैं। अभी तक पाए गए मामलों में सबसे कम आयु वाला रोगी 2 माह का है। HMPV को लेकर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा है कि यह कोई नया वायरस नहीं है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से सतर्कता बढ़ाने को कहा है। HMPV को लेकर बड़े डॉक्टरों ने भी चिंता ना करने को कहा है।

क्या है HMPV?

HMPV (ह्युमन मेटान्यूमोवायरस) सांस और जुकाम जैसा इंफेक्शन करने वाला वायरस है। यह एक RNA वायरस है। यह वायरस न्युमोवेरिडे परिवार से जुड़ा है। यह रेस्पिरेटरी सिंसिटल वायरस (RSV) जैसा है। RSV वायरस सांस लेने में दिक्कत करता है। HMPV कोई नया वायरस नहीं है, इसका पहला मामला 2001 में पाया गया था। इसे सबसे पहले नीदरलैंड में नए वायरस के तौर पर पहचाना गया था। हालाँकि, शोध में पाया गया है कि यह वायरस बीते लगभग 60 वर्षों से मनुष्यों में मौजूद है।

HMPV के लक्षण क्या, कैसे फैलता है?

HMPV के लक्षण लगभग जुकाम जैसे ही हैं। इसका शिकार हुए रोगी को खांसी, नाक बहना, गले में खराश और बुखार जैसे लक्षण हो सकते हैं। कुछ मामलों में सांस लेने में दिक्कत और न्युमोनिया भी हो सकता है। HMPV एक संक्रामक वायरस है। इसका प्रसार जुकाम की तरह होता है। यानी HMPV ग्रसित व्यक्ति के खांसने, छींकने, हाथ मिलाने और ऐसी सतहों को छूने से होता है जहाँ यह वायरस मौजूद हो। इसका संवाह हवा में घुली छोटी-छोटी बूंदों से होता है। इसके अधिकांश मामले सर्दियों में सामने आते हैं।

HMPV से सर्वाधिक प्रभावित कौन?

HMPV का सबसे अधिक असर 5 वर्ष से कम के बच्चों और 65 वर्ष अधिक के लोगों में होता है। सर्वाधिक मामले भी इसी आयुवर्ग में सामने आते हैं। अमेरिकी स्वास्थ्य विभाग द्वारा किए गए एक शोध में 81% HMPV रोगी 2 साल से कम थे। बच्चों में इसके चलते सांस लेने की दिक्कत के मामले आते हैं। भारत में सामने आए मामलों में अधिकांश रोगी भी बच्चे ही हैं। वह भी 1 वर्ष के कम के बच्चे हैं। एक और शोध में सामने आया था कि खांसी जुकाम जैसे लक्षणों से प्रभावित लगभग 4-16% बच्चों को HMPV ही नुकसान पहुँचाता है।

क्या HMPV और COVID-19 अलग हैं?

2019 में चीन के वुहान में पाया गया COVID-19 नया वायरस था जबकि HMPV पहले भी पाया जा चुका है। यानि यह दोनों अलग है। इसके अलावा HMPV मानवों को फैलने के लिए इस्तेमाल करता है जबकि COVID-19 का वायरस एक चमगादड़ से मानवों में आया था। HMPV के अधिकांश मामले जहाँ बच्चों में सामने आए हैं जबकि COVID-19 के मामले सभी उम्र में सामने आए थे। इसको लेकर सर्जन अमित ठधानी ने बताया था कि इस वायरस से शरीर को बचाने वाली इम्युनिटी भी विकसित हो चुकी है।

HMPV का प्रसार चिंता की बात?

HMPV से ग्रसित होना चिंता की बात है लेकिन इसके प्रसार से घबराने की जरूरत नहीं है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने भी इससे आशंकित ना होने की बात कही है। उन्होंने भी स्वास्थ्य विशेषज्ञों का हवाला दिया है। उन्होंने कहा है कि स्वास्थ्य मंत्रालय, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और बाकी संस्थान इस पर निगाह रख रहे हैं। इसको लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय लगातार बैठकें आयोजित कर रहा है। मंगलवार को हुई बैठक में भी राज्यों को सतर्कता बरतने का निर्देश दिया गया है। अभी WHO ने इस पर कोई अपडेट नहीं दिया है।

चीन ने क्या कहा?

इस वायरस को लेकर चिंताएँ चीन में इसके तेज प्रसार के बाद ही बढ़ी हैं। चीन में HMPV के हजारों मामले सामने आए हैं। यहाँ से सामने आई वीडियो से भी लोग चिंतित हुए हैं। चिंताएँ इसलिए भी हैं क्योंकि 2019 में चीन से ही COVID-19 वायरस का प्रसार चालू हुआ था और 2 वर्षों तक इसने दुनिया को बड़ा नुकसान पहुँचाया था तथा लाखों लोगों की जान ली थी। चीन ने कहा है कि इसका प्रसार कोई चिंता की बात नहीं है। चीन की एजेंसियों ने कहा है कि हर बार सर्दियों में ऐसे मामले सामने आते हैं। चीन से आने-जाने पर भी कोई प्रतिबन्ध नहीं लगाया गया है।

कैसे किया जाए बचाव?

चूंकि HMPV के अधिकांश मामले में बच्चों में पाए गए हैं, ऐसे में उनके विषय में विशेष सावधानी बरती जानी चाहिए। बच्चों समेत बाकी लोगों के हाथ लगातार साबुन से धुलना, मास्क लगाना और खांसी-जुकाम का तुरंत चेकअप इस संबंध में कुछ कदम हैं जो उठाए जा सकते हैं। इसके अलावा जिन्हें खांसी आ रही है, उन्हें बाकी लोगों से एक दूरी भी बनानी चाहिए। इस वायरस से लड़ने में काफी हद तक हमारा शरीर ही सक्षम है लेकिन कोई भी विसंगति लगने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएँ।

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