क्या राहुल गांधी ने जाति कार्ड को दबाने खेल ED कार्ड,
खुद की जाति के सवाल से पीछे हटने का रास्ता,
ED का नाम लेकर हव्वा बनाने की कोशिश,
क्या राहुल को गिरफ्तार कर सकती है ED,
लोकसभा में विपक्ष के नेता ने शुक्रवार को दावा किया कि संसद में उनके ‘चक्रव्यूह’ वाले भाषण के बाद (ED) के जरिए उनके खिलाफ छापेमारी की योजना बनाई जा रही है। राहुल ने कहा कि वह खुली बांहों के साथ ईडी अधिकारियों का इंतजार कर रहे हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में राहुल गांधी ने लिखा-जाहिर है, 2 में से 1 को मेरा चक्रव्यूह वाला भाषण अच्छा नहीं लगा। ईडी के अंदरूनी सूत्रों ने मुझे बताया है कि छापेमारी की तैयारी हो रही है। मैं ईडी का खुली बांहों से इंतजार कर रहा हूं। चाय और बिस्कुट मेरी तरफ से… इतना ही नहीं राहुल ने अपने इस पोस्ट में प्रवर्तन निदेशालय के आधिकारिक एक्स हैंडल को टैग भी किया है। राहुल के इस पोस्ट के बाद यह अटकलें लग रही हैं कि क्या राहुल गांधी के आवास पर प्रवर्तन निदेशालय छापेमारी करेगा। क्या राहुल गिरफ्तार भी हो सकते हैं। ऐसे सभी सवालों के जवाब जानते हैं एक्सपर्ट से और इसे समझते हैं।जब भाजपा सरकार ने चालाकी से PMLA में कर दिया बदलावसुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट अनिल सिंह श्रीनेत बताते हैं कि 2019 की बात है, जब राज्यसभा में भाजपा के पास बहुमत नहीं था। इसके बाद भी मोदी सरकार ने पीएमएलए में बदलाव के लिए इसे धन विधेयक की तरह पेश किया था। धन विधेयक को राज्यसभा में पेश नहीं करना पड़ता है। इसे सीधे राष्ट्रपति की मंजूरी लेकर लोकसभा में पेश किया जाता है और जहां बहुमत से पास होने के बाद यह कानून बन जाता है। उस वक्त विपक्ष ने इस मामले पर बहुत हंगामा मचाया था। विपक्ष का कहना था कि पीएमएलए में मनी बिल जैसी कोई बात नहीं है। जानबूझकर इसे मनी बिल के तहत लोकसभा से पारित कराया गया, ताकि केंद्र की सत्तारूढ़ भाजपा सरकार इसका इस्तेमाल सियासी दुश्मनी को साधने में करना चाहती है। जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो उसने भी संशोधन को सही ठहराया। प्रवर्तन निदेशालय के 10 साल के कामकाज का लेखा-जोखामार्च, 2023 में लोकसभा में वित्त मंत्रालय ने बताया था कि 2004 से लेकर 2014 तक प्रवर्तन निदेशालय ने 112 जगहों पर छापेमारी की और 5,346 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई। वहीं, 2014 से लेकर 2022 के 8 साल के मोदी सरकार के दौरान एजेंसी ने 3,010 छापेमारी की। इन छापेमारियों में करीब 1 लाख करोड़ की संपत्ति अटैच की गई। बीते 8 सालों में राजनीतिक लोगों के खिलाफ ईडी के मामले चार गुना बढ़े हैं। साल 2014 से 2022 के बीच 121 बड़े राजनेताओं से जुड़े मामलों की जाँच ईडी कर रही है। इनमें से 115 नेता विपक्षी पार्टियों से हैं। वहीं, 2004 से लेकर 2014 के 10 साल में 26 नेताओं की जांच ईडी ने की। इनमें से 14 नेता विपक्षी पार्टियों के थे। प्रवर्तन निदेशालय का सियासी हित साधने में ज्यादा इस्तेमालसुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट अनिल सिंह श्रीनेत कहते हैं कि प्रवर्तन निदेशालय के नियमों में जब बड़ा बदलाव किया गया तो इसके बाद से ही इसके राजनीतिक इस्तेमाल करने के बार-बार आरोप लगते रहे हैं। बीते 10 सालों में ईडी की ऐसी कार्रवाइयां बढ़ी हैं। चाहे वो दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार हो या पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार। महाराष्ट्र में भी इसका खूब इस्तेमाल किया गया है। इसीलिए महाराष्ट्र को एजेंसी का टेस्टिंग ग्राउंड भी कहा जाता है। कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के संशोधन से पहले 30 लाख रुपए या इससे ज्यादा की रकम में हेर-फेर के मामलों में ही मनी लॉन्ड्रिंग के तहत मामले दर्ज होते थे। ऐसे में 2012 तक मनी लॉन्ड्रिंग के 165 मामले ही थे। मगर, 2013 में किए गए संशोधन में 30 लाख की लिमिट खत्म कर दी गई। अब 30 लाख से कम या ज्यादा की रकम से जुड़ा मनी लॉन्ड्रिंग का मामला होने पर जांच के दायरे में लाया गया।मोदी सरकार के ED में इस बदलाव ने दी स्पेशल पावरएडवोकेट अनिल सिंह के अनुसार, 2019 में सरकार ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) में सबसे गंभीर बदलाव किए गए। इस बदलाव ने इसे काफी ताकतवर बना दिया। यूपीए ने अगर पीएमएलए के दायरे को बढ़ाया तो मोदी सरकार ने इसे और सख्त बना दिया। इस एक्ट के सेक्शन 45 में यह जोड़ा गया कि ईडी के अफसर किसी भी व्यक्ति को बिना वॉरंट के गिरफ़्तार कर सकते हैं। PMLA में बदलाव कर आवास पर रेड और गिरफ्तारी की शक्ति दीएडवोकेट अनिल सिंह श्रीनेत बताते हैं कि पीएमएलए के सेक्शन 17 के सब-सेक्शन (1) में और सेक्शन 18 में बदलाव कर दिया गया और ईडी को ये ताकत दी गई कि वह इस क़ानून के तहत लोगों के आवास पर छापेमारी, सर्च और गिरफ्तारी कर सकती है। साथ ही ईडी खुद ही एफआईआर दर्ज करके गिरफ्तारी कर सकती थी। इससे पहले कांग्रेस सरकार के दौरान किसी जांच एजेंसी की ओर से दर्ज की गई एफआईआर और चार्जशीट में PMLA की धाराएं लगने पर ही ईडी जांच कर सकती थी। प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से बनाए पैसों पर रेडईडी को नए बदलाव के साथ यह भी अधिकार मिल गए कि अगर उसे यह लगता है कि किसी ने कोई संपत्ति गैरकानूनी कमाई करके प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से बनाई है तो वह उस पर रेड कर सकती है। साथ ही ईडी को समन देने के लिए पुलिस की तरह यह बताने की जरूरत नहीं होती कि आरोपी को अभियुक्त के तौर पर समन किया जा रहा है।ईडी के समक्ष दिए गए बयान कोर्ट में माने जाते हैं सुबूतइसके अलावा, प्रवर्तन निदेशालय को एक और खास ताकत यह दी गई है कि अगर आरोपी से पूछताछ में ईडी के अधिकारियों के सामने कोई बयान दिया गया है तो उसे कोर्ट में सबूत के रूप में पेश किया जा सकता है। पीएमएलए के तहत ईडी पर मजिस्ट्रेट की कोई निगरानी नहीं होती है। वहीं, दूसरे मामलों में बयान तभी कानूनी रूप से वैध होता है, जब वह मजिस्ट्रेट के सामने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किया गया हो। ED से एफआईआर की कॉपी मांगने का हक नहीं अनिल सिंह बताते हैं कि मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में एफआईआर की कॉपी अभियुक्त को देने का कोई प्रावधान नहीं है। जब तक ईडी इस मामले में चार्जशीट दायर न करे तब तक अभियुक्त को पता नहीं होता कि उस पर कौन सी धाराएं लगी हैं। ईडी के लिए चार्जशीट दायर करने की अवधि 60 दिन है। वहीं, दूसरे आपराधिक मामलों में या अन्य केस में जो एफआईआर दर्ज होती है तो उसकी कॉपी मांगने का आरोपी को अधिकार होता है। बड़ा पेंच-खुद को निर्दोष साबित करने का बोझ आरोपी परPMLA को लेकर यह भी कहा जाता है कि ऐसे मामलों में खुद को निर्दोष साबित करने का बोझ आरोपी पर ही होता है। इस वजह से आरोपी को कोर्ट में खुद पर लगे आरोपों के खिलाफ दलील दे पाना संभव नहीं हो पाता है। ऐसे में जमानत मिलने में मुश्किल आती है। नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया और राहुल के नामभाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ नेशनल हेराल्ड केस दर्ज कराया। इस केस में धारा 120 के तहत आपराधिक साजिश और धारा 420 के तहत धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए हैं। इसमें PMLA की इसमें कोई धारा नहीं थी। हालांकि, प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले की जांच के पीछे यह दलील दी कि इस मामले में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की चार्जशीट है और ये दो धाराएं हैं। ऐसे में उसे इस केस की जांच करने का हक है, जबकि ये मामला 2019 के पहले का है। उस वक्त तक ईडी उन्हीं मामलों की जांच कर सकती थी, जिनमें एफआईआर में
पीएमएलए की धाराएं भी लगाई गई हों। आइए, जानते हैं कि राहूल गांधी ने सोशल मीडिया पर क्या पोस्ट किया है। प्रवर्तन निदेशालय की स्थापना देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के शासनकाल में 1 मई, 1956 को हुई थी। इसका गठन आर्थिक मामलों के विभाग के नियंत्रण में एक ‘प्रवर्तन इकाई’ के तौर पर किया गया था। यह विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1947 (FERA, 1947) के तहत काम करता है। ईडी का मकसद 1999 के विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) और 2002 के मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) को लागू करना है। यह भारत में मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों की जांच करती है, जिसमें हवाला से लेन-देन, वित्तीय हेर-फेर, निर्यात आय, निर्यात आय की वसूली न होना, विदेशी मुद्रा उल्लंघन और अन्य फेमा उल्लंघन जैसे संदिग्ध मामलों में जांच और गिरफ्तारी करती है।