Wednesday, March 12, 2025
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जस्टिन टुडो मतलब धोबी का कुत्ता,63% की गिरावट,खालिस्तानियों का साथ ना दे तो सरकार गिर जाए

 

जस्टिन ट्रूडो मतलब धोबी का कुत्ता: खालिस्तानियों को साध रहे, मुस्लिमों से खा रहे गाली, महँगाई पर घर में लगी है आग, विदेशियों को दे रहे ज्ञान

साल 2019 में कनाडा में आम चुनाव हुए थे। ट्रूडो ने चुनाव में जीत तो दर्ज कर ली थी लेकिन वो सरकार नहीं बना सकते थे। उनकी लिबरल पार्टी ऑफ कनाडा को 157 सीटें मिली थी। विपक्ष की कंजरवेटिव पार्टी को 121 सीटें हासिल हुई थीं। ट्रूडो के पास सरकार बनाने के लिए बहुमत नहीं था। सरकार बनाने के लिए उन्हें 170 सीटों की दरकार थी। जिसकी वजह से ट्रूडो की पार्टी ने कनाडा के चुनाव में 24 सीटें हासिल करने वाली न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) का समर्थन लिया। इस पार्टी के मुकिया जगमीत सिंह है जो खालिस्तान आंदोलन के बड़े समर्थक हैं। ट्रूडो के लिए सत्ता में रहने का मतलब जगमीत को खुश रखना है। बहुमत के आंकड़ों के लिहाज से उनके लिए जगमीत की पार्टी का समर्थन बेहद जरूरी है।

चुनाव के बाद सिंह और ट्रूडो ने कॉन्फिडेंस एंड सप्लाई एग्रीमेंट को साइन किया था। ये समझौता 2025 तक लागू रहेगा। अब तक सिंह ट्रूडो के भरोसेमंद साझेदार बने हुए हैं। हाल ही में विपक्ष ने कनाडा के चुनावों में चीन के हस्तक्षेप की जांच की मांग की और ट्रूडो पर जबरदस्त अटैक बोला गया। लेकिन उस वक्त जगमीत सिंह की एनडीपी पीएम के लिए ढाल बनकर खड़ी रही। ट्रूडो के समर्थन से सुरक्षित सिंह भारत के खिलाफ और खालिस्तानी मुद्दे के समर्थन में आगे बढ़ते जा रहे हैं। इस साल मार्च के महीने में जैसे ही पंजाब में खालिस्तानी अलगाववादी अमृतपाल सिंह पर मामला गर्माया तो भारतीय राज्य में इंटरनेट बंद कर दिया गया था। इसके बाद जगमीत सिंह अमृतपाल के समर्थन के लिए ट्रूडो की चौखट पर पहुंचे थे।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने जून में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर मढ़कर यह दर्शा दिया है कि वह स्थानीय स्तर पर अपनी विफलताओं को अब अंतरराष्ट्रीय मुद्दों से ढँकने का प्रयास कर रहे हैं।
ट्रूडो ने कनाडा में अपने विरोध को कम करने का प्रयास इस बात से किया है कि उनके देश में आ रही समस्याएँ अन्य देशों के कारण हैं ना कि उनकी स्वयं की विफलताओं के कारण। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि ट्रूडो वर्तमान में कनाडा में भारी विरोध का सामना कर रहे हैं।
बता दें कि कनाडा वर्तमान में महँगाई, शिक्षा, स्वास्थ्य समेत तमाम समस्याओं से जूझ रहा है जिसे सुलझाने में वह विफल हैं। हालाँकि, अपनी खत्म होती लोकप्रियता बचाने के लिए उन्होंने भारत से रिश्ते खराब करने का रास्ता चुना है ताकि उन्हें कनाडा के सिख वोट मिल सकें और साथ ही यह संदेश जाए कि वह कनाडा में अन्य किसी देश का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेंगे। इससे वह कनाडा की जनता के राष्ट्रवादी तबके का विश्वास जीतना चाहते हैं।

कनाडा के 63% नागरिकों को नहीं पसंद हैं ट्रूडो

हालाँकि, इन सब प्रयासों के बावजूद भी उनकी कनाडा में लोकप्रियता खत्म हो रही है। वह वर्ष 2015 से ही कनाडा के प्रधानमंत्री हैं और तबसे उनकी लोकप्रियता में तेज गिरावट आई है। दरअसल, जुलाई 2023 में किए गए एक सर्वे में यह सामने आया है 33% कनाडाई मानते हैं कि ट्रूडो बीते 55 वर्षों में कनाडा के सबसे बेकार प्रधानमंत्री हैं।

वहीं अप्रूवल रेटिंग्स के आधार पर यह भी स्पष्ट हुआ है कि वह अब कनाडाई नागरिकों को पसंद नहीं आ रहे हैं। ट्रूडो रैंकर के अनुसार, सितम्बर 2023 में उनकी डिसअप्रूवल रेटिंग 63% हो गई है। इसका अर्थ है कि वह 100 में से 63 कनाडाई नागरिकों को पसंद नहीं आ रहे।

महँगाई पर काबू पाने में विफल

उनकी लोकप्रियता घटने के कई कारण हैं। इसमें सबसे बड़ा कारण महँगाई है। जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल के दौरान कनाडा में महँगाई लगातार बढ़ी है। कनाडा के सांख्यिकी विभाग के अनुसार, जुलाई 2018 में कनाडा में महँगाई दर (ऊर्जा कीमतों को छोड़ कर) 2.1% थी जो कि जुलाई 2022 में बढ़ कर 6.3% पहुँच गई।
कनाडा जैसे विकसित अर्थव्यवस्था वाले देश के लिए यह महँगाई का काफी उच्च स्तर है। विकासशील देशों में जीडीपी को बढ़ाने के लिए सरकारें एक स्तर तक महँगाई को नियंत्रित नहीं करती लेकिन कनाडा विकसित है और यहाँ भाव अधिकांश समय स्थिर रहते हैं। ऐसे में यहाँ महँगाई का बढ़ना ट्रूडो की साख में बट्टा लगा रहा है।
कनाडा के सांख्यिकी विभाग की ही रिपोर्ट बताती है कि कनाडा की आबादी के 25% लोगों का कहना है कि वह मात्र $500 (41,635.50 रुपये) का भी कोई अधिक खर्चा नहीं झेल सकते। इसी सर्वे में यह भी बात सामने आई कि कनाडा की युवा जनसंख्या का आधा हिस्सा अपने महीने के खर्चे पूरे करने में समस्याओं का सामना कर रहा है।

ट्रूडो से मुस्लिम भी हैं गुस्सा

महँगाई के अतिरिक्त, ट्रूडो की वोक विचारधारा भी उनके लिए समस्याएँ खड़ी कर रही हैं। ट्रूडो लगातार अमेरिका की तरह ही कनाडा के स्कूलों में भी LGBT+ को प्रमोट कर रहे हैं। इसको लेकर स्कूलों में लाई गई उनकी नीतियाँ कनाडाई मुस्लिमों में उनकी छवि बिगाड़ रही हैं।

कनाडा के मुस्लिम अपनी संस्कृति को ना बचाने के लिए ट्रूडो को मूर्ख करार दे रहे हैं। मुस्लिम अभिभावक आरोप लगा रहे हैं कि ट्रूडो द्वारा कनाडा के स्कूलों में बच्चों को गे, लेस्बियन आदि बनाने पर जोर दिया जा रहा है।
मुस्लिम अभिभावक इस बात की शिकायत ट्रूडो से कर चुके हैं लेकिन ट्रूडो ने इसे अमेरिकी दक्षिणपंथियों की साजिश बता दिया था। इस कारण से कनाडाई मुस्लिमों में ट्रूडो के प्रति और भी गुस्सा भरा हुआ है, वह स्कूलों के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं।

कनाडा में घरों की कमी को पूरा नहीं कर पाए हैं ट्रूडो

कनाडा में वह इस बात के लिए भी कड़ा विरोध झेल रहे हैं कि उन्होंने कनाडा में आवासीय समस्या को नहीं सुलझाया है। कनाडा में लम्बे समय से ही घरों की समस्या है। बाहर से आने वाले छात्र और अन्य परिवार भी कनाडा में घर नहीं ढूँढ पा रहे हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार, कनाडा को वर्ष 2030 तक 58 लाख नए घरों की आवश्यकता होगी लेकिन इस दिशा में कुछ ख़ास काम नहीं हो सका है। अनुमान के मुताबिक कनाडा में 2030 तक मात्र 23 लाख घर ही बन पाएँगे, अर्थात इस क्षेत्र में 35 लाख घरों की कमी होगी। अपनी इस विफलता को जस्टिन ट्रूडो ने स्वयं भी एक बातचीत के दौरान स्वीकार किया था।
गौरतलब है कि स्थानीय स्तर पर अपनी विफलताओं को छुपाने के लिए अब ट्रूडो ने यह रास्ता अख्तियार किया है कि वह भारत की बुराई करके और खालिस्तानियों को संरक्षण देकर अपनी लोकप्रियता बढ़ा सकें। हालाँकि, इससे ट्रूडो को कितना फायदा मिलेगा यह स्पष्ट नहीं है लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वह एक नौसिखिए के रूप में देखे जा रहे हैं।

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