इस्लामाबाद, : गंभीर आर्थिक संकट के बीच फंसे पाकिस्तान के सामने एक और बड़ा सिरदर्द खड़ा हो गया है। पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन पर इस्लामाबाद की सीनेट की स्थायी समिति उस समय हैरान रह गई जब उन्हें पता चला, कि संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, जर्मनी, इटली और सऊदी अरब जैसे देशों के लिए पाकिस्तान डंपिंग यार्ड है।
डंपिंग यार्ड है पाकिस्तान
पाकिस्तानी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, सीनेट पैनल कुछ मित्र देशों के नाम और सूची में जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर चिंता व्यक्त करने वालों के नाम देखकर हैरान रह गया। समिति के एक सदस्य ने पूछा कि, ‘पाकिस्तान ने आयातित कचरे पर कभी आपत्ति क्यों नहीं जताई?’ सीनेट पैनल ने पूछा कि, पाकिस्तान के दूतावासों, मंत्रालयों, संबंधित विभागों के साथ-साथ प्रांतीय और संघीय सरकार ने इसे रोकने की कोशिश क्यों नहीं की?
लोगों से सरकार ने छिपाए रखा
दिलचस्प बात यह है, कि अधिकांश सीनेटरों ने स्वीकार किया कि उन्हें इस तथ्य की जानकारी भी नहीं थी कि पाकिस्तान अधिकांश उन्नत देशों के लिए डंपिंग ग्राउंड बन गया है। कुछ सीनेटर्स ये सोचते थे, कि पाकिस्तानी की सड़कें जहरीले कचरों से भरी होती हैं, तो पाकिस्तान कचरे ना निर्यात क्यों नहीं करता है और अब उन्हें पता चला है, कि असल में दर्जन भर देश पाकिस्तान में कचरा फेंकते हैं।
अब इमरान की पार्टी ने ठोंकी ताल
पिछले करीब चार सालों तक सत्ता में रहने वाली इमरान खान की पार्टी ने अब जाकर कचरे के मुद्दे पर सरकार घेरा है। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के सीनेटर फैसल जावेद ने कहा है कि, ‘आयातित कचरा नामंजूर’। आपको बता दें कि, इमरान खान लगातार शहबाज सरकार को आयातित सरकार कह रहे हैं, इसीलिए उनकी पार्टी ने अब ‘आयातित कचरा नामंजूर’ का नारा दिया है, जबकि करीब इमरान खान के शासनकाल में भी ये देश पाकिस्तान में कचरा फेंका करते थे।
कई शहरों में फेंका जाता है कचरा
बैठक के दौरान यह बात सामने आई है कि ज्यादातर आयातित कचरे को समुद्र और प्रमुख शहरों में तब डंप किया जाता था, जब वहां माल पहुंचाया जाता था। यह रहस्योद्घाटन पाकिस्तान कैबिनेट को सूचित किए जाने के एक हफ्ते बाद आया है, कि पाकिस्तान में हर साल 80 हजार टन कचरा विकसित देशों से फेंका जाता है, जबकि पाकिस्तान में हर साल 3 करोड़ टन कचरा पैदा होता है, जिसकी वजह से पाकिस्तान के दर्जनों शहर विषैले हो चुके हैं और सड़कों के किनारे कचरे भरे रहते हैं। दूसरी तरफ पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से बेलआउट पर बंद होने के कारण सबसे खराब मुद्रास्फीति से जूझ रहा है। शहबाज शरीफ सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले महीने उपभोक्ता कीमतों में 21.32 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। (सभी तस्वीर- फाइल)