Monday, December 23, 2024
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1978 में जो शरद पवार ने किया था,वही हो गया शरद पवार के साथ2022 मे

महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की ओर से किए गए खेल का नतीजा ये हुआ कि उद्धव ठाकरे को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ गया. इससे एक बार फिर महाराष्ट्र की सियासत में कोई मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया, क्योंकि अभी तक सिर्फ दो मुख्यमंत्री ही ऐसा कर पाए हैं. इस बार महाराष्ट्र में जो सियासी खेल हुआ है, उसके ‘मैन ऑफ द मैच’ एकनाथ शिंदे ही है. 2022 में हुआ ये उलटफेर 1978 की याद दिलाता है जब शरद पवार (Sharad Pawar) ने भी इसी तरह करीब 44 साल पहले महाराष्ट्र सरकार में खेल किया था. उसका नतीजा ये हुआ था कि उस वक्त के तत्कालीन मुख्यमंत्री वसंतदादा पाटिल को पद से इस्तीफा देना पड़ा था और शरद पवार सरकार के मुखिया बन गए थे.

इस बार जिस तरह एकनाथ शिंदे ने पासे फेंके हैं, वैसे ही पहले शरद पवार ने सरकार के गणित बिगाड़ दिया था. तो जानते हैं इस दौरान क्या हुआ था और किस तरह शरद पवार सरकार बदलकर खुद सीएम बन गए थे…

1978 में क्या हुआ था?

यह बात साल 1978 की है, जब महाराष्ट्र की राजनीति में शरद पवार भूचाल लेकर आए थे. उस दौरान शरद पवार ने उस वक्त के सीएम वसंतदादा पाटिल की सरकार का तख्तापलट करते हुए कम उम्र में ही बड़ा खेल कर दिया था और पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. वैसे तो इमरजेंसी के बाद साल 1977 में ही यह स्पष्ट था कि कांग्रेस में राजनीतिक अस्थिरता चरम पर है. इसका एक सबूत ये है कि उस दौरान 1977 में चुनाव हुए तो कांग्रेस पार्टी के महाराष्ट्र से केवल 22 सांसद चुनकर आए थे. इस दौरान कांग्रेस भी कई गुट में बंटी हुई नजर आ रही थी और महाराष्ट्र में कांग्रेस के दो गुट नजर आ रहे थे.

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, उस दौरान शंकरराव चव्हाण और ब्रह्मानंद रेड्डी ने ‘रेड्डी कांग्रेस’ बना ली थी और शरद पवार भी इसमें शामिल हो गए थे. कांग्रेस की फूट का नतीजा ये हुआ कि जनता पार्टी मजबूत हुई और रेड्डी कांग्रेस को 69 और इंदिरा कांग्रेस को 62 सीटें मिलीं. किसी को बहुमत नहीं मिला और रेड्डी कांग्रेस और इंदिरा कांग्रेस ने मिलकर सरकार बना ली. बता दें कि यह महाराष्ट्र की पहली गठबंधन सरकार थी. 7 मार्च 1978 को बतौर मुख्यमंत्री वसंतदादा पाटिल ने शपथ ली. उस सरकार में शरद पवार उद्योग मंत्री थे. मगर सरकार में अनबन जारी रही और दोनों कांग्रेस पार्टियों के बीच दरार बढ़ती रही.

सबसे कम उम्र के सीएम बने

इसके बाद पवार ने अपना अलग रास्ता बनाया और वो वसंतदादा सरकार से बाहर निकल गए. इसके बाद उन्होंने अपना खेल शुरू कर दिया और शरद पवार 40 विधायकों के साथ वंसतदादा सरकार से बाहर हो गए. पवार के इस फैसले से तत्कालीन सरकार अल्पमत में आ गई. इसके बाद मुख्यमंत्री वसंतदादा पाटिल और उपमुख्यमंत्री नाशिकराव ने इस्तीफा दे दिया. महाराष्ट्र की पहली गठबंधन सरकार सिर्फ चार महीनों में ही गिर गई थी. इसे बाद पवार ने समाजवादी कांग्रेस की स्थापना की और सरकार बनाने के जुगाड़ मे लग गए. फिर पवार की समाजवादी कांग्रेस के साथ जनता पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी और शेतकरी कामगार जुड़ गए, जिसका नाम रखा गया ‘प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक फ्रंट’. इसके बाद 38 साल की उम्र में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर उस समय वे भारत के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बन गए थे.

हालांकि, उनकी सरकार भी ज्यादा नहीं चल पाई और 18 महीनों के बाद ही उन्हें भी कुर्सी छोड़नी पड़ी. इमरजेंसी के बाद इंदिरा गांधी फिर से प्रधानमंत्री बन गई.उस दौरान 17 फरवरी 1980 को शरद पवार की सरकार की बर्खास्तगी के ऑर्डर पर राष्ट्रपति ने मुहर लगा दी और महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया. ये करीब 112 दिन तक रहा और फिर राज्य में चुनाव हुए, इसके बाद कांग्रेस को अच्छी सीट मिली और पवार की समाजवादी कांग्रेस को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद एआर अंतुले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने.

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