Sunday, September 8, 2024
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परमबीर सिंह ने सीधे खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा,उद्धव ठाकरे सरकार हक्की बक्की

 

मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने होम गार्ड विभाग में ट्रांसफर किए जाने के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.
परमबीर सिंह ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से उन आरोपों की जांच कराये जाने की भी मांग की है जिसका जिक्र उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखी चिट्ठी में किया था.
सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका सोमवार को दायर की गई है.

माना जा रहा है कि सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी परमबीर सिंह की तरफ़ से सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कर सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में परमवीर सिंह ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को आदेश देने की मांग की है, “ताकि सीबीआई महाराष्ट्र सरकार के गृह मंत्री श्री अनिल देशमुख के भ्रष्ट आचरण की तुरंत निष्पक्ष, बिना किसी के प्रभाव के, तटस्थ और साफ-सुथरी जॉंच कर सके.”
इसके अलावा परमबीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि वो महाराष्ट्र सरकार के उस आदेश को रद्द करे जिसके तहत मुंबई पुलिस के आयुक्त पद से उनका ट्रांसफर कर दिया गया है.

उन्होंने अदालत से इसके लिए आदेश जारी करने की मांग की है. परमबीर सिंह ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार का यह आदेश अवैध और मनमाना है.

अपनी याचिका में उनका दावा है कि राज्य सरकार का ताज़ा आदेश भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का साफ़—साफ़ उल्लंघन है.

उनका तर्क है कि टीएसआर सुब्रमण्यन बनाम केंद्र सरकार के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने आयुक्त और डीजीपी पद के लिए दो साल का न्यूनतम कार्यकाल निर्धारित किया था जिसका उनके मामले में पालन नहीं हुआ है.

परमबीर सिंह ने अपनी याचिका में दावा किया है कि अदालत ने कई फैसलों में कहा है कि निश्चित कार्यकाल वाले संवेदनशील पद से किसी अधिकारी के तबादला के लिए उचित आधार के साथ-साथ इसके लिए पर्याप्त विचार-विमर्श भी होना चाहिए.

 

‘सबूत मिटाए जा सकते, बदले की कार्रवाई संभव’: SC में परमबीर सिंह, निष्पक्ष जाँच की माँग- ट्रांसफर को चुनौती

मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह ने अब महाराष्ट्र के गृह मंत्री व NCP नेता अनिल देशमुख के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने ‘बना किसी पूर्वाग्रह, निष्पक्ष और बिना किसी बाहरी दखल वाले’ जाँच की माँग की है। उन्होंने आशंका जताई है कि इस मामले में सबूत मिटाए जा सकते हैं, इसीलिए उससे पहले जाँच कराई जाए। उन्होंने खुद को ट्रांसफर के बाद DG (होमगार्ड) बनाए जाने के फैसले को भी चुनौती दी है।

परमबीर सिंह ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि फरवरी 2021 से ही गृह मंत्री अनिल देशमुख उन्हें कोई सूचना दिए बिना ही क्राइम इंटेलिजेंस ब्यूरो में रहे विवादित पुलिस अधिकारी (अब निलंबित) सचिन वाजे और सोशल सर्विस ब्रांच में ACP संजय पाटिल जैसे उनके जूनियर अधिकारियों के साथ बैठक कर मुंबई के विभिन्न प्रतिष्ठानों से 100 करोड़ रुपए प्रतिमाह वसूली का टारगेट दे रहे थे।

उन्होंने बताया है कि अगस्त 24/25, 2021 को इंटेलिजेंस कमिश्नर रश्मि शुक्ला ने DGP को अनिल देशमुख द्वारा गलत तरीके से मनमाना ट्रांसफर-पोस्टिंग किए जाने की बात बताई, जिसके बाद DGP ने इस मामले को राज्य के गृह विभाग के अतिरिक्त सचिव के समक्ष उठाया। उन्होंने अनिल देशमुख पर कई मामलों में हस्तक्षेप कर के जाँच को मनमाना दिशा में मुड़वाने के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया है।

परमबीर सिंह ने याचिका में कहा है कि उनके मातहत अधिकारियों को बिना उनके सूचना के बुलाकर मनमाना निर्देश देना गृह मंत्री के रूप में पद का दुरुपयोग है। उन्होंने कहा कि एक लोकतांत्रिक देश में इस तरह से ट्रांसफर-पोस्टिंग और जाँच में हस्तक्षेप को किसी भी तरह से सही नहीं ठहराया जा सकता। सिंह ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और सरकार के वरिष्ठ नेताओं के संज्ञान में ये बातें पहले ही ला चुके हैं।

उन्होंने आरोप लगाया है कि एकपक्षीय और अवैध तरीके से उनका ट्रांसफर कर दिया गया, जबकि उन्होंने मुंबई पुलिस कमिश्नर के रूप में 2 वर्ष का तय न्यूनतम कार्यकाल पूरा भी नहीं किया था। उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों में उनका ट्रांसफर दुर्भावना से लिप्त फैसला था। उन्होंने इसे असंवैधानिक के साथ-साथ इंडियन पुलिस सर्विस (काडर) नियमों का भी उल्लंघन करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट के ही एक फैसले का जिक्र किया।

उस निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संवेदनशील पद और कार्यावधि में किसी अधिकारी के ट्रांसफर के पीछे अच्छे कारण होने चाहिए और इस पर गंभीर विचार-विमर्श के बाद ही फैसला होना चाहिए। इसलिए, उन्होंने अनिल देशमुख के करतूतों की जाँच के साथ-साथ अपने ट्रांसफर के फैसले पर रोक लगाने का आदेश जारी करने का निवेदन भी सुप्रीम कोर्ट से किया है। उन्होंने आशंका जताई है कि देशमुख उनके खिलाफ बदले की भावना से कोई कदम उठा सकते हैं, जिससे उन्हें बचाया जाए।

उधर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में NCP के मुखिया शरद पवार ने अपने मंत्री की ‘बेगुनाही’ का सर्टिफिकेट देते हुए देशमुख के फरवरी 2021 में अस्पताल में भर्ती होने, क्वारंटीन रहने जैसे दावे किए। लेकिन, इन दावों पर जब सवाल उठे तो वे जवाब नहीं दे पाए। 15 फरवरी को अनिल देशमुख एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे। इस दौरान कॉन्ग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल भी उनसे मिला था।

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