विगत 9 अगस्त को सिद्दीकी के कुछ अनुयायियों को टीएमसी के गुर्गों ने अपना निशाना बनाया था। इस हमले में कुछ लोग बुरी तरह घायल हुए। सिद्दीकी इन्हीं में एक से अगले दिन मिलने गया था। पीरजादा के अनुसार, जैसे ही वह घर में पहुँचा, उस पर हमला हो गया।
सिद्दीकी का आरोप है कि उसके वाहन पर ईंट-पत्थरों से सैकड़ों टीएमसी कार्यकर्ताओं ने हमला किया। इसके बाद जब वह अपनी गाड़ी से नीचे उतरे तो कई उपद्रवियों ने उन्हें घेर लिया, सबके हाथ में डंडे और बंदूक थे। रिपोर्ट के अुसार, मौलवी के समर्थकों को और उनके वाहन को भी इस हिंसा में निशाना बनाया गया।
पीरजादा का आरोप है कि यह सब टीएमसी विधायक शौकत मौला ने करवाया है। सिद्दीकी ने कहा कि उसी के हजारों समर्थकों ने डंडे, बम, बंदूक से हमला बोला और मार डालने की धमकी दी। इसके बाद हमले के खि़लाफ़ सिद्दीकी के समर्थकों ने साउथ 24 परगना में फौरन आरोपितों की गिरफ्तारी की माँग की।
अब्बास सिद्दकी ने यह भी बताया कि संप्रदाय विशेष के नेता ने उन पर हमला इसलिए करवाया क्योंकि उन्होंने अगले चुनावों में AIMIM की ओर से चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। बता दें कि इस हमले के बाद सिद्दीकी को भाजपा की ओर से भी समर्थन मिला। बीजेपी नेताओं ने हमले की निंदा की। राज्य के भाजपा नेता अभिजीत दास ने कहा कि सिद्दीकी अपने घायल साथी से मिलने गए थे, उन्हें यह करने का अधिकार है। लेकिन सरकार ने इस हमले के ख़िलाफ़ अभी तक कोई एक्शन क्यों नहीं लिया। अभिजीत के अलावा राज्य भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने भी इस हमले की निंदा की।
याद दिला दें, अधिक समय नहीं बीता जब अब्बास ने अपनी विवादित वीडियो को लेकर माफी माँगी थी। अपनी वीडियो में उन्होंने करोड़ों भारतीयों के मरने की कामना की थी। इस वीडियो में उन्हें कहते सुना जा सकता था, “हाल में मेरे पास खबर आई है कि पिछले दो दिनों से मस्जिदों में आग लगाईं जा रही है, माइक जलाए जा रहे हैं। मुझे लगता है कि एक महीने के अंदर ही कुछ होने वाला है। अल्लाह हमारी दुआ कबूल करे। अल्लाह हमारे भारतवर्ष में एक ऐसा भयानक वायरस दे कि भारत में दस-बीस या पचास करोड़ लोग मर जाएँ। क्या कुछ गलत बोल रहा मैं? बिलकुल आनंद आ गया इस बात में।”
यह भाषण पीरजादा ने दिल्ली के हिंदू विरोधी दंगों के बाद दिया था। लेकिन अपनी माफी में मौलवी ने कहा कि उनका संदर्भ अलग था। इससे पहले अब्बास सिद्दकी ने सीएए वापस न लेने की बात पर कोलकाता एयरपोर्ट जाम करने की धमकी भी दी थी।
हुगली जिला में स्थित फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी से एआइएमआइएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी बेहद नाराज हैं. ओवैसी ने कहा है कि सही वक्त पर वह पश्चिम बंगाल में अपनी पार्टी की रणनीति का खुलासा करेंगे.
पीरजादा अब्बास सिद्दीकी के कोलकाता स्थित ब्रिगेड परेड ग्राउंड में कांग्रेस-लेफ्ट की रैली में शामिल होने के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख ओवैसी ने कहा, ‘मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंजिल मगर, लोग साथ आते गये और कारवां बनता गया.’
दरअसल, ओवैसी ने बंगाल में अपनी पार्टी की कमान पीरजादा अब्बास सिद्दीकी के हाथों में सौंपी थी. उन्होंने कहा था कि पीरजादा जैसे कहेंगे, उनकी पार्टी उसी तरह से बंगाल में आगे बढ़ेगी और विधानसभा के चुनाव लड़ेगी.
पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में होने वाले विधानसभा चुनाव का ऐलान हो चुका है। आदर्श अचार संहित लागू होने से कुछ ही घंटों पहले ममता बनर्जी की नेतृत्व वाली तृणमूल कॉन्ग्रेस सरकार ने फुरफुरा शरीफ के विकास के लिए 2.60 करोड़ रुपए आवंटित किया।
वित्त विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह फंड मुख्य रूप से 20 ऊँचे खंभों और 400 एलईडी स्ट्रीट लाइट एवं तीर्थ के अन्य सौंदर्यीकरण परियोजनाओं के लिए उपयोग किया जाएगा। वित्त वर्ष 2020-21 में, वित्त विभाग ने कम से कम 60 योजनाओं और फुरफुरा शरीफ विकास प्राधिकरण के लिए लगभग 20 करोड़ रुपए आवंटित किए।”
राजस्थान के अजमेर शरीफ के बाद टालटोला स्थित फुरफुरा शरीफ दरगाह देश की दूसरी सबसे बड़ी सूफी मजार है। इस दरगाह का दक्षिण बंगाल के इलाकों में काफी प्रभाव माना जाता है। इस दरगाह से जुड़े ‘भाईजान’ नाम से मशहूर पीरजादा सिद्दीकी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा ने तृणमूल की परेशानियॉं पहले ही बढ़ा रखी है। लिहाजा इस ऐलान को समुदाय विशेष के मतदाताओं को लुभाने की कवायद से जोड़कर देखा जा रहा है।
बताया जा रहा है कि ममता बनर्जी ने यह फैसला इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) के नेता और फुरफुरा शरीफ दरगाह के मौलाना अब्बास सिद्दीकी के डर से किया है। बता दें कि ममता की पार्टी में कई नेताओं की बगावत के बाद अब एक और राजनीतिक दल इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) बंगाल में चर्चा का विषय है। इस राजनीतिक फ्रंट को बनाने वाले फुरफुरा शरीफ दरगाह के प्रमुख पीरजादा अब्बास सिद्दीकी हैं।
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री से भी तृणमूल कॉन्ग्रेस के खेमे में बेचैनी है, क्योंकि ममता बनर्जी ने पिछले एक दशक में मुस्लिम तुष्टिकरण को लेकर खासी सक्रियता दिखाई है। अब पश्चिम बंगाल में ओवैसी को बंगाल के सबसे प्रभावशाली मौलानाओं में से एक अब्बास सिद्दीकी का साथ मिल रहा है। विश्लेषक मानते हैं कि 2011 में मुस्लिम वोट बैंक के सहारे ही ममता बनर्जी ने साढ़े 3 दशक से सत्ता पर काबिज वामपंथियों को हराया था।
बता दें कि सिद्दीकी का असदुद्दीन ओवैसी को समर्थन देना राज्य में मुस्लिम वोटों की बड़ी गोलबंदी की ओर इशारा करता है, जिसका सीधा प्रभाव ममता बनर्जी पर पड़ने वाला है। कयास लगाए जा रहे हैं कि सिद्दीकी तृणमूल के बंगाली मुस्लिम वोट का एक बड़ा हिस्सा छीन सकते हैं। ये वो वोट होंगे, जो अब तक दक्षिण बंगाल में तृणमूल के साथ थे और उत्तरी बंगाल में में कॉन्ग्रेस के साथ!
गौरतलब है कि हाल ही में तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) के नेता फिरहाद हकीम को आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए कोलकाता की एक मस्जिद में राजनीतिक भाषण देते हुए पाया गया था। फिरहाद हकीम ने कहा कि यदि राज्य में फिर से ममता बनर्जी की सरकार बनती है तो इमामों को दिया जाने वाला भत्ता (मानदेय) बढ़ा दिया जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि राज्य में मुस्लिम मौलवियों की मासिक आय बढ़ाने की उनकी योजना है। दिलचस्प बात यह है कि उनके बगल में बैठे इमाम ने दर्शकों से ‘आमीन’ कहने का आग्रह किया था।
पश्चिम बंगाल में कॉन्ग्रेस और वाम मोर्चा एक साथ चुनावी मैदान में हैं। इस गठबंधन में इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) को शामिल करने पर कॉन्ग्रेस के नाराज नेताओं के समूह G-23 के सदस्य आनंद शर्मा ने सवाल उठाए हैं।
कॉन्ग्रेस की विचारधारा के खिलाफ है ISF से गठबंधन
आनंद शर्मा ने सोमवार (मार्च 1, 2021) को ट्वीट करते हुए कहा, “आईएसएफ जैसे दलों के साथ कॉन्ग्रेस का गठबंधन पार्टी की मूल विचारधारा के खिलाफ है, जो कि गाँधी और नेहरू के धर्मनिरपेक्षता वाले सिद्धांत पर आधारित है। इन मुद्दों को कॉन्ग्रेस कार्यसमिति पर चर्चा होनी चाहिए थी।”
गठबंधन को बताया शर्मनाक
पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की नवगठित पार्टी आईएसएफ के साथ गठबंधन को शर्मनाक बताते हुए उन्होंने ट्वीट के जरिए कहा, “सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने में कॉन्ग्रेस चयनात्मक रुख नहीं अपना सकती। हमें सांप्रदायिकता के हर रूप से लड़ना है। पश्चिम बंगाल प्रदेश कॉन्ग्रेस अध्यक्ष की उपस्थिति और समर्थन शर्मनाक है, उन्हें अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए।”
अधीर रंजन चौधरी ने सोमवार को आनंद शर्मा के बयान का जवाब देते हुए कहा कि वो एक राज्य के प्रभारी हैं और बिना किसी अनुमति के अपने दम पर कोई फैसला नहीं लेते हैं। कॉन्ग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने सोमवार को घोषणा की कि वाम दलों के साथ अब तक हुई चर्चा में सीटों की साझेदारी पर यह सहमति बनी है कि उनकी पार्टी 92 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इन सीटों पर कॉन्ग्रेस के प्रत्याशियों की सूची दो दिन में जारी कर दी जाएगी।
बता दें कि रविवार (फरवरी 28, 2021) को फुरफुरा शरीफ दरगाह के मौलाना अब्बास सिद्दीकी ने जहाँ राज्य भर के वामपंथी उम्मीदवारों को तो अपना समर्थन दे दिया, लेकिन कॉन्ग्रेस पार्टी के लिए ऐसा नहीं किया। कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में गठबंधन की पहली रैली आयोजित हुई। रैली में सिद्दीकी ने कहा कि वो चुनावी राजनीति में भागीदारी चाहते हैं, वो लेफ्ट को धन्यवाद करना चाहते हैं क्योंकि उसने अपनी सीटों का ‘बलिदान’ कर उन्हें 30 सीटें दी हैं।
‘भाईजान’ नाम से मशहूर पीरजादा सिद्दीकी फुरफुरा शरीफ के प्रमुख हैं। यह दरगाह देश की दूसरी सबसे बड़ी सूफी मजार है। इस दरगाह का दक्षिण बंगाल के इलाकों में काफी प्रभाव माना जाता है। पीरजादा की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं ने सत्ताधारी तृणमूल की नींद पहले से ही उड़ा रखी है। अब वे कॉन्ग्रेस में भी विवाद की वजह बन गए हैं।
पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में होने वाले विधानसभा चुनाव का ऐलान हो चुका है। आदर्श अचार संहित लागू होने से कुछ ही घंटों पहले ममता बनर्जी की नेतृत्व वाली तृणमूल कॉन्ग्रेस सरकार ने फुरफुरा शरीफ के विकास के लिए 2.60 करोड़ रुपए आवंटित किया।
वित्त विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह फंड मुख्य रूप से 20 ऊँचे खंभों और 400 एलईडी स्ट्रीट लाइट एवं तीर्थ के अन्य सौंदर्यीकरण परियोजनाओं के लिए उपयोग किया जाएगा। वित्त वर्ष 2020-21 में, वित्त विभाग ने कम से कम 60 योजनाओं और फुरफुरा शरीफ विकास प्राधिकरण के लिए लगभग 20 करोड़ रुपए आवंटित किए।”
राजस्थान के अजमेर शरीफ के बाद टालटोला स्थित फुरफुरा शरीफ दरगाह देश की दूसरी सबसे बड़ी सूफी मजार है। इस दरगाह का दक्षिण बंगाल के इलाकों में काफी प्रभाव माना जाता है। इस दरगाह से जुड़े ‘भाईजान’ नाम से मशहूर पीरजादा सिद्दीकी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा ने तृणमूल की परेशानियॉं पहले ही बढ़ा रखी है। लिहाजा इस ऐलान को समुदाय विशेष के मतदाताओं को लुभाने की कवायद से जोड़कर देखा जा रहा है।
बताया जा रहा है कि ममता बनर्जी ने यह फैसला इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) के नेता और फुरफुरा शरीफ दरगाह के मौलाना अब्बास सिद्दीकी के डर से किया है। बता दें कि ममता की पार्टी में कई नेताओं की बगावत के बाद अब एक और राजनीतिक दल इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) बंगाल में चर्चा का विषय है। इस राजनीतिक फ्रंट को बनाने वाले फुरफुरा शरीफ दरगाह के प्रमुख पीरजादा अब्बास सिद्दीकी हैं।
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री से भी तृणमूल कॉन्ग्रेस के खेमे में बेचैनी है, क्योंकि ममता बनर्जी ने पिछले एक दशक में मुस्लिम तुष्टिकरण को लेकर खासी सक्रियता दिखाई है। अब पश्चिम बंगाल में ओवैसी को बंगाल के सबसे प्रभावशाली मौलानाओं में से एक अब्बास सिद्दीकी का साथ मिल रहा है। विश्लेषक मानते हैं कि 2011 में मुस्लिम वोट बैंक के सहारे ही ममता बनर्जी ने साढ़े 3 दशक से सत्ता पर काबिज वामपंथियों को हराया था।
बता दें कि सिद्दीकी का असदुद्दीन ओवैसी को समर्थन देना राज्य में मुस्लिम वोटों की बड़ी गोलबंदी की ओर इशारा करता है, जिसका सीधा प्रभाव ममता बनर्जी पर पड़ने वाला है। कयास लगाए जा रहे हैं कि सिद्दीकी तृणमूल के बंगाली मुस्लिम वोट का एक बड़ा हिस्सा छीन सकते हैं। ये वो वोट होंगे, जो अब तक दक्षिण बंगाल में तृणमूल के साथ थे और उत्तरी बंगाल में में कॉन्ग्रेस के साथ!
गौरतलब है कि हाल ही में तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) के नेता फिरहाद हकीम को आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए कोलकाता की एक मस्जिद में राजनीतिक भाषण देते हुए पाया गया था। फिरहाद हकीम ने कहा कि यदि राज्य में फिर से ममता बनर्जी की सरकार बनती है तो इमामों को दिया जाने वाला भत्ता (मानदेय) बढ़ा दिया जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि राज्य में मुस्लिम मौलवियों की मासिक आय बढ़ाने की उनकी योजना है। दिलचस्प बात यह है कि उनके बगल में बैठे इमाम ने दर्शकों से ‘आमीन’ कहने का आग्रह किया था।
पश्चिम बंगाल में कॉन्ग्रेस और वाम मोर्चा एक साथ चुनावी मैदान में हैं। इस गठबंधन में इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) को शामिल करने पर कॉन्ग्रेस के नाराज नेताओं के समूह G-23 के सदस्य आनंद शर्मा ने सवाल उठाए हैं।
कॉन्ग्रेस की विचारधारा के खिलाफ है ISF से गठबंधन
आनंद शर्मा ने सोमवार (मार्च 1, 2021) को ट्वीट करते हुए कहा, “आईएसएफ जैसे दलों के साथ कॉन्ग्रेस का गठबंधन पार्टी की मूल विचारधारा के खिलाफ है, जो कि गाँधी और नेहरू के धर्मनिरपेक्षता वाले सिद्धांत पर आधारित है। इन मुद्दों को कॉन्ग्रेस कार्यसमिति पर चर्चा होनी चाहिए थी।”
गठबंधन को बताया शर्मनाक
पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की नवगठित पार्टी आईएसएफ के साथ गठबंधन को शर्मनाक बताते हुए उन्होंने ट्वीट के जरिए कहा, “सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने में कॉन्ग्रेस चयनात्मक रुख नहीं अपना सकती। हमें सांप्रदायिकता के हर रूप से लड़ना है। पश्चिम बंगाल प्रदेश कॉन्ग्रेस अध्यक्ष की उपस्थिति और समर्थन शर्मनाक है, उन्हें अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए।”
अधीर रंजन चौधरी ने सोमवार को आनंद शर्मा के बयान का जवाब देते हुए कहा कि वो एक राज्य के प्रभारी हैं और बिना किसी अनुमति के अपने दम पर कोई फैसला नहीं लेते हैं। कॉन्ग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने सोमवार को घोषणा की कि वाम दलों के साथ अब तक हुई चर्चा में सीटों की साझेदारी पर यह सहमति बनी है कि उनकी पार्टी 92 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इन सीटों पर कॉन्ग्रेस के प्रत्याशियों की सूची दो दिन में जारी कर दी जाएगी।
बता दें कि रविवार (फरवरी 28, 2021) को फुरफुरा शरीफ दरगाह के मौलाना अब्बास सिद्दीकी ने जहाँ राज्य भर के वामपंथी उम्मीदवारों को तो अपना समर्थन दे दिया, लेकिन कॉन्ग्रेस पार्टी के लिए ऐसा नहीं किया। कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में गठबंधन की पहली रैली आयोजित हुई। रैली में सिद्दीकी ने कहा कि वो चुनावी राजनीति में भागीदारी चाहते हैं, वो लेफ्ट को धन्यवाद करना चाहते हैं क्योंकि उसने अपनी सीटों का ‘बलिदान’ कर उन्हें 30 सीटें दी हैं।
‘भाईजान’ नाम से मशहूर पीरजादा सिद्दीकी फुरफुरा शरीफ के प्रमुख हैं। यह दरगाह देश की दूसरी सबसे बड़ी सूफी मजार है। इस दरगाह का दक्षिण बंगाल के इलाकों में काफी प्रभाव माना जाता है। पीरजादा की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं ने सत्ताधारी तृणमूल की नींद पहले से ही उड़ा रखी है। अब वे कॉन्ग्रेस में भी विवाद की वजह बन गए हैं।