MP में ‘लव जिहाद’ कानून के लिए अध्यादेश लाएगी शिवराज सरकार, जानें खास बातें
MP Love Jihad Law: लव जिहाद कानून बनाने के लिए अब मध्य प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) अध्यादेश लाएगी. सरकार ने यह कदम विधानसभा के शीतकालीन सत्र के स्थगित होने के कारण उठाया है.
हम मध्य प्रदेश में लव जिहाद नहीं होने देंगे: शिवराज
भोपाल. मध्य प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) ने पिछले दिनों लव जिहाद कानून के मसौदे को कैबिनेट की बैठक में मंत्रियों से चर्चा के बाद सर्वसम्मति मंजूरी दे दी, लेकिन कोरोना की वजह से विधानसभा का शीतकालीन सत्र स्थगित होने के कारण यह कानून का रूप नहीं ले सका है. इस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2020 सहित जितने भी विधेयक थे, उसके लिए हम कल कैबिनेट की बैठक कर रहे हैं. अध्यादेश लाकर हम इन्हें लागू करेंगे. धर्म स्वातंत्र्य विधेयक जिसे आप लव जिहाद कह रहे हैं, जो गलत इरादों से धर्मांतरण करते हैं, वो हम नहीं होने देंगे.
बहरहाल, मध्य प्रदेश के लव जिहाद कानून के मसौदे की एक खास बात ये है कि स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति और उसका धर्म परिवर्तन कराने वाले धार्मिक व्यक्ति को जिला कलेक्टर को 60 दिन पहले सूचना देना जरूरी होगी. धर्म परिवर्तन कराने वाले धार्मिक व्यक्ति द्वारा जिला कलेक्टर को धर्म परिवर्तन के 60 दिवस पहले सूचना नहीं दिए जाने पर 3 से 5 साल की सजा और 50000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है.
लव जिहाद कानून के तहत अब कोई भी व्यक्ति दुर्भावना, प्रलोभन धमकी, बल प्रयोग, उत्पीड़न या अन्य कपट पूर्ण तरीके से धर्म परिवर्तन या धर्म परिवर्तन के लिए दबाव नहीं डाल सकेगा. इस तरह से करने वाले व्यक्ति के दबाव को षड्यंत्र माना जाएगा.
नए मसौदे के प्रावधानों में धर्म परिवर्तन के अपराध में पीड़ित महिला और पैदा होने वाले बच्चे के भरण-पोषण की जिम्मेदारी भी तय की गई है. पैदा हुए बच्चे को पिता की संपत्ति में उत्तराधिकारी के रूप में अधिकार बरकरार रखने का प्रावधान भी शामिल किया गया है. अधिनियम के प्रावधानों के खिलाफ धर्म परिवर्तन कराने वाली संस्था संगठन के खिलाफ भी सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है. ऐसी संस्थाओं संगठनों के पंजीयन निरस्त करने का अधिकार होगा.
अधिनियम के प्रावधान में सरकार ने बदलाव करते हुए कम से कम 1 साल और अधिकतम 5 साल तक की सजा. इसके अलावा 25000 रुपए का जुर्माना करने का प्रावधान किया है.
महिला, नाबालिग, अनुसूचित जाति, जनजाति के धर्म में बदलाव किए जाने पर कम से कम 2 साल और अधिकतम 10 साल की सजा करने और 50000 रुपए का जुर्माना लगाए जाने का प्रावधान किया गया है.
धर्म छिपाकर धर्म बदलाव किए जाने की कोशिश पर 3 साल की कम से कम सजा और अधिकतम 10 साल का कारावास समेत 50000 रुपए जुर्माना होगा. सामूहिक धर्म परिवर्तन के दबाव पर 5 से 10 साल की सजा और एक लाख रुपए तक का जुर्माना होगा. एक बार से ज्यादा बार कानून का उल्लंघन करने पर 5 से 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है.
पैतृक धर्म में वापसी को लेकर भी सरकार ने मसौदे में बिंदु को शामिल किया है. अधिनियम में धर्म परिवर्तन के मामले में कहा गया है कि पैतृक धर्म वह माना जाएगा जो व्यक्ति के जन्म के समय उसके पिता का धर्म था. धर्म परिवर्तन कराने के मामले में संबंधित व्यक्ति के माता-पिता या भाई-बहन को पुलिस थाने में अधिनियम के तहत कार्रवाई की शिकायत देना होगा. अधिनियम में दर्ज अपराध और गैर जमानती माना गया है. मामले की सुनवाई कोर्ट के द्वारा अधिकृत होगी.