Sunday, December 22, 2024
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1411 जिओ टावर तोड़ दिए पंजाब में कथित किसान आंदोलनकारियों ने

पिछले 24 घंटे में 176 से अधिक दूरसंचार टावरों को नुकसान पहुंचाया गया। सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी। दूरसंचार टावरों को नुकसान पहुंचाने के पीछे यह कहानी कही जा रही है कि नये कृषि कानूनों से मुकेश अंबानी और गौतम अडाणी जैसे उद्योगपतियों को लाभ होगा। इस आधार पर पंजाब में विभिन्न स्थानों पर रिलायंस जियो के टावरों को नुकसान पहुंचाया गया है जिससे दूरसंचार संपर्क व्यवस्था पर असर पड़ा। हालांकि, यह अलग बात है कि अंबानी और अडाणी से जुड़ी कंपनियां किसानों से अनाज नहीं खरीदती हैं।

लड़ाई कृषि कानूनों की, किसानों ने तोड़ दिए 1411 मोबाइल टावर

अभी तक करीब डेढ़ हजार टावरों को पहुंचाया गया नुकसान
मामले से जुड़े दो सूत्रों ने कहा कि पिछले 24 घंटों में 176 दूरसंचार टावरों को नुकसान पहुंचा है। इससे अब तक कुल 1,411 दूरसंचार टावरों को नुकसान पहुंचाया जा चुका है। एक सूत्र ने बताया कि पंजाब के विभिन्न स्थानों से दूरसंचार टावरों को नुकसान पहुंचाये जाने की सूचना है। उसने बताया कि जिन दूरसंचार टावरों को नुकसान पहुंचाया गया है, उनमें से ज्यादातर जियो और दूरसंचार उद्योग के साझा बुनियादी ढांचा सुविधाओं से जुड़े हैं।

नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का दूसरा महीना शुरू हो गया है और इस बीच पंजाब के कई इलाकों में किसान के मोबाइल टावर तोड़ने के मामले सामने आ रहे हैं। अंबानी और अडाणी के विरोध में पंजाब की कई जगहों पर रिलायंस जियो के टावर को नुकसान पहुंचाया गया जिससे दूरसंचार संपर्क व्यवस्था पर असर पड़ा। अब तक कुल 1,411 टावर को तोड़ा जा चुका है। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की अपील के बाद भी कोई खास असर नहीं हुआ है।

इस वजह से निशाने पर मोबाइल टावर
पंजाब में पिछले 24 घंटे में 176 से अधिक दूरसंचार टावरों को नुकसान पहुंचाया गया। दूरसंचार टावरों को नुकसान पहुंचाने के पीछे यह कहानी कही जा रही है कि नये कृषि कानूनों से मुकेश अंबानी और गौतम अडाणी जैसे उद्योगपतियों को लाभ होगा। इस आधार पर पंजाब में विभिन्न स्थानों पर रिलायंस जियो के टावरों को नुकसान पहुंचाया गया है जिससे दूरसंचार संपर्क व्यवस्था पर असर पड़ा। हालांकि, यह अलग बात है कि अंबानी और अडाणी से जुड़ी कंपनियां किसानों से अनाज नहीं खरीदती हैं।

मोबाइल टावर टूटने से जनजीवन अस्त व्यस्त
एक सूत्र ने बताया कि पंजाब के विभिन्न स्थानों से दूरसंचार टावरों को नुकसान पहुंचाये जाने की सूचना है। उसने बताया कि जिन दूरसंचार टावरों को नुकसान पहुंचाया गया है, उनमें से ज्यादातर जियो और दूरसंचार उद्योग के साझा बुनियादी ढांचा सुविधाओं से जुड़े हैं। सूत्रों ने कहा कि हमलों का असर दूरसंचार सेवाओं पर पड़ा है और परिचालकों को पुलिस की तरफ से कार्रवाई नहीं होने के कारण सेवाओं को बहाल करने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
किसानों से मुख्यमंत्री कैप्टन की अपील
पंजाब के मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को प्रदर्शनकारी किसानों से इस प्रकार के कार्यों से आम लोगों को असुविधा नहीं पहुंचाने की अपील की। उन्होंने किसानों से कहा कि जिस संयम के साथ वे आंदोलन करते आए हैं, उसे बरकरार रखें।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने बयान में कहा था, ‘मुख्यमंत्री ने कोविड महामारी के बीच दूरसंचार संपर्क व्यवस्था को महत्वपूर्ण बताया और किसानों से आंदोलन के दौरान उसी तरह का अनुशासन और जिम्मेदारी दिखाने को कहा जिसे वह दिल्ली सीमा पर और पूर्व के विरोध-प्रदर्शन में दिखाते आए हैं।’

मुख्यमंत्री की यह अपील टावर ऐंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाडर्स एसोसिएशन (टीएआईपीए) के आग्रह पर आई है। दूरसंचार बुनियादी ढांचा प्रदाताओं के इस पंजीकृत संघ ने राज्य सरकार से किसानों को अपनी न्याय की लड़ाई में किसी भी गैरकानूनी गतिविधि का सहारा नहीं लेने को लेकर अनुरोध करने का आग्रह किया था।

लड़ाई एमएसपी की, मोबाइल टावर का क्या कसूर?
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग समेत कई मुद्दों पर किसान आंदोलन कर रहे हैं लेकिन तोड़फोड़ जैसा कोई भी कदम किसी आंदोलन को मूल मुद्दे से भटका सकता है। किसानों का अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन करना उचित है। इसमें कोई बुराई नहीं है। हालांकि इन सबके बीच पब्लिक प्रॉपर्टी मसलन टावरों को निशाना बनाया जाना उचित नहीं ठहराया जा सकता। संचार के इस दौर में रोटी, कपड़ा और मकान की तरह ये टावर भी बुनियादी जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। ऐसे में किसानों को हिंसात्मक विरोध का रास्ता नहीं अपनाना चाहिए।

किसानों को नक्सली कहने पर बीजेपी पर भड़के कैप्टन
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने किसानों के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक भाषा का प्रयोग करने को लेकर रविवार को बीजेपी पर हमला बोला। कैप्टन कहा कि बीजेपी किसानों की छवि खराब करना और उनके लिए ‘अर्बन नक्सल, खालिस्तानी, गुंडा’ कहना बंद करे। अमरिंदर सिंह ने एक बयान में कहा, ‘अगर बीजेपी अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहे नागरिकों और आतंकवादियों, उग्रवादियों और गुंडों में फर्क नहीं कर सकती है तो उसे जनता की पार्टी होने का ढोंग छोड़ देना चाहिए।’

मुख्यमंत्री ने कहा कि विभिन्न किसान नेताओं ने खुद आंदोलनकारियों से अपील की थी कि वे मोबाइल टावरों से बिजली न काटें, मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ स्थानों पर यह स्पष्ट रूप से दिख रहा है कि किसान क्रोध में ये कदम उठा रहे हैं, जिन्हें आगे अपना भविष्य अंधकारमय दिख रहा है।

किसान आंदोलन पर बीजेपी-विपक्ष आमने-सामने
कड़ाके की ठंड के बीच दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर चल रहा किसानों का आंदोलन दूसरे महीने में प्रवेश कर गया है, वहीं बीजेपी और विपक्षी दलों के बीच जुबानी जंग और तेज हो गई है। प्रदर्शनकारी किसान संगठनों द्वारा अगले दौर की वार्ता की तारीख 29 दिसंबर प्रस्तावित करने के एक दिन बाद केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने उम्मीद जताई कि बैठक में समाधान निकल आएगा, जबकि बीजेपी के कई नेताओं ने किसानों के मुद्दे का राजनीतिकरण करने के आरोप लगाए।

‘किसान छुट्टियां मनाने नहीं आएं हैं’
बहरहाल, किसान नेता और सीपीएम पोलित ब्यूरो के सदस्य हन्नान मुल्ला ने कहा कि वार्ता के उनके प्रस्ताव का कोई जवाब नहीं मिला है और इन आरोपों को खारिज कर दिया कि आंदोलन के पीछे वामपंथी पार्टियां हैं। ऑल इंडिया किसान सभा (एआईकेएस) के महासचिव मुल्ला ने कहा, ‘कड़ाके की ठंड झेल रहे हजारों किसान जो सीमाओं पर इकट्ठे हुए हैं, वे यहां छुट्टी मनाने के लिए नहीं हैं। सरकार ने अब तक कहा था कि हम कोई बैठक नहीं चाहते, अब जब हम विशेष रूप से उन्हें बता चुके हैं कि बैठक कब, कहां और किस तरह से होगी, उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया है। हम स्वीकार करते हैं कि सरकार के साथ बातचीत के बिना कोई समाधान नहीं हो सकता है।’

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