15 दिसंबर को जैसे ही भाजपा राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने सुवेन्दु अधिकारी को कहा “HAPPY BIRTHDAY” तब तक सब कुछ फाइनल हो चुका था।2 लोकसभा सदस्य और एक विधानसभा सदस्य घर मे ही हैं सुवेन्दु अधिकारी के।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले तृणमूल कांग्रेस के बागी नेता शुभेंदु अधिकारी ने न सिर्फ मंत्री और विधायक पद से इस्तीफा दिया है, बल्कि मुख्यमंत्री ममता के खिलाफ मोर्चाबंदी भी शुरू कर दी है। शुभेंदु अधिकारी ममता बनर्जी की टीएमसी से जितने भी नेता नाराज चल रहे हैं, सबको एक एकजुट करने की कवायद में जुट गए हैं। तृणमूल कांग्रेस के बागी नेता शुभेंदु अधिकारी ने विधायक पद से इस्तीफा देने के कुछ घंटे बाद बुधवार को सांसद सुनील मंडल और आसनसोल नगर निगम के प्रमुख जितेंद्र तिवारी समेत पार्टी के असंतुष्ट नेताओं के साथ मुलाकात की। बंद कमरे में हो रही बैठक शाम सात बजे शुरू हुई और देर रात तक जारी रही।
शुभेंदु अधिकारी पश्चिम बर्द्धमान जिले में कांकसा में मंडल के आवास पर उनसे मिलने गए थे। सूत्रों ने बताया कि बर्द्धमान पूर्व लोकसभा क्षेत्र के दो बार के सांसद मंडल ने अधिकारी का स्वागत किया और उन्हें भीतर ले गए। हालांकि, बंद कमरे में नाराज टीएमसी नेताओं के बीच क्या बातें हुईं, अभी तक यह बाहर नहीं आ पाया है। वह सुबह में अधिकारी के समर्थन में सामने आए थे और शिकायतों को दूर नहीं करने के लिए पार्टी पर दोष मढ़ा था। बता दें कि दिन में ही विधायक पद से इस्तीफा देकर शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को बड़ा झटका दिया था।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शुभेंदु अधिकारी जल्द ही भाजपा का दामन थाम सकते हैं। मंत्री पद और विधायकी से इस्तीफा देने के बाद अब माना जा रहा है कि शुभेंदु अधिकारी जल्द ही पार्टी की प्राथमिक सदस्यता भी छोड़ देंगे। ऐसी अटकलें हैं कि बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह के दौरे के दौरान 19 दिसंबर को शुभेंदु बीजेपी में शामिल होंगे।
बुधवार को दोपहर बाद विधानसभा पहुंचे अधिकारी ने हाथ से लिखा हुआ त्याग पत्र सचिवालय को सौंपा। स्पीकर बिमन बनर्जी दफ्तर में मौजूद नहीं थे। कभी ममता बनर्जी के बेहद खास रहे और नंदीग्राम में टीएमसी का उदय कराने वाले शुभेंदु अधिकारी का करीब 50 विधानसभा सीटों पर अच्छा प्रभाव माना जाता है।
टीएमसी के वरिष्ठ नेताओं ने निजी रूप से बताया कि अधिकारी ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से नाखुश हैं, जिन्हें 2019 चुनाव में बीजेपी को मिली बड़ी सफलता के बाद उतारा गया। अमित शाह 19 और 20 दिसंबर को बंगाल में रहेंगे। वह कम से कम तीन जिलों में रैलियों को संबोधित करेंगे, जिनमें पूर्वी मिदनापुर भी शामिल है, जहां अधिकारी, उनके पिता और दो भाई दो लोकसभा क्षेत्रों और एक विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। सिविक बॉडी का प्रतिनिधित्व भी अधिकारी परिवार के पास ही है। शुभेंदु नंदीग्राम सीट से विधायक हैं।
भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव के बाद से ही बंगाल में विभीषण की तलाश में थी। यह तलाश लगभग पूरी हो गयी है। इसके बल पर ही 2021 में विधानसभा में फतह की स्क्रिप्ट लिखना शुरु किया है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो कमजोर पड़े उत्तर बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने राजनीतिक गोटी सेट करना शुरु किया है। वहीं दूसरी ओर भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस के बागी नेता शुभेंदु अधिकारी को अपने खेमे में लाने की सभी तैयारी पूरी कर ली है। सूत्रों की मानें तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बंगाल दौरे पर शुभेंदु अधिकारी भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं। भाजपा के सूत्रों के मुताबिक,19 या 20 दिसंबर को शाह बंगाल में रहेंगे, यहीं पर अधिकारी को भाजपा में शामिल कराया जा सकता है। बता दें कि टीएमसी के कद्दावर नेता सुवेंदु अधिकारी ने पिछले महीने ही कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था, तभी से माना जा रहा था कि वे बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल हो सकते हैं। केंद्रीय गृह मंत्री शाह शनिवार-रविवार को तय किए गए बंगाल दौरे पर तीन जिलों में रैली को संबोधित करेंगे। इनमें पूर्वी मिदनापुर शामिल है, जहां से सुवेंदु अधिकारी के पिता और दो भाई लोकसभा सांसद और विधायक हैं।
मंगलवार को ही भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय शुभेंदु अधिकारी के जन्मदिन पर उनसे मिलने पहुंचे थे।
भाजपा को होगा फायदा
भाजपा की मानें तो शुभेंदु अधिकारी का भाजपा में शामिल करना पार्टी के लिए बड़ा फायदा होगा। टीएमसी के अन्य नेताओं के मुकाबले अधिकारी की छवि साफ है। उन्हें राज्य का जननेता माना जाता है। टीएमसी सरकार से उनकी विदाई पहले ही पार्टी को चोट पहुंचा चुकी है। इसलिए ममता बनर्जी नेतृत्व उन्हें मन बदलने के लिए मनाने की लगातार कोशिश की गई थी। शुभेंदु अधिकारी का बंगाल के छह जिलों की 50 विधानसभा सीटों पर अच्छा प्रभाव माना जाता है। यही कारण है कि भाजपा टीएमसी के अंदर ही एक ऐसे विभीषण की तलाश कर रही थी जो बंगाल रूपी सत्ता की लंका को भेद पाए।
भाजपा की रणनीति हो रही सफल
इसके लिए उसकी रणनीति काफी हद तक दूसरे दलों से आने वाले नेताओं पर भी टिकी हुई है। इस रणनीति में पश्चिम बंगाल के प्रभारी भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, राष्ट्रीय संगठन के संयुक्त मंत्री शिव प्रकाश, प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल राय की टीम एक एक विधानसभा सीट का बारीकी से आकलन कर रहे हैं। वह यहां के जातीय व सामाजिक समीकरणों के साथ प्रभावी नेताओं पर भी नजर रख रही है। कोलकाता मुख्यालय में चुनावी की कमान गृहमंत्री अमित शाह और उत्तर बंगाल में कैलाश विजयवर्गीय के कंधे पर है।
कई बड़े नेता भाजपा में आने को तैयार
दार्जलिंग के सांसद सह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू बिष्ट का कहना है कि टीएमसी, कांग्रेस, वामपंथी दलों के साथ हिल्स के कई बड़े नेता स्थानीय स्तर पर भाजपा के संपर्क में भी आए हैं। जल्दी ही इनमें से कुछ नेताओं को भाजपा में शामिल भी किया जा सकता है। इसमें कई शुभेंदु के चाहने वाले है।
उत्तर बंगाल के बाद दक्षिण बंगाल पर नजर
2019 लोकसभा चुनाव पर नजर दौड़एं तो पता चलता है कि बीजेपी को 40.64 फीसदी वोट शेयर के साथ 18 लोकसभा सीटे मिली जो 2014 के मुकाबले 16 सीटों का इजाफा हुआ था। इसके ठीक उल्टा टीएमसी को 43.69 फीसदी वोट शेयर के साथ 22 लोकसभा सीटे जीतने में कामयाब रही थी। 2014 के मुकाबले 12 सीटों का तृणमूल कांग्रेस को नुकसान था। असली लड़ाई यहीं से भाजपा ने शुरू कर दी है। लोकसभा चुनाव के नतीजे के दौरान 122 ऐसी विधानसभा सीटें थी जहा बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। टीएमसी ने 163 विधानसभा सीटों पर अपनी बढ़त बनाई थी। 2016 विधानसभा चुनाव में महज तीन विधानसभा सीट जितने वाली बीजेपी 122 विधानसभा सीटों में आगे थी और यही से शुरु हुआ बंगाल फतह का मेगा प्लान।
बांग्लादेश से आए हिंदू शरणार्थियों पर नजर
बंगाल में बाग्लादेश से आये हिन्दू शरणार्थियों की संख्या ज्यादा है। उनके बीच बीजेपी रोजाना अपनी पकड़ मजबूत करती जा रही है। 2019 लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी को इसी इलाके से सबसे ज्यादा फायदा मिला था। लोकसभा चुनाव में उत्तर बंगाल के आठ में से सात सीटों पर जीत दर्ज करने वाली भारतीय जनता पार्टी साउथ बंगाल में अपनी पैठ बनाना शुरु किया है। यही कारण है कि तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच राजनैतिक हिंसा की घटनाएं रोज सामने आ रही है।
130 कार्यकर्ताओं की हो चुकी है हत्या
भाजपा का आरोप है कि बंगाल में अब तक करीब 130 से ज्यादा बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या की गई है। जिनमें करीब 50 से ज्यादा बीजेपी समर्थित लोगों की हत्या दक्षिण बंगाल में हुई है। हिंसा के खेल को तो स्वयं भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को सामना करना पड़ा।
तृणमूल कांग्रेस को उसी के हथियार से मात देने की तैयारी
नंदीग्राम आदोलन, सिंगूर जैसे मामलों से मा, माटी, मानुष का नारा देने वाली ममता बनर्जी ने आदोलन के रास्ते सत्ता तो हासिल कर लिया था, लेकिन जिन वजहों से बंगाल ने ममता को सत्ता सौंपी थी वही माहौल ममता राज में बदस्तूर जारी है। जिसे बीजेपी चुनावी हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की तैयारी में जुटी है। बंगाल हमेशा से देश को दिशा देने वाले महापुरुषों के लिए जाना जाता रहा है। जबकि मौजूदा समय मे बंगाल में लगातार राजनैतिक हिंसा के मामले बढ़ते जा रहे हैं। भाजपा इसी हथियार से तृणमूल कांग्रेस का पराजित करने की तैयारी में है।