Sunday, December 22, 2024
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अमित शाह की पहली बाल पर ममता बनर्जी आलआउट

हालांकि ममता बनर्जी की पूरी कोशिश है खुद को मजबूर और केंद्र को तानाशाह दिखाने की पर दांव फेल हो गया है।नियमानुसार ममता के हाथ कुछ नही फर्जी दादागिरी और बयानबाजी के।

अमित शाह ने ममता बनर्जी सरकार को घुटने पर ला दिया। अब बंगाल की मुख्यमंत्री के पास कोई चारा ही नहीं बचा है। बात हो रही है, केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से प. बंगाल में तैनात इंडियन पुलिस सर्विस (IPS) के तीन अफसरों को भेजे गए समन और फिर ममता सरकार की ओर से इसे अंगूठा दिखाने की।

केंद्र ने किया तलब, ममता ने कहा- कोई नहीं जाएगा

शाह की गुगली में फंसी ममता बनर्जी।
जब ममता सरकार ने तीन आईपीएस अफसरों को सवाल-जवाब के लिए केंद्र सरकार के पास भेजने से इनकार कर दिया तो केंद्र ने भारतीय पुलिस सेवा (कैडर) नियमावली, 1954 में प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल कर तीन आईपीएस की पोस्टिंग की जगह ही बदल डाली। अब वो पश्चिम बंगाल सरकार को नहीं बल्कि केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर केंद्र सरकार को अपनी-अपनी सेवाएं देंगे।
ममता के रुख पर केंद्र सख्त, नियमों के जरिए किया पस्त
भारतीय पुलिस सेवा (कैडर) नियमावली, 1954 कहती है कि ‘केंद्र और राज्य सरकार के बीच किसी प्रकार की असहमति होने पर ‘संबंधित राज्य सरकार को केंद्र सरकार का निर्णय मानना होगा।’ यानी, केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जिन तीन आईपीएस अफसरों को शनिवार को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर सेवा के लिए बुलाया गया है, उनके पास आदेश मानने के अतिरिक्त और कोई चारा नहीं है और पश्चिम बंगाल सरकार उन्हें कार्यमुक्त करने के लिए बाध्य है।

क्या कहता है नियम

प्रतिनियुक्ति के नियमों के अनुसार, किसी अधिकारी को, राज्य और केंद्र सरकार की सहमति से, केंद्र सरकार या किसी अन्य राज्य सरकार की सेवा के लिए या केंद्र सरकार या किसी अन्य राज्य सरकार के पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी या संघ आदि में प्रतिनियुक्त किया जा सकता है। नियमों के अनुसार, “किसी प्रकार की असहमति होने पर मामले पर निर्णय केंद्र सरकार लेगी और राज्य सरकार को उस निर्णय को लागू करना होगा।”
अब केंद्र सरकार को सेवा देंगे ये तीन IPS अधिकारी
भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय कैडर नियंत्रक प्राधिकरण (Controller Authority) है। डायमंड हार्बर के एसपी भोलानाथ पांडेय 2011 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। प्रेसीडेंसी रेंज के डीआईजी प्रवीण त्रिपाठी, 2004 बैच और दक्षिण बंगाल के एडीजी राजीव मिश्रा 1996 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। पश्चिम बंगाल कैडर के इन तीन आईपीएस अधिकारियों को केंद्र सरकार की सेवा में प्रतिनियुक्ति पर बुलाया गया है। पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी (BJP) अध्यक्ष जे पी नड्डा के काफिले पर बृहस्पतिवार को हमला हुआ था और इस संबंध में कथित तौर पर सुरक्षा में हुई चूक के मद्देनजर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह निर्णय लिया है।
ध्यान रहे कि नड्डा के काफिले पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) के कथित समर्थकों की ओर से हमले पर राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने केंद्र को रिपोर्ट दी थी। उसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प. बंगाल में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर स्पष्टीकरण के लिए बंदोपाध्याय और डीजीपी वीरेंद्र को 14 दिसंबर को तलब किया था। लेकिन, राज्य की ममता बनर्जी सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के इस समन को रद्दी की टोकरी में डालते हुए राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस प्रमुख को नई दिल्ली नहीं भेजने का फैसला किया था। जवाब में केंद्र सरकार ने नियमों की गुगली फेंक दी।

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