वेदीक्युअर के संस्थापक डॉ. अनिल पाटिल का लंबी बीमारी से कल 8 अगस्त को निधन हो गया। ये वही अनिल पाटिल (Anil Patil) हैं, जिन्होंने दावा किया था कि कोरोना कोई बीमारी नहीं है, बल्कि चीन (china) द्वारा वैक्सीन बेचने के नाम पर किया गया दुष्प्रचार है, ताकि ज्यादा से ज्यादा व्यापार बढ़ाया जा सके।
डॉ अनिल पाटिल वेदीक्युअर (Vedicure) नाम की आयुर्वेद कंपनी के संस्थापक थे। इनके बहुत से मराठी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते रहते हैं, जिनमें वे वादा करते हैं कोरोना चीनी स्कैम है, वैक्सीन बेचने की साजिश है।
यही नहीं अपने वीडियोज में अनिल पाटिल कह रहे थे कि इस बात की गारंटी स्टैम्प पेपर पर दे रहा हूं कि कोरोना से किसी भारतीय नागरिक का कुछ नहीं बिगड़ सकता, मगर अब उनकी खुद की मौत का कारण कोरोना बताया जा रहा है। अनिल पाटिल कोरोना से मरने वालों का यह कहकर मज़ाक उड़ा रहे थे कि ये सभी मौतें बीमारी नहीं, बल्कि डर से हो रही हैं। वे इसे काल्पनिक बीमारी कह रहे थे।
अनिल पाटिल (Dr. Anil Patil) ने यह भी दावा किया था कि गर्मियां बढ़ते ही कोरोना का असर भारत में खत्म हो जायेगा। महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल (MMC) ने अनिल पाटिल को 17 मार्च को कोरोना के बारे में भ्रामक जानकारी फैलाने के लिए नोटिस भी जारी किया था, बावजूद उसके वे अपने वीडियोज में कोरोना को लेकर लगातार दुष्प्रचार कर रहे थे। इसे काल्पनिक बीमारी कहकर इसका मजाक उड़ाते हुए कह रहे थे कि हमारे देश में कोरोना से नहीं बल्कि भय से मौतें हो रही हैं। कोरोना (Corona) चीन ने वैक्सीन बेचने के लिए अपनी कल्पना से उपजायी एक काल्पनिक बीमारी है, इसलिए इससे बिल्कुल न डरें। कोरोना से भारत में एक भी मौत नहीं होगी।
सोशल मीडिया पर डॉ. अनिल पाटिल की मौत की जानकारी साझा करते हुए लेखक मुकेश असीम लिखते हैं, कोरोना को चीनी दुष्प्रचार बताने वाले अनिल पाटिल की खुद की मौत कोरोना से हो गयी है।’
वेदीक्युअर (Vedicure) के संस्थापक डॉ. अनिल पाटिल ने दावा किया था कि भारतीयों का ज्यादा कुछ इसलिए भी कोरोना नहीं बिगाड़ सकता क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत अच्छी है।
महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष डॉ. शिवकुमार उटेकर ने अनिल पाटिल को नोटिस जारी करते हुए तब कहा था कि कोरोना वायरस के बारे में वो जो दावा कर रहे हैं, उसे प्रमाणित करने के लिए उनके पास कौन सा अध्ययन या डेटाबेस है उसके बारे में बतायें। एमएमसी ने कहा कि अनिल पाटिल ने अपने साक्षात्कारों में कोरोना (Corona) को लेकर कई ऐसे दावे किए थे, जो केंद्र सरकार द्वारा जारी की गयी सलाहों का सीधे—सीधे उल्लंघन है।
इतना ही नहीं अनिल पाटिल आयुर्वेद के नाम पर तमाम तरह के दूसरे दावे भी करते रहते थे। जिस कोरोना को उन्होंने काल्पनिक बीमारी बताया, अब वे खुद उसका शिकार बन गये।