Saturday, December 21, 2024
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BREAKING NEWS: किसान नेताओं ने माफी मांगी,खालिस्तानियों और राजनैतिक दलों पर आरोप लगाया,दिल्ली में ििइंटरनेटबन्द

कृषि कानूनों (New Farm Laws) के खिलाफ आज किसानों द्वारा निकाली जा रही ट्रैक्‍टर परेड (Kisan Tractor Parade) के दौरान कई जगहों पर किसानों के उग्र होने की संयुक्‍त किसान मोर्चे ने निंदा की है. पिछले करीब 2 महीने से चल रहे किसान आंदोलन के तहत ट्रैक्‍टर परेड निकाले जाने के दौरान आज आईटीओ, लाल किला, नांगलोई, सिंघु, टिकरी बॉर्डर एवं अन्‍य जगहों पर आज किसानों द्वारा उपद्रव मचाने के बाद मोर्चे ने आधिकारिक यह बयान जारी किया.

ऐसे कृत्यों में लिप्त लोगों से खुद को अलग करते हैं- मोर्चा

संयुक्‍त किसान मोर्चे की तरफ से अपने बयान में कहा गया कि आज के किसान गणतंत्र दिवस परेड में अभूतपूर्व भागीदारी के लिए हम किसानों को धन्यवाद देते हैं, लेकिन हम उन अवांछनीय और अस्वीकार्य घटनाओं की भी निंदा और खेद करते हैं, जो आज घटित हुई हैं और ऐसे कृत्यों में लिप्त होने वाले लोगों से खुद को अलग करते हैं.

कुछ संगठनों और व्यक्तियों ने मार्ग का उल्लंघन किया- किसान नेता
40 किसान संगठनों के इस मोर्चे ने कहा कि हमारे सभी प्रयासों के बावजूद, कुछ संगठनों और व्यक्तियों ने मार्ग का उल्लंघन किया और निंदनीय कृत्यों में लिप्त रहे. असामाजिक तत्वों ने अन्यथा शांतिपूर्ण आंदोलन में घुसपैठ की थी. हमने हमेशा माना है कि शांति हमारी सबसे बड़ी ताकत है, और किसी भी उल्लंघन से आंदोलन को नुकसान पहुंचेगा.

हम राष्ट्रीय प्रतीकों और गरिमा को प्रभावित करने वाली किसी भी चीज़ में लिप्त नहीं- मोर्चा
किसान नेताओं की तरफ से कहा गया कि अब 6 महीने से अधिक समय तक लंबा संघर्ष, और दिल्ली की सीमाओं पर 60 दिनों से अधिक का विरोध भी इस स्थिति का कारण बना. हम अपने आप को ऐसे सभी तत्वों से अलग कर लेते हैं, जिन्होंने हमारे अनुशासन का उल्लंघन किया है. हम परेड के मार्ग और मानदंडों पर चलने के लिए सभी से दृढ़ता से अपील करते हैं और किसी भी हिंसक कार्रवाई या राष्ट्रीय प्रतीकों और गरिमा को प्रभावित करने वाली किसी भी चीज़ में लिप्त नहीं होते हैं. हम सभी से अपील करते हैं कि वे ऐसे किसी भी कृत्य से दूर रहें.

दिल्ली में अराजक हुआ आंदोलन, किसान नेताओं ने पल्ला झाड़ा; संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा- असामाजिक ताकतों की घुसपैठ

दिल्ली की सीमाओं पर में करीब दो महीने से शांतिपूर्वक चल रहा किसानों का आंदोलन गणतंत्र दिवस पर अराजक हो गया। 26 जनवरी पर ट्रैक्टर रैली निकालने के लिए जिद्द पर अड़े रहे किसान नेता हिंसा और तोड़फोड़ के बीच अब अपना पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने उत्पात मचाने वालों से खुद को अलग करते हुए घटना की निंद की है। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने पहले तो हिंसा की जानकारी होने से इनकार किया और फिर आरोप लगाया कि राजनीतिक दलों के लोग आंदोलन को खराब करने के लिए ऐसा कर रहे हैं। किसान नेता योगेंद्र यादव ने भी किसानों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने उपद्रव करने वालों से पल्ला झाड़ते हुए कहा है कि हम अवांछित और अस्वीकार्य घटनाओं की निंदा करते हैं और इसमें शामिल लोगों से खुद को अलग करते हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने बयान जारी करते हुए कहा, ”हमारे सभी प्रयासों के बावजूद कुछ संगठनों और व्यक्तियों ने रूट का उल्लंघन किया और निंदायोग्य काम किए। कुछ असामाजिक तत्वों ने घुसपैठ की है, नहीं तो आंदोलन शांतिपूर्ण था। हमने हमेशा कहा है कि शांति हमारी सबसे बड़ी ताकत है और इसके उल्लंघन से आंदोलन को नुकसान होगा।”
आईटीओ के बाद लाल किले पर चल रहे उत्पात के बीच किसान नेता राकेश टिकैत यूपी गेट पहुंचे। यहां उन्होंने कहा कि बेरिकेडिंग दिल्ली पुलिस ने तोड़ी। हजारों किसानों को तय रूट पर निकलने नहीं दिया गया। टिकैत ने कहा, ”जिम्मेदारी पुलिस और प्रशासन की है। हम शांतिपूर्ण मार्च निकलना चाहते थे। दिल्ली में लाल किले तक पहुचे किसानों की जानकारी नहीं है।”

राकेश टिकैत से जब पूछा गया कि क्या यह आंदोलन किसान नेताओं के हाथ से निकल गया है तो उन्होंने कहा, ”नहीं, यह हमारे हाथ में है। हम जानते हैं कि कौन लोग बाधा पैदा करना चाहते हैं। उनकी पहचान हो गई है। ये लोग राजनीतिक दलों के लोग हैं जो आंदोलन को बदनाम करना चाहते हैं।”

खुद आज शाहजहांपुर में किसानों के साथ परेड निकाल रहे योगेंद्र यादव ने वीडियो संदेश के जरिए दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे किसानों से शांति की अपील की। उन्होंने कहा, ”सभी साथियों से अपील है कि संयुक्त किसान मोर्चा के द्वारा निर्धारित रूट पर ही परेड करें। उससे अलग होने से आंदोलन को सिर्फ नुकसान ही होगा। शांति ही किसान आंदोलन की ताकत है। शांति टूटी तो सिर्फ आंदोलन को नुकसान होगा।”

किसानों का बवाल: दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में रात 12 बजे तक इंटरनेट सेवा बंद

राजधानी दिल्ली में किसानों का आंदोलन लगातार उग्र होता जा रहा है। इस बीच दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में रात 12 बजे तक इंटरनेट सेवा पर रोक लगा दी गई है। सूत्रों के मुताबि, पुलिस को इंटरनेट के सहारे अफवाहों को फैलाकर स्थिति और बिगाड़ने की कोशिश की जा सकती है। इस तरह के किसी प्रयास पर रोक लगाने के लिए नांगलोई, सिंघु बॉर्डर, यूपी गेट, टिकरी, गाजीपुर बॉर्डर, मुकरबा चौक जैसे  इलाकों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। इस वजह से इन इलाकों में आम लोगों को इस वजह से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
गृहमंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि इंडियन टेलिग्राफ एक्ट, 1885 की धारा 7 के तहत और जनसुरक्षा स्थापित करने और आवश्यक होने की वजह से सिंघु, गाजीपुर, टिकरी, मुकरबा चौक, नांगलोई और दिल्ली से जुड़े इलाकों में 26 जनवरी को रात 11: 59 तक इंटरनेट सेवा पर रोक लगाई जा रही है।
टेलिकॉम ऑपरेटर्स की ओर से अपने ग्राहकों को इस संबंध में मैसेज भेजे जा रहे हैं। इनमें कहा गया है, ”सरकार के निर्देश के अनुसार आपके क्षेत्र में इंटरनेट सेवाएं अस्थाई रूप से बंद कर दी गई हैं, जिसके कारण आप इन सेवाओं का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। ये सेवाएं सरकार से निर्देश मिलने के बाद ही शुरू हो जाएंगी।”

किसानों के नाम पर नवंबर से आंदोलन कर रहे लोगों की आखिर मंशा क्या है। महीनों से दिल्ली बॉर्डर को जाम करने वाले आखिरकार यह लोग हैं कौन ? हालांकि यह लोग खुद को कहते तो किसान हैं लेकिन उनका आचरण बिल्कुल नक्सलियों की तरह है।

तिरंगा हटाकर अपना झंडा लहराने वाले किसान कैसे हो सकते हैं
किसानों के नाम पर दिल्ली में खुलेआम गुंडागर्दी पर उतरे लोगों ने तिरंगा उतार कर अपना झंडा फहराने की कोशिश की। इतना ही नहीं दिल्ली के तमाम बॉर्डर पर जमा प्रदर्शनकारी की हरकत देखकर आज पूरा देश हतप्रभ है। लोग यह सोचने पर मजबूर हैं कि आखिरकार यह कौन लोग हैं, कम से कम किसान तो नहीं है। क्योंकि लोगों ने आज तक किसानों के हाथ में हल देखा था तलवार नहीं। और यह कैसे किसान हैं जो लाल किले पर चढ़ाई कर रहे हैं। पुलिस वाले पर पथराव, आगजनी, बस पर हमला कोई किसान कैसे कर सकता है।

प्रदर्शनकारियों के फाइव स्टार कल्चर से परिचित हो चुके हैं लोग
नवंबर से दिल्ली में बैठे प्रदर्शनकारी किस तरह मर्सिडीज़ कार से आते हैं प्रदर्शन के बीच उन्होंने कैसे लेटेस्ट टेक्नोलॉजी से फुट मसाज और बॉडी मसाज किया था। इसके अलावा किसान के नाम पर प्रदर्शन करने वाले किस कदर बादाम की चाय और हाइजीन भोजन का मजा ले रहे थे यह पूरे ने देखा था। देश की जनता ने यह भी देखा कि इन्हें कैसे कांग्रेस और वाम दलों के नेताओं द्वारा प्रोटेक्ट किया जा रहा था।

26 जनवरी के बाद 1 फरवरी की भी कर रखी है तैयारी
दिल्ली में गणतंत्र दिवस के मौके पर तांडव करने वाले तथाकथित किसान के नेता अब 1 फरवरी की तैयारी में भी जुटे हुए हैं। गणतंत्र दिवस के मौके पर हंगामा खड़ा कर दुनिया को भारत में सब कुछ ठीक नहीं है यह दर्शाने की कोशिश करने वाले अब 1 फरवरी को संसद भवन की ओर कूच करने की तैयारी करेंगे। तिरंगे का अपमान करने वाले यह प्रदर्शनकारी का यह प्रदर्शन नहीं बल्कि इसे सीधे तौर पर दंगा कहा जा सकता है। जरा सोचिए आज के इस घटना को पूरी दुनिया में किस नजरिए से देखा जाएगा। यानी खालिस्तान समर्थक पाकिस्तान और चीन जिस तरीके का उपद्रव भारत में चाहता था। यह प्रदर्शनकारी पूरी तरह से उनके मंसूबों को अंजाम देते नजर आ रहे हैं।

क्या पूरा खेल साढ़े 6 हजार करोड़ रुपए का है ?

बताया जाता है कि केंद्र सरकार के नए किसान कानून की वजह से जहां छोटे किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी वही बिचौलियों की मनमानी खत्म हो जाएगी। मिली जानकारी के अनुसार किसानों की मेहनत से उगाई गई फसल से बिचौलिए हर साल साढ़े 6 करोड़ रुपए की कमाई करते हैं। केंद्र सरकार के नए कृषि कानून के तहत अब किसानों को यह आजादी होगी वह देश के किसी भी मंडी में जहां उसे अच्छी कीमत मिले वहां अपनी अनाज बेच सकता है। यही वजह है कि बिचौलिए और उनके आड़ में वामपंथी और कांग्रेसी नेता जो किसान संगठन चला रहे हैं उन्हें अपनी कमाई बंद होने का डर सताने लगा है। बताया जाता है कि बिचौलियों द्वारा सबसे ज्यादा कमाई पंजाब हरियाणा के किसानों से ही की जाती थी। इसीलिए दिल्ली में प्रदर्शनकारियों में पंजाब और हरियाणा के बिचौलिए किसानों के नाम पर उग्र प्रदर्शन कर रहे हैं। यह भी सच है कि अगर नया किसान कानून वास्तव में किसानों के हित में नहीं होता तो पूरे देश में इस तरह का प्रदर्शन देखने को मिलता। लेकिन सिर्फ दिल्ली में कुछ हजार लोगों का यह प्रदर्शन यह साबित करने को काफी है कि सिर्फ अपना उल्लू सीधा करने के लिए किसानों के नाम पर बिचौलिए और राजनीतिक दल ही हंगामा खड़ा किए हुए हैं।

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